छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अहम निर्णय सुनाते हुए कहा है, कि शासन स्तर पर यदि आरक्षण के नियमों में किसी प्रकार का पेंच फंसा है, तो मौजूदा में जो आरक्षण सिस्टम लागू है, उसी लिहाज से काउंसलिंग की जाए।
छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर उपजे संकट के बीच बिलासपुर हाईकोर्ट का बड़ा आदेश आया है। अदालत ने पुराने आरक्षण सिस्टम से ही बी फार्मेसी और डी फार्मेसी की काउंसलिंग पूरी करने का निर्देश दिया है। अदालत ने डायरेक्टर तकनीकी शिक्षा को निर्देश जारी करते हुए कहा है, कि 31 दिसंबर के पूर्व हर हाल में बी फार्मेसी और डी फार्मेसी की काउंसलिंग प्रक्रिया पूर्ण की जाए।
गौरतलब कि सुप्रीम कोर्ट ने फार्मेसी कॉलेजों में प्रवेश के लिए 31 दिसंबर तक की मियाद जारी की है। अब यदि इस तारीख के पूर्व काउंसलिंग नहीं हो पाने से सत्र ज़ीरो ईयर घोषित हो जाएगा और अगले सत्र में ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। इस स्थिति से फार्मेसी के सैकड़ों विद्यार्थी परेशान थे, बी फार्मेसी डी फार्मेसी में प्रवेश के लिए पीपीएचटी परीक्षा के बाद तकनीकी शिक्षा विभाग की तरफ से बीते 7 सितंबर को नोटिफिकेशन जारी किया गया, कि जारी रिजल्ट के आधार पर काउंसलिंग होगी, और गाइडलाइन भी जारी की थी, किन्तु काउंसलिंग की तिथि नहीं बताई थी, काउंसलिंग की प्रक्रिया पूर्ण न होने पर परेशान विद्यार्थियों ने एडवोकेट क्षितिज शर्मा के माध्यम काउंसलिंग की मांग को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
प्रकरण की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच में हुई, सुनवाई के दौरान तकनीकी शिक्षा विभाग की तरफ से अदालत को बताया गया, कि आरक्षण पर निर्णय नहीं होने के कारण ही काउंसलिंग रूकी है। दूसरी तरफ याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि काउंसलिंग नहीं होने से कई छात्रों का पूरा वर्ष खराब हो जाएगा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा है, कि शासन स्तर पर यदि आरक्षण के नियमों में किसी प्रकार का पेंच फंसा है तो मौजूदा में जो आरक्षण सिस्टम लागू है, उसी लिहाज से काउंसलिंग की जाए, हाईकोर्ट के आदेश से हजारों छात्रों को लाभ होगा।