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Crude oil पर रूस व पश्चिमी देशों में जंग, OPEC+ की ऑयल प्रोडक्शन पॉलिसी न बदलने का फैसला

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अनुमान है कि OPEC+ के तेल उत्पादन में कटौती जारी रखने के फैसले के कारण क्रूड ऑयल की कीमतों में कमी नहीं आएगी. इससे बाजार में Russian Crude oil मांग बनी रहेगी.

तेल उत्पादक देशों (OPEC+) ने रविवार को हुई बैठक में तेल उत्पादन का लक्ष्य पहले जैसा ही बनाए रखने का फैसला किया है. यानी 2023 तक तेल उत्पादन में 20 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती जारी रहेगी.
इसे पश्चिमी देशों पर रूस की जवाबी कार्रवाई के रूप में भी देखा जा रहा है, जिन्होंने Russian Crude oil की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल तय कर दी थी. रॉयटर्स के मुताबिक OPEC+ ने कहा है कि चीन में तेल की मांग कम होने और जी-7 देशों द्वारा रूस के तेल की आपूर्ति पर कीमत की सीमा लगाए जाने को देखते हुए यह फैसला किया गया है.

क्या था G7 देशों व ऑस्ट्रेलिया का फैसला

शुक्रवार को जी-7 देशों और ऑस्ट्रेलिया ने रूस की व्लादीमीर पुतीन सरकार को राजस्व से वंचित करने के लिए रशियन क्रूड ऑयल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल तक सीमित का फैसला किया था. साथ ही यह भी तय किया था कि रशियन ऑयल की फ्लोइंग ग्लोबल मार्केट्स में जारी रखी जाएगी. यानी रूस से सप्लाई पर रोक नहीं लगाई जाएगी. जी-7 देशों की ओर से रूस के Crude oil की आपूर्ति वैश्विक बाजार में जारी रखने का फैसला किया था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रूस ने कहा था कि वह जी-7 के तय कीमत पर तेल नहीं बेचेगा. साथ ही कहा था कि इस फैसले पर क्या प्रतिक्रिया दी जाए, इस पर रूस विचार कर रहा है.

OPEC+ ने अक्टूबर में तेल उत्पादन घटाने का किया था फैसला

जब फरवरी में रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे. रूस की तेल सप्लाई पर भी तरह तरह के प्रतिबंध लगाए. OPEC+ ने अक्टूबर महीने में उस समय अमेरिका व अन्य पश्चिमी देशों को नाराज कर दिया था, जब उसने नवंबर से 2023 के अंत तक 20 लाख बैरल प्रतिदिन उत्पादन में कटौती करने पर सहमति जताई थी, जो विश्व की कुल मांग का लगभग 2 प्रतिशत है। OPEC+ का कहना था कि वैश्विक मंदी, चीन में मांग कम होने की वजह से वह उत्पादन घटा रहा है.

OPEC+ के फैसले से नाराज हुआ था अमेरिका

OPEC+ के तेल उत्पादन घटाने के फैसले से अमेरिका और उसके मित्र देश खासे नाराज हुए थे. वाशिंगटन ने आरोप लगाया था कि यह ग्रुप रूस का पक्ष ले रहा है और इसलिए ऐसा फैसला लिया है, जिससे रूस के तेल का कारोबार प्रभावित न हो. खासकर सऊदी अरब पर अमेरिका ने आरोप लगाया था कि वह रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बावजूद खुलेआम रूस का पक्ष ले रहा है.

जी-7 में शामिल देश

जी-7 में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, कनाडा शामिल हैं. यह दुनिया के अमीर देशों का संगठन है. इसके साथ ऑस्ट्रेलिया भी खड़ा हो जाता है. यह देश इस समय रूस के खिलाफ लॉबी में हैं.

OPEC+ क्या है

OPEC+ में Organization of the Petroleum Exporting Countries (OPEC) के साथ रूस और उसके सहयोगी देश भी शामिल हैं। OPEC और उसके साथ रूस के सहयोगी मिलकर OPEC+ बनाते हैं। जी-7 में खासकर अमेरिका का आरोप रहता है कि तेल निर्यातक देशों का रुझान रूस के पक्ष में रहता है.