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राहुल गाँधी बोले- ‘चौकीदार’ को सजा मिलेगी

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नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले जारी रखते हुए आज फिर कहा गरीबों से लूटकर अमीर दोस्तों को लाभ पहुंचाने वाले ‘चौकीदार’ को सजा मिलेगी। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘ 23 मई को जनता की अदालत में फैसला होकर रहेगा कि कमल छाप चौकीदार चोर है। न्याय होकर रहेगा। गरीबों से लूटकर अमीर मित्रों को लाभ देने वाले चौकीदार को सजा मिलेगी।’ इससे पहले कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी अपने ट्वीट में कहा, ‘भाजपाई झूठ अंतहीन है।, अफवाहों का कोई स्तर नहीं और पाखंड की कोई सीमा नहीं।

सुप्रीम कोर्ट में राहुल जी के जवाब पर भ्रमित करना भाजपाईयों द्वारा अदालती कार्यवाही की घोर आपराधिक अवमानना है। मुद्दा कोर्ट में विचाराधीन है, आज ही फैसला पारित कर बरगलाना बंद कीजिए।’ राहुल गांधी राफेल सौदे को लेकर मोदी पर आरोप लगाते रहे हैं कि उन्होंने 30 हजार करोड़ रुपए का ठेका अपने उद्योगपति मित्र को दिलाया और इस तरह ‘चौकीदार’ ने चोरी की है। राहुल गांधी ने राफेल सौदे पर उच्चतम न्यायालय में चल रही सुनवाई के संदर्भ में अपनी एक टिप्पणी पर आज न्यायालय से खेद जताया है। उन्होंने एक चुनावी सभा में कहा था कि अब न्यायालय ने भी मान लिया है कि ‘चौकीदार चोर’ है।

सीएम बघेल कल कुरुदडीह में तो गृहमंत्री ताम्रध्वज पाऊवारा में करेंगे मतदान

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दुर्ग। दुर्ग में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार थम गया है। 23 अप्रैल को होने वाले मतदान के लिए निर्वाचन आयोग ने दुर्ग विधानसभा क्षेत्र के सभी पोलिंग बूथों में मतदान टीम को ईवीएम के साथ पर्याप्त सुरक्षा बल के साथ रवाना कर दिया है।  इस बार दुर्ग लोकसभा सीट पर 21 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 23 अप्रैल को जिले के अनेक वीआईपी मतदान करेंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ग्राम कुरुदडीह पाटन में सुबह 10 बजे मतदान करेंगे। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ग्राम पाऊवारा में सुबह  10 बजे,  कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव मोतीलाल वोरा आर्य समाज स्कूल दुर्ग में सुबह 9 बजे मतदान करेंगे।

उनके साथ में दुर्ग विधायक अरुण वोरा भी मतदान करेंगे। भिलाई विधायक देवेंद्र यादव पानी टंकी के पास कैलाश नगर में सुबह 10 बजे, कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिमा चन्द्राकर ग्राम मतवारी में सुबह 11 बजे, बीजेपी महासचिव डॉ. सरोज पांडेय  गुरुनानक स्कूल दुर्ग में 11 बजे, वैशाली नगर विधायक विद्यारतन भसीन 10 बजे वैशाली नगर शासकीय कन्या स्कूल में पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय सेक्टर 9 बीएसपी स्कूल में सुबह 9 बजे और बीजेपी प्रत्याशी विजय बघेल सेक्टर 5 बीएसपी स्कूल में सुबह 8 बजे मतदान करेंगे।

लोकसभा चुनाव 2019: छत्तीसगढ़ में 7 सीटों पर सुबह 7 बजे से होगी वोटिंग, मतदान दल रवाना

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लोकसभा चुनाव 2019 के तीसरे चरण में छत्तीसगढ़ की सात सीटों पर 23 अप्रैल को वोटिंग होगी. सभी सात सीटों पर सुबह 7 से शाम पांच बजे तक मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे. तीसरे चरण में प्रदेश की दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, जांजगीर चांपा, रायगढ़, कोरबा और सरगुजा सीट पर वोटिंग होगी. वोटिंग के लिए 24 घंटा पहले ही सोमवार को सुबह से मतदान दलों की रवानगी शुरू हो गई है.

छत्तीसगढ़ के सात लोकसभा क्षेत्रों के कुल 1 करोड़ 27 लाख 13 हजार 816 मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे. इनमें रायपुर लोकसभा के 21 लाख 11 हजार 104, बिलासपुर के 18 लाख 75 हजार 904, रायगढ़ के 17 लाख 31 हजार 655, कोरबा के 15 लाख सात हजार 779, जांजगीर-चांपा के 18 लाख 95 हजार 232, दुर्ग के 19 लाख 38 हजार 319 एवं सरगुजा लोकसभा के 16 लाख 53 हजार 283 मतदाता शामिल हैं.

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इन लोकसभा क्षेत्रों में मतदान के लिए कुल 15 हजार 408 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं. रायपुर में 2343, बिलासपुर में 2221, रायगढ़ में 2327, कोरबा में 2008, जांजगीर-चांपा में 2173, दुर्ग में 2183 एवं सरगुजा में 2153 मतदान केन्द्र स्थापित किए गए हैं. तीसरे चरण के निर्वाचन वाले सात लोकसभा क्षेत्रों के लिए कुल 123 उम्मीदवार मैदान में हैं. रायपुर और बिलासपुर में 25-25, रायगढ़ में 14, कोरबा में 13, जांजगीर-चांपा में 15, दुर्ग में 21 और सरगुजा में दस प्रत्याशी मैदान में हैं.

लोकसभा चुनाव 2019 : छत्तीसगढ़ की 6 साटों पर बीजेपी-कांग्रेस में सीधा मुकाबला, जांजगीर में है ये समीकरण

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छत्तीसगढ़ में तीसरे और अंतिम चरण के लिए 7 लोकसभा सीटों पर 23 अप्रैल को मतदान होगा. इनमे से 6 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला देखा जा रहा है. वहीं जांजगीर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है. एक नजर डालिए इन 7 लोकसभा सीटों पर किन प्रत्याशियों के बीच है मुकाबला….

CM भूपेश बघेल बोले : रमन सिंह की पत्नी से लेकर कुक तक पर भ्रष्टाचार के आरोप, वो हमें उपदेश न दें

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने ताजा बयान जारी कर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को घेरा. सीएम बघेल ने कहा कि रमन सिंह 36,000 करोड़ के घोटाले के सूत्रधार हैं, इनका दामाद फरार है और इनके बेटे के नाम पनामा पेपर लिक मामले में शामिल है. आगे सीएम ने कहा कि रमन सिंह की धर्मपत्नी से लेकर कुक तक पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप हैं, वो हमें उपदेश न दें. ऐसे व्यक्ति और ऐसी पार्टी को छत्तीसगढ़ महतारी की महान जनता एक बार फिर से आईना दिखाने को तैयार है.

रिसर्च : अगले 100 साल में चेन्‍नै के अंदर तक आ जाएगा समुद्र

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चेन्‍नै. वैज्ञानिकों के एक अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2100 तक दक्षिण चेन्‍नै तट पर तिररुवनमियुर से अड्यार नदी के मुहाने तक का हिस्‍सा समुद्र के पानी में डूब सकता है. आज जहां समुद्री तट है वहां से करीब 40 मीटर अंदर तक समुद्र का पानी आ सकता है. यह भविष्‍यवाणी अन्‍ना यूनिवर्सिटी और नैशनल वॉटर सेंटर, यूएई यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने की है.

शोध के मुताबिक, इससे समुद्री खारे जल के भूगर्भीय जल से मिलने का खतरा रहेगा. इसका असर जमीन के नीचे मौजूद जलभंडार या एक्‍वीफर पर पड़ेगा. ये जलभंडार तेजी से बढ़ती आबादी द्वारा भूगर्भीय पानी के बेरोकटोक शोषण की वजह से पहले ही खतरे में हैं.

इस एक्‍वीफर पर समुद्र जल स्‍तर में बढ़ोतरी और लहरों के प्रभाव के असर को जानने के लिए 35 वर्ग किलोमीटर के इलाके का अध्‍ययन किया गया. इसके पूर्व में बंगाल की खाड़ी, उत्‍तर में अड्यार नदी, पश्चिम में बकिंघम कैनाल और दक्षिण में मुत्‍तुकाडू बैकवॉटर हैं. इस शोध के लिए अलग-अलग जगहों पर 30 बोरवैल खोदे गए. यह इलाका चारों तरफ से पानी से घिरा है और यहां समुद्री पानी के आने का जोखिम बहुत ज्‍यादा है.

