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युद्ध के मैदान से उसी ड्रेस में सीधे राजपथ पर पहुंची थी कमांडो की टुकड़ी, जानिए वजह

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आज हम 73वां गणतंत्र दिवस (Republic Day) मना रहे हैं, लेकिन साल 1972 का गणतंत्र दिवस भी हमारे लिए कई मायनों में खास था. एक महीने पहले ही हमने बांग्लादेश (Bangladesh) की शक्ल में पाकिस्तान (Pakistan) के दो टुकड़े किए थे. इंडियन आर्मी (Indian Army) ने घर में घुसकर पाकिस्तान सेना को मात देते हुए अपना लोहा मनवाया था. इसी दौरान एक एक और खास बात यह हुई थी कि इंडियन आर्मी (Indian Army) बांग्लादेश में युद्ध जीतने के बाद उसी ड्रेस में कमांडो की टुकड़ी सीधे 26 जनवरी को राजपथ (Rajpath) पर मार्च करने पहुंची थी. यह पहला मौका था जब कोई टुकड़ी युद्ध की ड्रेस पहनकर राजपथ के मार्च में शामिल हुई थी. इस बारे में न्यूज18 हिंदी उस युद्ध के हीरो कर्नल रिटायर्ड एसएम कुंजरू से बात की.

“बांग्लादेश की मदद के लिए पैरा कमांडो की टुकड़ी पैराशूट की मदद ढाका में उतारी गई थी. कई दिन की लड़ाई के बाद बांग्लादेश को पाकिस्तानी सेना से मुक्त कराया गया. इसी दौरान सूचना मिली कि राजस्थान के गंगानगर के पास लोंगेवाला पोस्ट पर पाकिस्तान की एक टुकड़ी ने हमला कर दिया है.

यह खबर मिलते ही ढाका में जो भी वाहन मिला उसमे बैठकर करीब 600 लोगों की टुकड़ी ढाका के बाहर आ गई. यहां से हमे एक ट्रेन में बैठाया गया. इस ट्रेन का नाम रखा गया व्हाइट हॉट. यह कोयले के इंजन वाली ट्रेन थी.बिना रुके ट्रेन लगातार दौड़ती रही. ट्रेन का ड्राइवर पर बहुत जाबांज़ था. अभी हम गंगानगर पहुंचने ही वाले थे कि आला अफसरों से सूचना मिली कि लोंगेवाला पोस्ट से पाकिस्तानी सेना को खदेड़़ दिया गया है. अब हमे गंगानगर पहुंचने के बजाए दिल्ली पहुंचने का आदेश मिला. दिल्ली आकर पता चला कि यहां रहकर करीब एक महीने तक हमे राजपथ पर होने वाली परेड की तैयारी करनी है. और इस तरह से पहली बार सेना की किसी टुकड़ी ने युद्ध वाली ड्रेस में राजपथ पर परेड की थी.”