यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर केंद्र सरकार पूरी तरह से एक्शन मोड में आ गई है. सरकार जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र में ही इसे पेश कर सकती है.
संसद की एक स्थायी समिति ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर अलग-अलग पक्षों और हितधारकों के विचार मांगने के लिए लॉ पैनल की ओर से जारी नोटिस पर 3 जुलाई को लॉ कमीशन और कानून मंत्रालय के प्रतिनिधियों को चर्चा के लिए बुलाया है.
यूसीसी बिल को मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है. इसके बाद बिल को संसद की स्थायी समिति के पास जाएगा जो इस मुद्दे पर अलग-अलग हितधारकों की राय को सुनेगी और फिर उस पर विचार करेगी. लॉ कमिशन ने 14 जून, 2023 को यूसीसी को लेकर एक पब्लिक नोटिस जारी किया था और विभिन्न हितधारकों से उनकी राय मांगी थी. सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार शाम तक लॉ पैनल को इस मुद्दे पर करीब 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिल चुकी थी.
खुद प्रधानमंत्री मोदी ने की यूसीसी की वकालत
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भोपाल में बीजेपी के बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड की वकालत की थी. पीएम ने कहा था कि देश के कुछ राजनीतिक दल वोट बैंक के मुद्दों पर मुस्लिम भाई-बहनों को भड़का रहे हैं. उन्होंने यूसीसी का जिक्र करते हुए लोगों से पूछा था कि क्या एक परिवार में दो नियम हो सकते हैं?
पीएम मोदी ने सुप्रीम कोर्ट का जिक्र करते हुए कहा, यहां तक की अदालत भी यूसीसी की वकालत कर चुकी है, लेकिन वोट बैंक की राजनीति करने वाले लोग इसका विरोध कर रहे हैं. पीएम की ओर यूसीसी की वकालत ऐसे समय में की गई है जब 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं. यूसीसी का मुद्दा कई सालों से चर्चा में रहा है लेकिन इस बार पीएम की ओर से वकालत किए जाने के बाद यह साफ हो चुका है कि सरकार इस मुद्दे पर कदम आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार है.