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अमेरिका तय करेगा भारत में पेट्रोल सस्ता होगा या महंगा?

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मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 94 डॉलर के करीब हैं. जबकि 15 सितंबर को कारोबारी सत्र के दौरान दाम 95 डॉलर के करीब पहुंच गए थे. जानकारों को उम्मीद है कुछ हफ्तों में दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच सकते हैं.

उसका कारण सऊदी अरब और रूस की ओर से प्रोडक्शन कट को दिसंबर महीने तक बढ़ाना है. वहीं दूसरी ओर लीबिया में तूफान और चीन जैसे देशों की ओर से डिमांड की वजह से लगातार कच्चे तेल की कीमत में तेजी देखने को मिल रही है. जिसकी वजह से भारत जैसे देशों की धड़कनें लगातार बढ़ रही है.

इसका कारण भी है. अगर कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल पर बनी रहती है तो भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत में इजाफा होना तय है. भारत की ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पिछले एक साल में मुनाफे में लौटी हैं. कैलेंडर वर्ष की चौथी तिमाही में देश के 5 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में सरकार नहीं चाहती कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत में इजाफा हो. वहीं दूसरी ओर अमेरिका में भी गैसोलीन की बढ़ती कीमतों की वजह से महंगाई में इजाफा देखने को मिला है.

ऐसे में अब कई बड़े सवाल सामने खड़े हो चले हैं. आखिर महंगाई की इस रफ्तार पर ब्रेक लगाई कैसे जाए? क्या अब वाकई अमेरिका को इस मामले में सामने आना होगा? क्या अब अमेरिका को ही अपना क्रूड ऑयल प्रोडक्शन बढ़ाना होगा? और सबसे बड़ा सवाल क्रूड ऑयल और गैसोलीन की कीमतों में कम करने के लिए अमेरिका को अपने स्ट्रैटिजिक रिजर्व की ओर देखना होगा? उसे बाहर निकालकर रूस और सऊदी अरब को संदेश देना होगा? साथ ही कहना होगा कि मनमानी बहुत हो चुकी, अब ओपेक और ओपेक प्लस को प्रोडक्शन बढ़ाना होगा और कीमतों में कमी लानी होगी.

आइए आज सिलेसिलेवार तरीके से समझने की कोशिश करते हैं कि अगर अमेरिका इन सवालों के जवाब के साथ सामने आता है तो भारत में पेट्रोल और डीजल कितना सस्ता हो सकता है और अगर नहीं तो फ्यूल के दाम में कितनी तेजी देखने को मिल सकती है?

तो शुरुआत क्रूड ऑयल की कीमतों से करते हैं…

इंटरनेशनल मार्केट में शुक्रवार को कच्चे तेल की कीमत में फिर से इजाफा देखने को मिला है और ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम करीब 94 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुए. वैसे कारोबारी सत्र के दौरान कीमतें 95 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंची जरूर थी. उसके बाद बाजार थोड़ा हल्का पड़ा और 94 डॉलर पर सेटल हुआ. वहीं दूसरी ओर अमेरिकी कच्चे तेल डब्ल्यूटीआई के दाम में भी इजाफा देखने को मिला और दाम 91 डॉलर प्रति बैरल के काफी करीब पहुंच गए. ये वो परिस्थिति है जब ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई के बीच अंतर काफी कम रह गया है. जबकि दोनों के बीच का यह अंतर 7 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा होता है. कमोडिटी एक्सपर्ट का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी जारी रहने वाली है.

कुछ हफ्तों 100 डॉलर के पार हो जाएगा क्रूड ऑयल

बैंक ऑफ अमेरिका अपने तौर पर पहले बता चुका है कि कच्चे तेल की कीमतें कैलेंडर वर्ष आखिरी तिमाही में 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती है. वहीं कमोडिटी एक्सपर्ट की यही राय है. कुछ जानकारों का यह तक कहना है कि अगर दिसंबर के बाद भी प्रोडक्शन कट जारी रहा तो कच्चे तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है. खैर यह स्थिति तो सऊदी अरब और रूस पर निर्भर करेगी. ऐसे में मौजूदा समय में और दिसंबर तक की परिस्थितियों को परखने की कोशिश करें तो उन देशों के बीच संकट काफी गहराया हुआ है जो कच्चे तेल के आयात पर डिपेंड हैं. भारत सरकार की चिंताओं में इसलिए भी इजाफा हो रहा है कि अगर कच्चा 100 डॉलर के पार चला जाता है तो पेट्रोल और डीजल की कीमत में इजाफा करना पड़ेगा. कुछ उपाय इंटरनेशनल मार्केट में नहीं किए गए तो परिस्थितियां फिर वहीं आकर खड़ी हासे जाएंगी जो फरवरी-मार्च 2022 में थी.

भारत को अमेरिका से आस

मौजूदा वक्त में सिर्फ अमेरिका ही ऐसा देश है जो मौजूदा और आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभा सकता है. अमेरिका इस मसले पर क्या कदम उठाता? भारत में यही बात तय करेगी कि देश में पेट्रोल और डीजल सस्ता होगा या फिर महंगा? अमेरिका भी अपने तौर पर क्रूड ऑयल का एक्सपोर्टर है. जब से जो बाइडन सत्ता में आए है तब से अमेरिकी कच्चे तेल का प्रोडक्शन कम हुआ है. मौजूदा समय में जिस तरह से कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा हुआ है, ऐसे में क्या अमेरिका अपने प्रोडक्शन में इजाफा कर सकता है. ये अपने आप में बड़ा सवाल है? अगर अमेरिका प्रोडक्शन में इजाफा करता है और अपने तौर पर उन देशों से प्रतिबंध हटाने का सिलसिला शुरू करता है, जिन पर क्रूड ऑयल बेचने पर लगाया हुुआ है तो परिस्थितियां अपने आप अनुकूल हो जाएंगी और ओपेक और ओपेक प्लस को झुकना पड़ेगा.

क्या स्ट्रैटिजिक रिजर्व ओर देखेगा अमेरिका?

ये परिस्थिति अपने आप में काफी अलग होगी. जी हां, मौजूदा समय में सिर्फ भारत या वो विकासशील देश क्रूड ऑयल की कीमतों से परेशान नहीं है जो पूरी तरह से इंपोर्ट से निर्भर हैं. पूरा यूरोप भी काफी परेशानी में है. जोकि कभी अपनी जरुरत का 40 फीसदी से ज्यादा क्रूड ऑयल और नेचुरल गैस इंपोर्ट करते थे. लेकिन यूक्रेन के साथ युद्ध की वजह से यूरोपीय यूनियन और अमेरिका के साथ ब्रिटेन तक ने रूस के क्रूड की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया. ऐसे में अमेरिका कच्चे तेल की कीमतों को स्टेबल करने के लिए अपने क्रूड ऑयल स्ट्रटिजिक रिजर्व की ओर देख सकती है. इंटरनेशनल मार्केट में उसका कुछ हिस्सा जारी कर कच्चे तेल की कीमतों को थामने की कोशिश कर सकती है. अगर आंकड़ों नजर दौड़ाएं तो अमेरिका के पास 8 सितंबर तक 350.63 मिलियन बैरल कच्चा तेल रिजर्व में मौजूद था. इस बारे में अमेरिका की ओर अगला अपडेट 20 सितंबर को जारी किया जाएगा.

भारत पर क्या होगा असर?

इस बात को दो परिस्थितियों से समझने की कोशिश करनी होगी. वो भी अमेरिका की ओर से किए गए उपाय पर निर्भर करेगी. आइये समझने कोशिश करते हैं…

यूएस रिजर्व से भारत में कितना सस्ता होगा फ्यूल : अगर यूएस अपने स्ट्रैटिजिक रिजर्व से कच्चे तेल की सप्लाई इंटरनेशनल मार्केट में करता है और यूरोप भी ऐसे ही प्रयास करता है तो इंटरनेशनल मार्केट एक झटके कच्चे तेल की कीमतें 20 डॉलर प्रति बैरल कम हो जाएंगी और ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 70 से 75 डॉलर प्रति बैरल पर आ जाएंगे. इसका मतलब है कि भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम 5 से 7 रुपये तक कम हो सकते हैं.

