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ऐसे आई थीं पांच प्रलय, अब छठी प्रलय की बारी, इस तरह से खत्म हो जाएगा सबकुछ, चेताया वैज्ञानिकों ने

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जब महाप्रलय या कयामत आती है तो कई प्रजातियां धरती से नष्ट हो जाती है। पहला प्रलय लगभग 443 मिलियन साल पहले आया था। इसे एंड-ऑर्डोविसियन कहा गया। पहले प्रलय में धरती पर जितना पानी था, सब बर्फ में बदलने लगा था।

समुद्र और उससे बाहर ठंड से जीव मरने लगे थे। इस दौरान लगभग 86 प्रजातियां खत्म हो गई थीं। इस प्रलय में जो प्रजातियां बच गई थीं, उन्होंने क्लाइमेट के अनुसार खुद को ढाल लिया।

दूसरी प्रलय
दूसरा प्रलय लगभग 359 से 380 मिलियन साल पहले आया। इसे एंड डेवोनियन कहा गया। दूसरे प्रलय के दौरान धरती पर ज्वालामुखियों के अचानक एक्टिव होने से ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगा था और प्रजातियां खत्म होने लगी थीं। दूसरा प्रलय इतना खतरनाक था कि 75 प्रतिशत से ज्यादा प्रजातियां खत्म हो गई थीं। इसमें छोटे कद और वजन वाली स्पीशीज जैसे टेट्रापॉड बच गईं।

तीसरी प्रलय
तीसरी प्रलय को एंड पर्मिअन कहते हैं। यह लगभग 251 मिलियन साल पहले आई थी। इस दौरान साइबेरिया के ज्वालामुखी फटने लगे थे। समुद्र और हवा में जहर और एसिड फैलने लगा था। यहां तक कि ओजोन की परत भी फट गई। इससे खतरनाक यूवी किरणें निकलीं। इसी दौरान निकले रेडिएशन से जंगल के जंगल जलकर खत्म हो गए।तब फंगस के अलावा ज्यादातर प्रजातियां खत्म हो गईं।

चौथी प्रलय
चौथी प्रलय लगभग 210 मिलियन साल पहले आई थी। इसे एंड ट्रिएसिक कहा गया। चौथी प्रलय के दौरान भी ज्वालामुखी फटे। हालांकि इस बार ज्वालामुखी साइबेरिया में नहीं बल्कि धरती की बाकी जगहों पर फटे। इस विनाश में लगभग 80 प्रजातियां खत्म हो गई थीं। इसमें डायनासोर और क्रोकोडाइल के पूर्वज बचे थे, जिन्हें क्रोकोडिलोमार्फ्स नाम दिया गया। Scientist warn about sixth mass extinction

पांचवी प्रलय
पांचवी प्रलय में डायनोसोर धरती से गायब हो गए थे। यह प्रलय लगभग 65.5 मिलियन साल पहले आई थी। इस दौरान एक एस्टेरॉयड धरती से टकराया, ये बात सभी मानते हैं, लेकिन क्या उसके टकराने-भर से ऑक्सीजन खत्म हो गई? क्या उसकी वजह से डायनासोर जैसी मजबूत प्रजाति खत्म हो गई? इस पर अब भी बहस होती है। इसमें सबने यह बात मानी की वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ा और ऑक्सीजन का स्तर एकदम नीचे चला गया। इस दौरान 76 प्रजातियां मर गई थीं।

अब छठी प्रलय की बारी
अब वैज्ञानिक छठी प्रलय के बारे में बात करने लगे हैं। नब्बे की शुरुआत में मशहूर जीवाश्म वैज्ञानिक रिचर्ड लीके ने चेताया था कि छठी प्रलय के लिए इंसान ही जिम्मेदार होंगे। बता दें कि इससे पहले आई पांच प्रलय के लिए प्राकृतिक आपदाएं ही जिम्मेदार थीं। इस बार प्रलय का खतरा इंसानों से है क्योंकि इंसानों की एक्टिविटीज के कारण धरती पर ऑक्सीजन कम हो रही है। इंसानों की वजह से धरती पर स्पीशीज के गायब होने की रफ्तार लगभग 100 गुना तेज हो चुकी है। Scientist warn about sixth mass extinction

लगातार गर्म हो रही पृथ्वी
प्रोसिडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (PNAS) में वैज्ञानिकों का समूह लगातार इस बारे में स्टडीज कर रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, डर है कि इस प्रलय में बैक्टीरिया, फंगी और पेड़-पौधे ही नहीं, इंसान, रेप्टाइल्स, पंक्षी, मछलियां सब खत्म हो जाएंगी। इसकी वजह बनेगा क्लाइमेट चेंज। धरती तेजी से गर्म हो रही है और महासागरों की बर्फ पिघल रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे पानी इतना गर्म हो जाएगा कि उसमें ऑक्सीजन का स्तर घटने लगेगा। इससे समुद्र के अंदर रहने वाले जीव-जंतु मरने लगेंगे।

आ रही हैं प्राकृतिक आपदाएं
वैज्ञानिकों का कहना है कि छठी प्रलय की शुरुआत पानी से ही होगी। इसके बाद इसका हवा में पहुंचेगा और धीरे-धीरे बहुत सारी प्रजातियां एक साथ खत्म हो जाएंगी। वातावरण में गर्मी और जहरीली हवा बढ़ रही है। बढ़ते तापमान की वजह से देशों में जंगल आग पकड़ रहे हैं। बीते साल ठंडे यूरोपियन देश भी गर्मी से त्राहि-त्राहि कर उठे थे। कहीं बेमौसम तूफान आ रहे हैं तो कहीं सूखा पड़ता है तो कभी भूकंप आ रहे हैं। यूएन फूड एंड एग्रीक्लचर ऑर्गेनाइजेशन के हिसाब से साल 2015 के बाद से हर साल लगभग 24 मिलियन एकड़ जंगल काटे जा रहे हैं।

कब आएगी छठी प्रलय?
हालांकि अब तक ये पता नहीं लग सका कि अगली प्रलय कब आएगी लेकिन कई वैज्ञानिक अलग-अलग दावे कर रहे हैं। साइंस एडवांसेज में मेसाचुसेट्स प्रौद्योगिक संस्थान के प्लानेटरी साइंसेज विभाग ने अपने शोध के आधार पर कहा कि साल 2100 के करीब ऐसा होगा। साथ में ये भी माना कि जिस हिसाब से धरती गर्म हो रही है, विनाश इसके पहले भी आ सकता है।