पिछले 50 वर्षों के लिए, हिमालय के ग्‍लेशियर पिघलने की वजह से बंगाल की खाड़ी में एक वर्ष में समुद्र तल में 3.6 मिमी वृद्धि दर्ज की गई है. बंगाल की खाड़ी के जलस्‍तर में वृद्धि अन्य एशियाई क्षेत्रों की तुलना में अधिक दिखाई देती है. इस रिसर्च ने 2007 की एक रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा, ‘समुद्री जल स्तर में एक मीटर की वृद्धि तटीय इलाकों के अधिकतम 60 किमी में पानी भर सकती है. ‘

भारत के इन खूबसूरत डैम को देखकर आपकी सांसे थम जाएंगी

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भारत देश में कई बांध बने हुए हैं जो पर्यटकों के लिए भी आकर्षक का केंद्र बनते हैं कई बांध पर दो टूरिस्ट स्पॉट भी बना हुआ है जहां जाकर वहां उन शानदार नजारों का आनंद ले सकते हैं आज हम आपको भारत देश के पांच ऐसे बांध के बारे में बताएंगे जो सबसे खूबसूरत हैं।

Salaulim Dam

Salaulim नदी पर बना बांध काफी आकर्षक है इसका डिजाइन दूसरे बांधों से बहुत ही अलग है आप यहां पर पूरा दिन बिता सकते हैं क्योंकि यह एक टूरिस्ट स्पॉट भी है इस बांध के आसपास के कई झरने और यहां के खूबसूरत नजारे देख कर हर किसी की सांसे थम जाती है.

Sardar Sarovar Dam

गुजरात में नर्मदा नदी पर बना सरदार सरोवर बांध भारत के सबसे बड़े बांधों में से एक है यहां वाहन गुजरात के कई बड़े इलाकों में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराता है.

Srisailam Dam

कृष्णा नदी पर बना यह बांध बहुत ही विशाल बांध है यह बांध अब तेलगाना में स्थित है इस बांध के आसपास के पहाड़ी क्षेत्र को देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है.

Idukki Dam

केरल में स्थित इस बांध को देखकर आप ऐसा प्रतीत करेंगे जैसे आप विदेश में आ गए हो क्योंकि इस तरह का बांध सिर्फ आप ने विदेशों में ही देखा होगा हालांकि भारत के इस बांध के बारे में बहुत कम व्यक्ति जानते हैं.

Tehri Dam

भागीरथी नदी पर बना यह बांध भारत का सबसे ऊंचा बांध है इस बांध से ही संपूर्ण उत्तराखंड के पानी की आपूर्ति होती है.

बेगूसराय प्रत्याशी कन्हैया के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज

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बिहार में बेगूसराय लोकसभा सीट से वामपंथी दलों के साझा उम्मीदवार एवं जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उनके समर्थकों के खिलाफ मारपीट करने के आरोप में बेगूसराय जिले के गढ़पुरा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।

पुलिस के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि कन्हैया कुमार के समर्थकों और स्थानीय लोगों के एक समूह के बीच रविवार को उस समय झड़प हो गई थी जब कुमार गढ़पुरा खंड के कोराय गांव में रोड शो कर रहे थे। आरोप है कि रोड शो के दौरान यहां काले झंडे दिखाए गए थे, उसके बाद कन्हैया के समर्थकों ने विरोध करने वालों से मारपीट की थी।

गढ़पुरा के थाना प्रभारी प्रतोश कुमार ने बताया कि कोराय गांव निवासी कुमार राहुल के लिखित बयान के आधार पर गढ़पुरा थाने में मारपीट के आरोप में एक प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें कन्हैया कुमार समेत 12 लोगों को नामजद आरोपी और 100 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है। उन्होंने बताया कि पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है।

बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में कन्हैया कुमार का मुकाबला केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के तनवीर हसन से है।

अक्षय ने दिया जवाब : ट्वीट देख पूछने लगे फैंस, BJP में जा रहे हैं?

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बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार ने आज एक ट्वीट क्या किया ट्विटरबाजों ने कयासबाजी शुरू कर दी कि वो बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं. जब सोशल मीडिया से लेकर टीवी चैनलों तक ये खबर सामने आग की तरह फैलने लगी तो खुद अक्षय को ट्वीट करके सफाई देनी पड़ी.

सबसे पहले हम बताते हैं कि आखिर अक्षय ने अपने ट्वीट में ऐसा क्या लिख दिया कि लोग ये कयास लगाने लगे.

मैं ऐसा कुछ कर रहा हूं, जो मैंने पहले कभी नहीं किया. मैं उत्साहित और नर्वस दोनों हूं.

इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर अक्षय के फैंस अटकलें लगाने लगे कि वह बीजेपी ज्वाइन कर लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं.

कुछ ट्विटर यूजर्स ने तो यहां तक ऐलान कर दिया कि अक्षय कुमार कहां से चुनाव लड़ेंगे.

4 घंटे में जब कयासबाजी कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी तो खुद अक्षय कुमार ने ट्वीट कर ये साफ कर दिया कि वो ना तो राजनीति में आ रहे हैं और ना ही चुनाव लड़ने की कोई योजना है.
वैसे अक्षय कुमार के बीजेपी ज्वाइन करने की खबरें अक्सर मीडिया में आती रही हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह हैं अक्षय कुमार की पीएम मोदी से करीबी. अक्षय कई मौकों पर सरकार की कई योजनाओं की तारीफ करते रहे हैं. यहां तक कि उन्होंने ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ फिल्म भी बनाई. इस फिल्म की खुद पीएम मोदी ने तारीफ की थी.

(पीएम मोदी के साथ अक्षय कुमार )

अक्षय कुमार की चुनाव लड़ने की खबरों के बीच कुछ लोगों ने उनके नागरिकता पर भी सवाल पूछ दिया कि आखिर वो कैसे चुनाव लड़ेंगे. क्योंकि अक्षय कुमार के पास कनाडा की नागरिकता है. वैसे मीडिया में जब भी अक्षय के चुनाव लड़ने की खबर आती है, तो यही सवाल उठना है. लेकिन अक्षय की तरफ से कभी भी उनकी नागरिकता को लेकर कोई बयान नहीं आया.

नफ़रत और घृणा से भरा भाजपा का चुनावी अभियान

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भाजपा की मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने की रणनीति के परिणाम भयावह होंगे.

मेनका गांधी का भगवा खेमे में होना एक संयोग है. वे संघी संस्कृति में पली-बढ़ी नहीं हैं और 1989 से शुरू करके पहले जनता दल, फिर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पीलीभीत से (और एकबार आंवला से) जीतकर संसद पहुंचीं.

इस तरह कह सकते हैं कि अपने क्षेत्र में उनका अपना राजनीतिक रसूख है; लेकिन यह भी सच है कि एक निर्दलीय उम्मीदवार इतना ही कर सकता है. इसलिए 2004 में वे भाजपा में शामिल हो गईं और उनका जीत का रिकॉर्ड तब से बरकरार रहा है. 2009 में उनके बेटे वरुण गांधी पीलीभीत से चुनाव लड़े और जीते.

भाजपा अपने लक्ष्यों के प्रति पूर्ण समर्पण की मांग करती है और नए आगंतुकों से केंद्रीय एजेंडे के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करने की उम्मीद की जाती है.

दो चुनावों के बीच के समय में मां पशु कल्याण के अपने पसंदीदा शगल के लिए काम करती हैं और बेटा गरीबी पर विद्धतापूर्ण लेख और कविताएं लिखता है. लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान उनसे पार्टी की भाषा बोलने की उम्मीद की जाती है- जिसमें अल्पसंख्यकों को अपशब्द कहना और नेहरू-गांधी परिवार, यानी जिस परिवार से वे आते हैं, उसकी आलोचना करना शामिल है.

ऐसा लगता है कि मेनका और वरुण भाजपा के वफादारी के इम्तिहान को अच्छे अंकों से पास करने की उम्मीद कर रहे थे.

इसलिए 2009 में 29 वर्ष के वरुण गांधी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के मुस्लिमों को धमकी दी कि अगर वे हिंदुओं की ओर उंगली भी उठाएंगे, तो वे उनके हाथ काट देंगे. इस बार उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपने नेता नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि मोदी ने उनके परिवार से बने प्रधानमंत्रियों से भी ज्यादा भारत का सम्मान बढ़ाया है.

दूसरी तरफ उनकी मां ने पार्टी के एजेंडे पर चलते हुए अपने निर्वाचन क्षेत्र के मुसलमानों को कहा है कि अगर वे उन्हें वोट नहीं देते तो उन्हें उनसे मदद की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. खबरों के मुताबिक उन्होंने कहा था, ‘मैं यह चुनाव पहले ही जीत चुकी हूं, इसलिए फैसला आपको करना है.’

उन्नाव में मुस्लिमों के उग्र विरोधी साक्षी महाराज, जिन पर अतीत में हत्या और बलात्कार का आरोप लगा था, कहा कि अगर वे उन्हें वोट नहीं देंगे, तो उन्हें इसका पाप लगेगा.

