Himachal Pradesh CM Race: हमीरपुर जिले के नादौन के रहने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) की जनता के बीच गहरी पकड़ है. कांग्रेस में भी उन्हें काफी माना जाता है.
Who is Sukhwinder Singh Sukhu: सुखविंदर सिंह सुक्खू यह वही नाम है, जो पिछले 40 सालों से कांग्रेस के साथ जुड़ा हुआ है. इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि हाईकमान और संगठन में उनकी गहरी पहुंच रही है. राज्य की जनता भी उन्हें खूब मानती है, इसलिए वह तीसरी बार विधायक बन चुके हैं. हिमाचल में जारी मुख्यमंत्री बनने की रेस से भले ही उन्होंने खुद को अलग ही क्यों न कर लिया हो लेकिन, अंदर से क्या खेल खेला जा रहा है यह पता लगाना काफी मुश्किल हैं.
सुखविंदर सिंह की उम्मीदवारी इसलिए भी काफी दमदार है क्योंकि उनके समर्थन में कई विधायक हैं और कांग्रेस विधायकों को खोने का जोखिम नहीं उठा सकती है. यही कारण है कि विधायकों का समर्थन बेहद अहम बन जाता है. वहीं, सुक्खू के राजनीतिक सफर की बात की जाए तो उन्होंने कांग्रेस संगठन में अपनी शुरुआत NSUI से की थी और 7 साल तक एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष रहे.
पढ़ाई के दौरान ही शुरू कर दिया था राजनीतिक सफर
हमीरपुर जिले के नादौन के रहने वाले सुक्खू लॉ में डिग्री हासिल करने के बाद से ही स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स से जुड़ गए थे. उन्होंने एनएसयूआई (NSUI) से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और संजोली कॉलेज में सीआर और एससीए के महासचिव चुने गए. इसके बाद राजकीय महाविद्यालय संजौली में एससीए के अध्यक्ष चुने गए. 7 साल यानी 1988 से 1995 तक एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहें.
सुखविंदर सिंह को क्यों मिल रहा है समर्थन
राजनीतिक हलचल के बीच खबर है कि सुखविंदर सिंह लगातार विधायकों के संपर्क में हैं. उन्होंने लगभग 20 से 21 विधायकों के साथ बैठक की है. विधायकों का समर्थन मिलना इसलिए भी लाजमी है क्योंकि उन्हें पार्टी के साथ जुड़े हुए चार दशक हो चुके हैं. इससे उनपर भरोसा करना विधायकों के लिए एक बड़ा कारण है. वह इतने पावरफुल हैं कि वीरभद्र का विरोध करना भी उन्हें भारी नहीं पड़ा था.
सुक्खू का यह किस्सा बताता है कितनी है राजनीतिक पकड़
सुक्खू को भले की कांग्रेस में दशकों का समय हो गया हो, लेकिन उन्हें हमेशा से ही वीरभद्र सिंह के विरोधी गुट का नेता कहा जाता रहा है. किस्सा है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरभद्र सिंह के विरोध के बावजूद उन्हें प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने का. 10 साल युवा कांग्रेस में रहने के बाद जब उन्होंने हमीरपुर जिले के नादौन से विधानसभा चुनाव लड़ा था तब वीरभद्र सिंह के कई फैसलों के विरोध में चले गए थे. हालांकि, उन्होंने यह चुनाव लड़ा भी था और जीता भी था. इसके साथ ही वह रिकार्ड समय साढ़े 6 साल तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. तीन साल पहले ही उन्हें इस पद से हटाया गया था. हालांकि, चुनावों से पहले हाईकमान ने उन्हें प्रदेश चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बना दिया था.
सुक्खू ने अपने गृह जिले हमीरपुर में पहली बार पांच में चार सीटें कांग्रेस की झोली में डाली हैं. एक निर्दलीय उम्मीदवार की जीत के साथ ही यह सीट पूरी तरह से भाजपा मुक्त हो गई. उनका पार्टी में काफी अहम रोल माना जाता है. जनता के बीच भी उनकी काफी गहरी पकड़ है. लोअर हिमाचल का होना भी उनके पक्ष में माना जा रहा है. क्योंकि यहां से अब तक कोई एक भी बार मुख्यमंत्री पद पर नहीं बैठा है.