Home देश क्या है एमएसपी, जिसमें बजट में दी गई बड़ी राहत

क्या है एमएसपी, जिसमें बजट में दी गई बड़ी राहत

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए किसानों को एक बड़ी राहत एमएसपी के रूप में दी है. उन्होंने अपने बजट भाषण में घोषणा की कि एमएसपी के तहत किसानों को 2.7 लाख करोड़ रुपए दिए जाएंगे.

एमएसपी तय करने की मांग किसान लंबे समय से करते रहे हैं. पिछले दिनों दिल्ली में जुटे किसानों ने जब लंबा आंदोलन किया तो भी उन्होंने एमएसपी की मांग की थी. अब लगता है कि सरकार उस ओर बढ़ रही है और किसानों को इस मामले में राहत देना चाहती है.

क्या है एमएसपी
केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है. इसे ही एमएसपी कहते हैं. इससे किसानों को ये फायदा होगा कि कभी फसलों की क़ीमत बाज़ार के हिसाब से गिर भी जाए तो किसानों को नुकसान नहीं होगा, तब भी उनकी फसल के दाम न्यूनतम तय कीमत से ही लगाएगी और उस पर खरीदी करेगी.

60 के दशक में सरकार ने अन्न की कमी से बचाने के लिए सबसे पहले गेहूं पर एमएसपी शुरू की ताकि सरकार किसानों से गेहूं खरीद कर अपनी पीडीएस योजना के तहत ग़रीबों को बांट सके.

हालांकि एमएसपी को लेकर मामला काफी उलझा हुआ है. कहने को भले ये कहा जाए कि फसल का न्यूनतम मूल्य तय कर दिया गया है लेकिन ऐसा होता नहीं. अक्सर किसानों को एमएसपी से कम कीमत पर भी फसल बेचनी पड़ती है. लेकिन बजट में सरकार की घोषणा से लगता है कि सरकार एमएसपी को लेकर गंभीर है. सरकार अब किसानों को लेकर होने वाले घाटे की भरपाई उस रकम से करेगी, जिसकी घोषणा उसने बजट में की है.

क्या एमएसपी तय करने का सरकार का कोई तंत्र है
वैसे आपको बता दें कि सरकार हर फसल पर एमएसपी नहीं देती बल्कि इसके तहत 23 फसलें आती हैं. लेकिन अब तक कोई ऐसा तंत्र नहीं है जो एमएसपी तय करे. कृषि मंत्रालय का एक विभाग कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कोस्ट्स एंड प्राइसेस गन्ने पर एमएसपी तय करता है. ये बस एक विभाग है जो सुझाव देता है, ये कोई ऐसी संस्था नहीं है जो कानूनी रूप से एमएसपी लागू कर सके.
इनमें से सिर्फ गन्ना ही है जिस पर कुछ हद तक कानूनी पाबंदी लागू होती है क्योंकि आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत एक आदेश के मुताबिक़ गन्ने पर उचित और लाभकारी मूल्य देना ज़रूरी है.

क्या कहती है शांता कुमार कमेटी
अगस्त 2014 में बनी शांता कुमार कमेटी के मुताबिक़ 6 फीसद किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिल पाया है. बिहार में एमएसपी से खरीद नहीं की जाती. वहां राज्य सरकार ने प्राइमरी एग्रीकल्चर कॉपरेटिव सोसाइटीज़ यानी पैक्स के गठन किया था जो किसानों से अनाज खरीदती है. लेकिन किसानों की शिकायत है कि वहां पैक्स बहुत कम खरीद करती है, देर से करती है और ज़्यादातर उन्हें अपनी फसल कम कीमत पर बिचौलियों को बेचनी पड़ती है.

किन फसलों पर मिलती है एमएसपी
अनाज की 07 फसलें – धान, गेहूं, बाजरा, मक्का, ज्वार, रागी, जौ.
05 दालें – चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर
07 तिलहन फसलें – मूंग, सोयाबीन, सरसों, सूरजमुखी, तिल, नाइजर या काला तिल, कुसुम
04 अन्य फसलें – गन्ना, कपास, जूट, नारियल

एसएसपी को लेकर क्या रही है किसानों की मांग
किसानों की मांग रही है कि सरकार एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर फसल ख़रीद को अपराध घोषित करे और एमएसपी पर सरकारी ख़रीद लागू रहे.
साथ ही दूसरी फसलों को भी एमएसपी के दायरे में लाया जाए. हालांकि प्रधानमंत्री मोदी कह चुके हैं कि एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी और सरकारी खरीद भी जारी रहेगी. लेकिन किसान संगठन चाहते हैं कि उन्हें ये बात क़ानून बना कर लिखित में दी जाए.

सरकार के लिए एमएसपी कितनी भारी पड़ती है ?
ये जो 23 फसलें हैं ये तो भारत के कृषि उत्पाद का सिर्फ एक तिहाई हिस्सा ही हैं. मछली पालन, पशु पालन, सब्जियां, फल वगैरह इनमें शामिल ही नहीं हैं.

अगर इन 23 फसलों के आँकड़ें देखें जाएं तो साल 2019-20 में सभी को मिलाकर 10.78 लाख करोड़ रुपये के बराबर का उत्पादन हुआ. लेकिन ये सारी फसल बेचने के लिए नहीं होती, किसानों के अपने इस्तेमाल के लिए भी होती है,बाज़ार में बिकने के लिए इन सब फसलों का अनुपात भी अलग होता है. जैसे 50 फीसदी रागी का होगा, तो 90 फीसद दालों का होगा. गेहूं 75 फीसदी होगा. तो अगर औसत 75 फीसदी भी मान लें तो ये 8 लाख करोड़ से कुछ ऊपर का उत्पादन होगा.

एमएसपी की गारंटी देने पर सरकार पर कितना बोझ
गन्ने का पैसा सरकार को नहीं देना पड़ता, वो शुगर मिलें देती हैं. सरकार अपनी एजेंसियों के ज़रिए पहले ही कुछ फसलों को खरीद लेती है. जिसकी कुल कीमत 2019-20 में 2.7 लाख करोड़ थी. मोटे तौर पर सरकार जो फसल किसानों से खऱीदती है तो सरकार को ये खरीद हर साल डेढ़ लाख करोड़ तक की पड़ती है.

किस तरह किसानों को मिलेगा एमएसपी का लाभ
– प्राइवेट कंपनियों पर फसलों को एमएसपी पर खरीदने का दबाव डाला जाए
– भारतीय खाद्य निगम, भारतीय कपास निगम के ज़रिए एमएसपी पर फसल खरीदें
– किसानों को घाटे में फसल बेचने पर जो घाटा हो, उसकी भरपाई सरकार करे, इसके लिए योजनाएं चलाए. हालांकि ये देखने वाली बात होगी कि सरकार ने एमएसपी के लिए बजट में जो प्रावधान किया है, उसको कैसे लागू करती है. अगर ये लागू हुआ तो किसानों को निश्चित तौर पर फायदा होगा.