यूएस रिजर्व नहीं आता है तो भारत में कितना महंगा होगा फ्यूल : अगर यूएस अपने स्ट्रैटिजिक रिजर्व को नहीं छेड़ता है और मौजूदा परिस्थितियों को जारी रहने देता है तो भारत में आने वाले महीनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 3 से 5 रुपये प्रति लीटर का इजाफा देखने को मिल सकता है. जिसके बाद देश की रालधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें फिर से 100 रुपये तक पहुंच सकती है.

अमेरिकी देशों की रिफाइनरीज में मेंटेनेंस का काम चल रहा है और रूस और सऊदी की ओर से प्रोडक्शन कट किया हुआ है. जिसकी वजह से कीमतें तेजी के साथ बढ़ रही है, जिसके कुछ हफ्तों में 100 डॉलर के पार जाने की उम्मीदें हैं. अक्टूबर में अमेरिका और कुछ खाड़ी देशों के मेंटेनेंस काम खत्म होने के कच्चे तेल का प्रोडक्शन में इजाफा होगा और सप्लाई तो कच्चे तेल के दाम नीचे आएंगे. उन्होंने आगे कहा कि वैसे ऐसी नौबत नहीं आएगी कि अमेरिका को अपने रिजर्व से कच्चा तेल निकालने की जरुरत पड़े. कीमतों के 100 डॉलर के पार जाने के बाद अमेरिका ओपेक पर सप्लाई बढ़ाने का दबाव भी बना सकता है.

अजय केडिया ने आगे कहा कि मौजूदा समय में अमेरिका इरान, वेनेजुएला और लीबिया जैसे देशों से प्रतिबंधों को भी धीरे-धीरे हटा रहा है. लेकिन समस्या ये है कि इन देशों की स्थिति बीते पांच सालों इतनी खराब हो चली है कि वो प्रोडक्शन में इजाफा करने के परिस्थिति में नहीं है. ऐसे में आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतें कम होने वाली नहीं है.

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत

वहीं दूसरी ओर भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमत में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है. देश के महानगरों में आखिरी पेट्रोल और डीजल की कीमत में 21 मई के दिन बदलाव देखने को मिला था. उस वक्त देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल और डीजल की कीमत में टैक्स को कम किया था. उसके बाद कुछ प्रदेशों ने वैट को कम या बढ़ाकर कीमतों को प्रभावित करने का प्रयास किया था. दिलचस्प बात ये है कि जब से देश में इंटरनेशनल मार्केट के हिसाब से पेट्रोल और डीजल की कीमत में रोज बदलाव होने की शुरुआत हुई है, तब से यह पहला मौका है जब पेट्रोलियम कंपनियों ने रिकॉर्ड टाइमलाइन के दौरान कोई बदलाव नहीं किया है.

देश के प्रमुख शहरों में पेट्रोल और डीजल की कीमत

  1. नई दिल्ली: पेट्रोल रेट: 96.72 रुपये प्रति लीटर, डीजल रेट: 89.62 रुपये प्रति लीटर
  2. कोलकाता: पेट्रोल रेट: 106.03 रुपये प्रति लीटर, डीजल रेट: 92.76 रुपये प्रति लीटर
  3. मुंबई: पेट्रोल रेट: 106.31 रुपये प्रति लीटर, डीजल रेट: 94.27 रुपये प्रति लीटर
  4. चेन्नई: पेट्रोल रेट: 102.63 रुपये प्रति लीटर, डीजल रेट: 94.24 रुपये प्रति लीटर
  5. बेंगलुरु: पेट्रोल रेट: 101.94 रुपये प्रति लीटर, डीजल रेट: 87.89 रुपये प्रति लीटर
  6. चंडीगढ़: पेट्रोल रेट: 96.20 रुपये प्रति लीटर, डीजल रेट: 84.26 रुपये प्रति लीटर
  7. गुरुग्राम: पेट्रोल रेट: 97.18 रुपये प्रति लीटर, डीजल रेट: 90.05 रुपये प्रति लीटर
  8. लखनऊ: पेट्रोल रेट: 96.57 रुपये प्रति लीटर, डीजल रेट: 89.76 रुपये प्रति लीटर
  9. नोएडा: पेट्रोल रेट: 96.79 रुपये प्रति लीटर, डीजल रेट: 89.96 रुपये प्रति लीटर