चुनाव वह समय होता है, जब उम्मीदवार लोगों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ता और मतदाताओं से हर तरह के वादे करता है. पहले के चुनावों में खुलेआम सांप्रदायिक भाषण देनेवाले नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपना स्वर बदलते हुए मुख्य तौर पर भ्रष्टाचार और रोजी-रोटी के मसलों, आर्थिक विकास और रोजगार आदि के बारे बात की थी.

उन्हें यह बात अच्छी तरह से मालूम थी कि मतदाता यूपीए से त्रस्त थे और उन्हें नए विचारों और दृष्टि वाले वास्तविक विकल्प की तलाश थी.

इस बार बदला सुर

इस बार जबकि मोदी ओर उनकी पार्टी के पास आर्थिक विकास के मोर्चे पर दिखाने के लिए कुछ नहीं है और उनकी सरकार क्रोनी-कैपिटलिज़्म के आरोपों से घिरी है, मोदी और उनकी पार्टी ने अपने सुर बदलने का बदलने का फैसला किया है- वे मतदाताओं को उनका समर्थन करने के लिए धमका और डरा रहे हैं.

मतदाताओं को खासकर हिंदुओं में डर भरने के लिए शत्रुओं- वास्तविक या काल्पनिक, देश के भीतर के या बाहर के- को खड़ा किया जा रहा है.

इस बारे में कोई बात नहीं की जा रही है कि अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए भाजपा सरकार द्वारा क्या किया जाएगा- इसकी जगह पार्टी खुलेआम यह कह रही है कि पार्टी हर तरह के दुश्मनों- तथाकथित बाहरियों से लेकर विरोधियों तक के खिलाफ कठोर नीतियां अपनाएगी.

राजनाथ सिंह- जो मोदी और अमित शाह जैसे कट्टरपंथियों की तुलना में ज्यादा संतुलित माने जाते हैं- ने ऐलान किया है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में वापस आती है, तो वह राजद्रोह कानून को इतना सख्त बनाएगी कि ‘उनकी रूह कांप जाएगी’.

यहां ‘उनके’ या ‘वे’ से मतलब हर तरह के ‘देशद्रोहियों’ से है. इसके भीतर वे सब आ सकते हैं, जो कठिन सवाल पूछते हैं या सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करते हैं.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने यह खुलकर कहा है कि अगर उनकी पार्टी जीतती है, तो ‘बौद्ध, हिंदू और सिख’ के अलावा हर घुसपैठिए को देश से निकाल बाहर किया जाएगा. इसका अर्थ यह निकलता है कि किसी मुस्लिम शरणार्थी को देश में घुसने नहीं दिया जाएगा. लेकिन यह उनके बयान की उदार व्याख्या होगी. इसका असली अर्थ स्पष्ट है: मुसलमानों (और ईसाइयों) को यह पता होना चाहिए कि वे तब तक संदेह के घेरे में आएंगे, जब तक वे खुद को इसके विपरीत साबित न कर दें.

और अगर उन्हें भारत में रहने की इजाजत दे भी दी जाती है, तो इसके लिए उन्हें काफी कुछ सहना होगा. यह विचार मुसलमानों और ईसाइयों को भारत का मूलनिवासी नहीं मानता और उन्हें किसी बाहरी शक्ति के प्रति वफादार मानता है. यह भाजपा और संघ परिवार का पुराना बुनियादी सिद्धांत रहा है, लेकिन अब इसकी घोषणा खुले तौर पर की जा रही है.

नागरिकता (संशोधन) विधेयक ने उत्तर-पूर्व में तूफान खड़ा कर दिया है, लेकिन इससे तौबा करने की जगह, भले चुनाव के दौरान ऐसा रणनीतिक तौर पर ही किया जाता, भाजपा ने उन सबको चुन-चुनकर देश से बाहर निकालने की अपनी योजना को आगे बढ़ाने का ही काम किया है, जिन्हें वह विदेशी मानती है.

यह सोचना कि इससे हिंदू वोटों को लामबंद करने में मदद मिल सकती है, इस आक्रामकता की अधूरी व्याख्या होगी. भाजपा पूरी शिद्दत के साथ इस बात में यकीन करती है कि हिंदू ही भारत के एकमात्र असली वारिस और नागरिक हैं और बाकी किसी न किसी तरह से भारत में अनाधिकार प्रवेश करने वाले हैं.

