सिंघु बॉर्डर पर आज संयुक्त किसान मोर्चा की एक अहम बैठक होने जा रही है. संयुक्त किसान मोर्चा की इस बैठक में आंदोलन (Kisan Aandolan) की आगे की रणनीति को लेकर चर्चा होग. भारतीय किसान यूनियन एकता डकोंदा के प्रधान बूटा सिंह का कहना है कि सरकार जल्द किसानों से बातचीत शुरू करे. संयुक्त किसान मोर्चा की और भी कई डिमांड हैं. किसान एमएसपी (MSP) पर बनने वाली कमेटी को टाइम बाउंड करवाना चाहते हैं.
साथ ही आंदोलन के दौरान 14 हजार किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग भी की जा रही है. इतना ही नही शहीद किसानों को मुआवजा देने और सिंघु बॉर्डर पर एक यादगार स्थल बनाने की मांग को लेकर भी संयुक्त मोर्चे की मीटिंग में चर्चा होगी.
उन्होंने बताया कि 26 नवम्बर को सभी बॉर्डरों भारी संख्या में किसान एकत्रित होंगे. संयुक्त मोर्चा द्वारा दिये गए सभी कार्यक्रम ज्यों के त्यों जारी रहेंगे. किसान नेता बूटा सिंह का कहना है कि कृषि कानून वापस होना डिक्टेटरशिप की हार और लोकतंत्र की जीत है. साथ ही उन्होंने डीजल पर किसानों के लिए 50 परसेंट सब्सिडी देने के अलावा डीजल के रंग में परिवर्तन करने की भी मांग की है ताकि कृषि के लिए डीजल किसानों को सही और सस्ते दामों पर उपलब्ध हो सके. बूटा सिंह सिंघु बॉर्डर की मीटिंग में रवाना होने से पहले टीकरी बॉर्डर पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
मोर्चा के नेताओं का कहना है कि संसद में कानून रद्द होने के बाद धरना स्थल पर बने रहना है अथवा नहीं, यह केंद्र सरकार से बातचीत और आश्वासन के बाद तय होगा. मोर्चा के लिए तीन कानून अब मुद्दा नहीं रहा, उनकी दूसरी अहम मांग एमएसपी पर कानून बनाना है. भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता धर्मेद्र मलिक का कहना है कि बैठक के बाद मोर्चा केंद्र सरकार के पास चर्चा के लिए प्रस्ताव भेज सकता है. सरकार के वार्ता के बाद आंदोलन का रुख तय होगा.