मध्यप्रदेश में नक्सलियों (Naxalites) से निपटने के लिए अब आदिवासियों की युवा ब्रिगेड (Tribal youth Brigade) उतरेगी. इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है. इस ब्रिगेड को सरकार हर महीने तन्ख्वाह भी देगी. लेकिन फिलहाल वर्दी नहीं दी जाएगी. कामकाज के आधार पर उन्हें बाद में पुलिस में पक्की नौकरी देने का प्रावधान किया गया है.
गृह विभाग के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद युवाओं की भर्ती की जा रही है. इस ब्रिगेड में शुरू में 500 आदिवासी युवाओं को भर्ती किया जाएगा जिन्हें 25 हजार रुपये महीना तनख्वाह दी जाएगी. जिले के एसपी के अधीन ये युवा काम करेंगे. इन युवाओं को फिलहाल पुलिस की वर्दी नहीं दी जाएगी. 5 साल तक काम करने के बाद अगर इनका रिकॉर्ड अच्छा रहा तो फिर पुलिस में पक्की नौकरी दी जाएगी. नक्सल प्रभावित जिले बालाघाट, मंडला, डिंडोरी में आदिवासी युवाओं की भर्ती हो रही है. गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस सामुदायिक पुलिसिंग की ओर कदम बढ़ाने जा रही है. इसके तहत नक्सल प्रभावित जिलों में युवाओं को पदस्थ किया जाएगा. डिंडोरी, मंडला और बालाघाट में युवा ब्रिगेड तैनात की जाएगी.
अभी नहीं मिलेगी वर्दी
कैबिनेट में जिस प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई उसमें ये व्यवस्था है कि ब्रिगेड में शामिल हर जवान को हर महीने वेतन दिया जाएगा. इसकी पूरी जिम्मेदारी नक्सल प्रभावित जिलों के एसपी की रहेगी. साथ ही उनकी सूचनाओं और उनकी जानकारियों पर भी ध्यान दिया जाएगा. उनकी तैनाती भी एसपी हेड क्वार्टर से तय होगी. इन युवाओं को पुलिस की तरह वर्दी नहीं दी जाएगी. लेकिन 5 साल की नौकरी के बाद उनके काम के आधार पर पुलिस में नौकरी दी जाएगी.
इसलिए पड़ी इनकी जरूरत…
एमपी में पुलिस का मुखबिर तंत्र उतना मजबूत नहीं है जितना होना चाहिए. नक्सलियों से जुड़ी सूचनाएं पुलिस को तेजी से नहीं मिल रही थी. यही कारण है कि पुलिस अधिकारियों से चर्चा के बाद सरकार ने आदिवासी युवाओं को भर्ती करने का फैसला किया. इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा और सरकार के प्रति आदिवासियों का विश्वास बढ़ेगा. आदिवासी युवा लोकल स्तर पर सभी जानकारी रखते हैं. ऐसे में पुलिस को नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिलेगी.