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अमित शाह से मुलाकात करेंगे अजित पवार-प्रफुल्ल पटेल, NCP को मिल सकते हैं 4 मंत्री पद

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महाराष्ट्र में अजित पवार के एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होने के 10 दिन बाद भी उन्हें और उनके समर्थकों को विभाग नहीं मिल पाए हैं. विभाग बंटवारे के मुद्दे पर बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) में मंथन का दौर जारी है.

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजित पावर में भी तीन दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई हल निकलता नहीं दिख रही है. इसी बीच अब अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल ने दिल्ली का रुख किया है. बताया जा रहा है कि वे यहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे.

महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार को लेकर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के साथ अपने आवास पर बैठक की. सूत्रों के मुताबिक, सीएम एकनाथ शिंदे कैबिनेट विस्तार के बाद ही विभागों के बंटवारे की घोषणा पर अड़े हैं.

2 जुलाई को अजित पवार एनसीपी चीफ शरद पवार से बगावत कर शिंदे सरकार में शामिल हो गए. उन्हें सरकार में डिप्टी सीएम बनाया गया है. इसके अलावा उनके 8 विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली थी. हालांकि, अजित समेत किसी भी नेता को विभाग नहीं मिले हैं. ऐसे में अजित पवार अब अपनी पार्टी के नेताओं के लिए प्राथमिकता के आधार पर पोर्टफोलियो मांग रहे हैं.

NCP को मिल सकते हैं चार मंत्री पद

महाराष्ट्र में कुल 42 मंत्री पद हैं. इनमें से 14 अभी खाली हैं. सूत्रों के मुताबिक, अजित पवार को चार मंत्री पद दिए जा सकते हैं. जबकि बीजेपी और शिंदे गुट को 5-5 मंत्री पद मिलेंगे. हालांकि, बीजेपी विधानसभा मानसून सत्र के बाद विस्तार पर जोर देने को तैयार है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जब से एनसीपी को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, तब से बड़ी संख्या में शिवसेना और भाजपा के असंतुष्ट विधायकों की नजर मंत्री पद पर है.

सूत्रों ने यह भी संकेत दिया है कि अजित पवार वित्त, ऊर्जा, आवास और जल विभाग मांग रहे हैं. हालांकि, एकनाथ शिंदे किसी भी शिवसेना के मौजूदा मंत्री को हटाने या विभाग बदलने के पक्ष में नहीं हैं. सूत्रों ने बताया कि अटकलें यह भी हैं कि भाजपा वरिष्ठ मंत्रियों को हटा सकती है और उन्हें महत्वपूर्ण संगठनात्मक पद देने के पक्ष में नहीं है. ऐसे में पार्टी को असंतोष की उम्मीद है. ऐसे में बीजेपी आगामी चुनावों से पहले विस्तार में देरी के पक्ष में है.