एक नए शोध से पता चला है कि महिलाओं में बच्चे पैदा न कर पाने (infertility) की समस्या का संबंध दिल की बीमारी से भी होता है. ब्रिटेन में हुई रिसर्च के बाद दावा किया गया है कि जिन औरतों में बांझपन यानी इनफर्टिलिटी (infertility) की समस्या होती है, उनका हार्ट फेल होने की आशंका बाकी महिलाओं से 16 फीसदी तक ज्यादा होती है.
अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी जर्नल में छपे इस शोध में कहा गया है कि महिलाओं के प्रजनन इतिहास से काफी हद तक पता चल जाता है कि उन्हें भविष्य में दिल की बीमारी होने का कितना खतरा है. महिला को अगर गर्भवती होने के दौरान दिक्कतें आएं या मेनोपॉज़ के दौरान परेशानियों का सामना करना पड़े तो बाद के सालों में उसे दिल की बीमारी होने का रिस्क बढ़ जाता है.
इस शोध के दौरान दो तरह के हृदयाघात यानी हार्ट फेल होने की स्टडी की गई. पहला preserved ejection fraction के साथ हार्ट अटैक (HFpEF) जिसमें दिल की मांसपेशियां खून पंप करने के बाद पूरी तरह फैल नहीं पातीं. दूसरा हार्ट फेल्योर विद reduced ejection fraction (HFrEF). इसमें बाएं वेंट्रीकल यानी दिल के निचले भाग के कोष से हर धड़कन के बाद जितना खून शरीर में जाना चाहिए, वो नहीं जा पाता. महिलाओं में हार्ट फेल के ज्यादातर मामले HFpEF के ही होते हैं
शोधकर्ताओं का कहना है कि अभी तक ये तो पता था कि जिन महिलाओं में बच्चे पैदा न कर पाने की समस्या होती है, उनमें हाइपरटेंशन और हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी होने के चांस ज्यादा होते हैं. लेकिन बांझपन का दिल की बीमारी पर असर को लेकर कोई पुख्ता स्टडी नहीं हुई थी. आमतौर पर दिल की बीमारी को 50 साल के बाद की समस्या माना जाता है, जबकि बांझपन उम्र के 20वें, 30वें या 40वें पड़ाव पर आने वाली दिक्कत है. इसलिए इन दोनों के संबंध पर गौर नहीं किया जाता. अब महिलाओं में बच्चे पैदा न कर पाने की क्षमता का कुछ नहीं किया जा सकता लेकिन भविष्य का ध्यान तो रखा ही जा सकता है ताकि उन्हें दिल की बीमारियों से बचाया जा सके.