कोलोसियम जिसे रोम के शासकों ने अपने मनोरंजन के लिए बनवाया था जो हार जाते थे उनके साथ होती थी क्रूरता’ग्लैडीएटोरियल खेलों को रोमन सम्राटों ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन बना लिया.
सम्राट क्लॉडियस ने एक नया नियम बनाया, इसके तहत खेल में अपनी हार स्वीकारने वाले या गिर जाने वाले ग्लेडियेटर्स का गला काटने का आदेश दिया. वह हर उस योद्धा के चेहरे के भाव देखता था, जिसका गला काटा जा रहा होता था. इतिहासकार मानते हैं कि उसे ये देखकर आनंद आता था. इस पेशेवर लड़ाई में जो जीतता था उसे प्रतिष्ठा के साथ-साथ आर्थिक तौर पर भी फायदा पहुंचाया जाता था.
– सेक्स के बाद अपने प्रेमियों को मार डालती थी ये खूबसूरत महारानी ग्लेडिएटर कौन होते थे ग्लेडिएटर प्राचीन रोम के पेशेवर लड़ाके थे. रोम के शासकों के मनोरंजन के लिए इन्हें आपस में लड़ना होता था. कई बार इन्हें जंगली जानवर, मसलन हाथी, बाघ, शेर आदि से लड़ने के लिए भी छोड़ दिया जाता था. सेना से हटाए गए सैनिक, ऐसे लोग जिनका बहिष्कार कर दिया जाता था वे भी ग्लेडियेटर बन जाते थे.
एक पेशेवर ग्लेडिएटर ये जानता था कि कभी न कभी उसकी मौत निश्चित है, लेकिन उन्हें ये सिखाया जाता था कि वे अपनी मौत से न डरें. इतिहासकार बताते हैं कि प्राचीन रोम में मौत की दर अधिक थी, ज्यादातर लोग भूख या बीमारी से मर जाते थे, इसीलिए ग्लेडिएटर ऐसा मानते थे कि भूख या बीमारी से मरने से अच्छा है कि वह हथियार चलाकर मरें. ग्लेडिएटर को कई बार जानवरों से लड़ाया जाता था. मौत से कैसा मनोरंजन ?
ग्लेडिएटरों के बीच मरने-मारने की लड़ाई को रोम का अभिजात्य वर्ग मनोरंजक मानता था. दरअसल रोमन के लिए अजनबियों का जीवन कोई मायने नहीं रखता था. इनमें से ज्यादातर ग्लेडिएटर वे होते थे जो या तो राजा के गुलाम होते थे, अपराधी थे या कैदी या फिर वे जिसका समाज से बहिष्कार कर दिया जाता था. कोलोसियम में जो दर्शक मौजूद हेाते थे उनमें भावनात्मक ज्वार उमड़ता था, वे किसी एक पक्ष के साथ जुड़कर उसकी जीत या हार से खुद को जोड़ लेते थे. कई बार आम नागरिकों के लिए ये जुआ खेलने का भी अवसर बन जाता था.