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दिल्ली शराब नीति केस में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी गयी!

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सुप्रीम कोर्ट की बेंच की तरफ से मनीष सिसोदिया के खिलाफ केस को लेकर प्रवर्तन निदेशालय से कई सवाल पूछे गये हैं. दिल्ली शराब नीति केस में आगे की राह प्रवर्तन निदेशालय के वकील की दलील और सबूतों पर निर्भर करती है.

12 अक्टूबर को मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी, लेकिन जस्टिस संजीव खन्ना के किसी और केस की सुनवाई में व्यस्त होने के कारण सुनवाई टाल दी गयी. मनीष सिसोदिया के दिल्ली सरकार में डिप्टी सीएम रहते सीबीआई ने 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया था. और बाद में तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद 9 मार्च को मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कर लिया था.

चार्जशीट में ED का दावा

जो कुछ अदालत को ED ने बताया है उसके मुताबिक, मनीष सिसोदिया ने सबूत छिपाने के लिए 14 फोन और 43 सिम कार्ड बदले थे, और उनमें से पांच सिम कार्ड मनीष सिसोदिया के नाम पर ही थे. दिल्ली कोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय ने ये भी दावा किया है कि मनीष सिसोदिया और अन्य अरोपियों ने 170 बार मोबाइल फोन बदले, और फिर उन्हें तोड़ दिया, जिससे 1.38 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ… शराब घोटाले में बड़े पैमाने पर सबूतों को नष्ट किया गया.

प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि जांच एजेंसी के पास मनीष सिसोदिया के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं – लेकिन मुद्दे की बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत पर सुनवाई के दौरान ईडी के दावे पर ही कई सवाल पूछ डाले हैं.

सिसोदिया केस में सुप्रीम कोर्ट के सवाल?

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) में संबंधित व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपराधों की आय से जोड़ना होगा. कोर्ट ने पाया है कि जो केस बनाया गया है, वो है कि पैसा मनीष सिसोदिया को मिला था, लेकिन ये पैसा कथित शराब ग्रुप से सिसोदिया तक कैसे पहुंचा?

कोर्ट ने एक सवाल ये भी पूछा है कि एक आरोपी कारोबारी दिनेश अरोड़ा के बयान के अलावा मनीष सिसोदिया के खिलाफ सबूत कहां हैं?

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को चेताया भी कि ‘जिरह के दौरान सिर्फ दो सवालों के बाद ये केस गिर जाएगा.’