पार्टी के भीतर कुछ लोग यह भी मानते हैं कि मोदी सरकार ने कुछ ज्यादा ही देर कर दी और उन्हें इस विधेयक को शुरू में ही लाना चाहिए था, जब इसे कहीं ज्यादा समर्थन और प्रेम हासिल था. ऐसा होता, तो अब तक यह पारित भी हो चुका होता.

पुराने हथकंडों पर भरोसा

भाजपा ने पिछले दिनों चुनाव के लिए जिन भी रणनीतियों को आजमाया, उनमें से कई लोगों के बीच उम्मीद के मुताबिक लोकप्रिय नहीं हो सके- पुलवामा और बालाकोट के सहारे राष्ट्रवाद का उफान लाने की कोशिश पर तुरंत पानी फिर गया.

राज्य स्तरीय गठबंधन भाजपा के सामने असली चुनौती पेश कर रहे हैं. अब भाजपा अपने आजमाए हुए हथकंडों- मुसलमानों को अलग-थलग करके हिंदू ध्रुवीकरण करने और नेहरू-गांधी परिवार की नाकामियों के पुराने और थके हुए घोड़े पर चाबुक बरसाने- को फिर से आजमा रही है.

गांधी परिवार पर हमला बोलना भाजपा को भी सवालों के कठघरे में खड़ा कर देता है, क्योंकि भाजपा में खुद वंशवादियों की कमी नहीं है. लेकिन गांधी परिवार के अपराधों और गलतियों की लंबी फेहरिस्त अपने वफादारों तक पहुंचने में हमेशा मददगार साबित होती है.

यह हथकंडा अपने समर्पित भक्तों के अलावा बाकियों को कितना प्रभावित कर पाता है और क्या यह संकटों का सामना कर रहे किसानों, मुसीबत झेल रहे छोटे कारोबारियों और बेरोजगार स्नातकों को दिलासा दे पाने के लिए काफी हो पाएगा, यह देखने की बात है.

पार्टी द्वारा उठाए जानेवाले मुद्दे अब थके हुए और मुरझाए से लगने लगे हैं और उनमें कुछ भी नयापन नहीं है. लेकिन खुली धमकियां निश्चित तौर पर एक अब तक अनदेखी-अनसुनी थीं. अतीत में राजनेताओं ने कभी भी इतने प्रत्यक्ष तौर पर अपने नागरिकों को चेतावनी नहीं दी थी. काल्पनिक दानव खड़ा करना एक आजमाई हुई राजनीतिक रणनीति है और यह अक्सर कामयाब भी होती है.

दरार गहरी करने की राजनीति

लेकिन भाजपा की मौजूदा रणनीति, जो हिटलर द्वारा यहूदियों, स्तंभकारों और जर्मनी की बहुसंख्यकवादी लोकशाही के लिए अन्य आंतरिक चुनौतियों के सतत दमन की याद दिलाती है, हमारे राजनीतिक शब्दकोश में शामिल हुई एक डरावनी चीज है.

इससे समाज का एक बड़ा तबका अलग-थलग होगा और इसकी आखिरी नतीजा चाहे जो कुछ भी हो, यह देश के नागरिकों के बीच धर्म के आधार पर एक गहरी दरार पैदा करेगा.

मुसलमानों और अन्यों को संदेह की निगाहों से भारत में बाहरी के तौर पर और देश के प्रति शत्रुता भाव रखनेवाले के तौर पर देखा जाएगा. यह संदेह कई रूपों में खुद को प्रकट करेगा- कभी हिंसक तरीके से तो कभी निगरानी के तौर पर. मजबूत जवाबी आवाज की गैर-मौजूदगो में, नागरिकों की समानता के विचार के पक्ष में बोलनेवाला कोई नहीं मिलेगा.

दूसरे, ज्यादा गंभीर पार्टियों को इस दानव का मुकाबला पूरी ताकत के साथ करने की जरूरत है. कांग्रेस ने कहा है कि वह राजद्रोह के ब्रिटिश कालीन कानून को समाप्त करेगी, जो काबिले तारीफ है, लेकिन उसे इससे ज्यादा करने की जरूरत है.

यह चुनाव गुजर जाएगा, लेकिन भाजपा ने भारतीय नागरिकों के प्रति जिस नफरत को भड़काया है, वह जल्दी समाप्त नहीं होगी. इस चुनाव को जीतने के लिए भाजपा ने एक ऐसा दानव छोड़ दिया है, जो हमारे बीच लंबे समय तक रहेगा.