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सोमालिया में युगांडा के 54 सैनिकों की हत्या, तालिबान से ट्रेंनिग लेने वाले संगठन अल-शबाब पर लगा ये इल्जाम

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सोमालिया में अफ्रीकी संघ के शांति सैनिकों के ठिकाने पर युगांडा के 54 सैनिकों की मौत हो गई है। युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने शनिवार को इसकी पुष्टि की है। राष्ट्रपति मुसेवनी ने इसके लिए अल-शबाब आतंकी संगठन को जिम्मेदार ठहराया है।

राष्ट्रपति मुसेवेनी का ये बयान अल-शबाब के संदिग्धों द्वारा सोमाली राजधानी मोगादिशु से 130 किलोमीटर (80 मील) दक्षिण-पश्चिम में बुला मारेर में ठिकाने पर धावा बोलने के एक सप्ताह बाद आया है।

सशस्त्र समूह अल-शबाब ने दावा किया कि उसने 26 मई को कई आत्मघाती बम हमले किए और 137 सैनिकों को मार डाला। हालांकि, मुसेवेनी ने कहा कि युगांडा पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज ने बहादुरी दिखाते हुए फिर से बेस पर कब्जा कर लिया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे सैनिकों ने जबरदस्त साहस दिखाया और खुद को पुनर्गठित किया। जिसके परिणामस्वरूप मंगलवार तक बेस पर फिर से कब्जा लिया गया। इससे पहले मुसेवेनी ने कहा था कि युगांडा के लोग हताहत हुए हैं। लेकिन, उन्होंने सैनिकों पर हमले के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी थी।

क्या है अल-शबाब ?

अल-शबाब सोमालिया का एक इस्लामिक आतंकी संगठन है। ये संगठन साल 2006 में अस्तित्व में आया। अल शबाब का पूरा नाम हरकत अल-शबाब अल-मुजाहिद्दीन है। अल शबाब अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है ‘तरक्की का दौर’। अल-शबाब आतंकी संगठन सोमालिया के अलावा इथियोपिया और केन्या में सक्रिय है और इसका नेटवर्क, अफ्रीका से निकलकर यूरोप और अमेरिका तक फैल चुका है।

इसे अमेरिका का नजदीकी संगठन माना जाता है। अल-सबाब वहाबी इस्लाम को मानता है। इस संगठन का उद्देश्य सोमालियाई सरकार को सत्ता से हटाना है। अमेरिका ने 2008 में अल शबाब को आतंकी संगठन घोषित किया था।

अल-शबाब के बडे हमले ?

  • 2017 – मोगादिशू शहर में ब्लास्ट। 275 लोगों की जान गई।
  • 2016- केन्या के सैन्य शिविर पर हमला। 180 सैनिकों की मौत।
  • 2015- केन्या की यूनिवर्सिटी पर हमला। 148 छात्रों की मौत।