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चीन में भड़की विरोध की आग को अमेरिका ने दी और हवा, ह्वाइट हाउस से आया बाइडन का ये बयान

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America on Protest Against Xi Jinping in China: चीन और अमेरिका एक दूसरे के कितने कट्टर दुश्मन हैं, यह बात जग जाहिर है। इंडोनेशिया के बाली में भले ही ताइवान पर तनाव के बावजूद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच बेहद गर्मजोशी से मुलाकात हुई थी, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि इसके बाद दोनों देशों के रिश्ते मधुर हो जाएंगे।

मौका पाने पर दोनों देश एक दूसरे को छोड़ने का कोई मौका जाने नहीं देना चाहते। इसका ताजा उदाहरण चीन में कोरोना के खिलाफ जनता में शी जिनपिंग पर फैले आक्रोश के बाद भी देखने को मिल रहा है। अमेरिका ने मौके की नजाकत को देखते हुए चीन में शी जिनपिंग के खिलाफ भड़की आक्रोश की आग को और अधिक हवा दे दी है। इससे प्रदर्शन और अधिक भड़कने की आशंका जताई जा रही है।

अमेरिका ने चीन में शी जिनपिंग के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन को खुले समर्थन का ऐलान करके पूरे विश्व में हलचल पैदा कर दी है। अब अमेरिका की पूरी कोशिश शी जिनपिंग की जड़ों को हिलाने की है। चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के नियम-कानूनों को दरकिनार कर लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद से ही शी जिनपिंग को लेकर अमेरिका की चिंताएं बढ़ गई हैं। वजह साफ है कि जिनपिंग अमेरिका को हर क्षेत्र में घेरने की साजिश रच रहे हैं। बात चाहे दक्षिण चीन सागर की हो या अंतरिक्ष की। हर जगह चीन अमेरिका से आगे निकलने की होड़ में है। अमेरिका को पता है कि यदि शी जिनपिंग को मौका रहते रोका नहीं गया तो वह उनके देश के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। शी जिनपिंग की अगुवाई में चीन अपनी सैन्य क्षमता से लेकर तकनीकी और आर्थिक क्षेत्र में लगातार वर्चस्व को बढ़ाता जा रहा है।

दक्षिण चीन सागर को चीन ने परमाणु बमों से लैस मिसाइलें लांच करने का हाल ही में अड्डा बना दिया है। इससे अमेरिका के समुद्रतटीय इलाके चीन की मिसाइलों के जद में आ गए हैं। हाल ही में चीन ने स्पेस मिलिट्री के क्षेत्र में हैरान कर देने वाली उपलब्धि हासिल करके अमेरिका को और भी अधिक चिंता में डाल दिया है। इससे अमेरिका की परेशानी बढ़ना लाजमी है।

बाइडन के ऐलान से खौला शी जिनपिंग का खून
दरअसल व्हाइट हाउस ने सोमवार को कहा कि अमेरिका चीन में शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार के लिए खड़ा रहेगा और उसका समर्थन करना जारी रखेगा। व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के रणनीतिक संचार समन्वयक जॉन किर्बी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अमेरिका चीन में हो रहे घटनाक्रमों पर करीब से नजर रख रहा है। किर्बी ने कहा, ‘‘दुनिया भर में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के लिए हमारा संदेश एक समान और वही है कि लोगों को इकट्ठा होने और नीतियों या कानूनों का शांतिपूर्वक विरोध करने का अधिकार दिया जाना चाहिए।’’ कोविड-19 के कारण लागू सख्त प्रतिबंधों को लकर चीन सरकार के खिलाफ समूचे देश में प्रदर्शन हो रहे हैं। साथ ही चीनी लोग अब राष्ट्रपति शी जिनपिंग का इस्तीफा भी मांग रहे हैं।

चीनी लोगों के विरोध का अमेरिका करता रहेगा समर्थन
अमेरिका का कहना है कि ‘‘हम स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए हैं जैसा कि आप हमसे उम्मीद करते हैं। हम एक बार फिर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के साथ खड़े हैं और उसका समर्थन करते रहेंगे।’’ किर्बी ने कहा कि अमेरिका ने इस वक्त चीन को किसी प्रकार की मदद देने की पेशकश नहीं की है। उन्होंने कहा, ‘‘हम दुनियाभर में कोविड-19 रोधी टीकों के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता हैं। हमारे टीकों को प्राप्त करने में न तो चीन की कोई दिलचस्पी दिखी है और न ही उससे कोई अनुरोध मिला है।’