दुनिया के जाने माने भौतिक और अंतरिक्ष विज्ञानी स्टीफन हाकिंग को आशंका थी कि वर्ष 2100 के खत्म होते – होते धरती पर मानव प्रजाति के सामने दुश्वारियां आने लगेंगी. जीवन मुश्किल हो जाएगा.
लिहाजा हमें दूसरे ग्रहों पर मानव कॉलोनियां बनाने के काम में जुट जाना चाहिए. वर्ष 2018 में अपने निधन से पहले वह इस काम में बहुत गंभीरता से जुटे हुए. एलियंस के साथ संपर्क साधने के लिए एक खास प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे.
निधन से पहले वह भाषणों में इसे लेकर हिदायत देते थे. बार बार कहते थे कि सैकड़ों सालों में मनुष्य और धरती पर रहने वाली दूसरे जीव-जंतुओं की प्रजातियां तभी बची रह सकती हैं जबकि हम अन्य अनुकूल ग्रहों पर डेरा बसाएं.
जब उन्होंने पहली बार ये बात कही तो उनका मजाक भी उड़ा लेकिन फिर धीरे धीरे दुनिया उनकी बातों से सहमत होने लगी. धरती पर हो रहे बदलाव ये संकेत देने लगे हैं कि अब आने वाले बरसों के साथ इंसान का जीवन यहां मुश्किल में पड़ने वाला है.
सच हो रहा है उनका कहा
स्टीफन ने कई साल पहले जो वजहें गिनाईं थीं, वो अब सच हो रही हैं. माना जा रहा है कि अगले 50 सालों बाद धरती का तापमान इतना बढ़ जाएगा कि यहां रहना मुश्किल होता जाएगा. वर्ष 2100 तक आते-आते कृषि को बचाकर रख पाना मुश्किल हो जाएगा. धरती से पानी का लोप होने लगेगा. ऐसी स्थिति में हमें वैकल्पिक साधनों की ओर देखना होगा.
क्या होने लगेगा
स्टीफन हाकिंग कहते थे कि भविष्य में मौसम की तब्दीलियों के साथ नाभिकीय युद्ध या उल्का पिंडों की बौछार भी पृथ्वी के जीवन पर प्रतिकूल असर डाल सकती है. ऐसे में मानवीय जिंदगी को बरकरार रखने के लिए वैकल्पिक रास्तों पर चलना ही समय का तकाजा है.
वो एलियंस से संपर्क साध रहे थे
वो पिछले कुछ सालों से ऐसे प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहे थे, जिससे धरती का संपर्क आकाशगंगा या सौरमंडल के अन्य ग्रहों पर रहने वालों से हो सके. इसके लिए कुछ संकेतनुमा फ्रीक्वेंसी उपकरणों के माध्यम से अंतरिक्ष में फेंकी जा रहीं थीं. हालांकि इसके आलोचक भी हैं, जो इसे खतरनाक बताते हैं.
आगाह करने वाले कहते हैं कि ऐसा करने से हम एलियंस को आमंत्रित कर खुद आफत बुलाएंगे. इस प्रोजेक्ट के तहत अमेरिका सहित कई जगहों पर बड़ी बड़ी टेलीस्कोप लगाई गईं थीं. उनसे सिगनल भेजे जाते थे. 100 मिलियन डॉलर के इस प्रोजेक्ट में लगे वैज्ञानिकों ने दावा भी किया था कि उन्होंने बाहरी दुनिया से आ रहे कुछ संकेतों को पकड़ा भी है.
फिजिक्स का अच्छा समय आने वाला है
स्टीफन ने ऑक्सफोर्ड यूनियन डिबेटिंग सोसाइटी में भाषण में कहा था कि इंसान यूनिवर्स के सबसे छोटे हिस्सों में एक है. फिर भी उसने अपनी एक समझ विकसित कर ली है. उनकी राय में रिसर्च और थ्योरिटिकल फिजिक्स के लिहाज से अच्छा वक्त आने वाला है.
क्या था हॉकिंग का मिशन, किसने दिया था पैसा
एलियंस से संपर्क साधने के लिए रूसी-इजरायली अरबपति और सिलिकॉन वैली के इन्वेस्टर यूरी मिलनर ने हॉकिंग के सर्च मिशन के लिए दस करोड़ डॉलर की मदद दी थी. इसके जरिए ब्रिटिश साइंटिस्ट स्टीफन हॉकिंग ये देख रहे थे कि अनंत ब्रह्रांड में क्या हमारे अलावा भी कहीं और कोई जीवन है.
हालांकि हॉकिंग कहते थे ब्रह्मांड में बेशक हमसे कहीं ज्यादा उन्नत सभ्यता जरूर होगी, वो लोग विज्ञान से लेकर तकनीक तक में हमसे बहुत आगे हो सकते हैं. अगर कभी उन्होंने पृथ्वी की रुख किया तो यहां के निवासियों के प्रति आक्रामक हो सकते हैं. हो सकता है कि तब वो यहां हमला करें और पृथ्वी को अपनी कॉलोनी बना लें.
अब क्या है इस मिशन की स्थिति
जब हॉकिंग और मिलनर ने मिलकर इस प्रोजेक्ट को शुरू किया था तो इसका लक्ष्य 10 सालों के लिए रखा गया था. जिसमें वो लोग पृथ्वी के करीब दूसरे मिल्की वे में हर ग्रह पर नजर डालते. उनके बारे में मालूम करते कि वहां जीवन की क्या स्थिति है. उनका टारगेट करीब एक लाख सितारों और ग्रहों तक पहुंचने का था. वो लोग लगातार बहुत पॉवरफुल सिगनल अंतरिक्ष में फेंक रहे थे. जिसके बारे में माना जाता है कि वो काफी दूर तक जा रहे थे.
ये मिशन अभी भी काम कर रहा है. इस पर वैज्ञानिक काम कर रहे हैं. इस मिशन को अब दुनिया में स्टारशाट ब्रेकथ्रो इनिसिएटिव मिशन के तौर पर जाना जाता है इसके जरिए ना केवल स्पेस के हर हिस्से में स्टारशिप के जरिए पहुंचा जाएगा बल्कि उसकी पूरी जानकारी भी हासिल की जाएगी. मूलतौर पर ये शुरू में 10 साल के लिए था लेकिन मोटे तौर पर इसे 30-40 सालों के लिए बढ़ाते रहा जाएगा.