अहमदाबाद : वाघ-बकरी ग्रुप के मालिक पराग देसाई का 49 साल की उम्र में निधन हो गया।
इस मामले में एक नया मोड़ सामने आया है। दरअसल, उनकी मौत को लेकर हॉस्पिटल और परिवारजनों के अलग-अलग बयान सामने आए हैं।
शैल्बी हॉस्पिटल अहमदाबाद ने पराग देसाई की मौत पर कहा है कि उन्हें घायल अवस्था में लाया गया था, लेकिन उनके शरीर पर कुत्ते की काटने का कोई निशान नहीं था। जबकि वाघ बकरी की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि पराग देसाई की मौत कुत्तों के हमले की वजह से ही हुई है।
इस मामले में दो थ्योरी सामने आने के बाद शहर में एक नई चर्चा शुरू हो गई है।
दरअसल, उनके निधन के बारे में कहा गया कि आवारा कुत्ते उनके पीछे पड़े और वह अपना संतुलन खो बैठे और गिर गए। इसके बाद उन्हें चोट आईं और ब्रेन हेमरेज के बाद उनकी मौत हो गई।
वाघ-बकरी ग्रुप की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 15 अक्टूबर को शाम लगभग 5.30 बजे देसाई अपने बंगले के पास अपनी आवासीय सोसायटी में इत्मीनान से शाम की सैर कर रहे थे, तभी आवारा कुत्ते उनकी ओर दौड़ पड़े, जिसके कारण वह अपने आवास परिसर की ओर भागने लगे, जिससे उनका संतुलन बिगड़ गया। दुर्भाग्य से गिरने के कारण गंभीर मस्तिष्क रक्तस्राव हो गया।
उनके परिवार द्वारा उन्हें तुरंत एक निजी अस्पताल में ले जाया गया और अगले दिन उनकी जान बचाने के लिए सर्जरी की गई। मेडिकल टीम की लाख कोशिशों के बावजूद वे उसे बचा नहीं सके।
अफसोस की बात है कि रविवार, 22 अक्टूबर की देर शाम देसाई का निधन हो गया।
पराग देसाई वाघ-बकरी ग्रुप के संस्थापक नारणदास देसाई के तीन बेटों में से एक रामदास देसाई के बेटे थे। वह टी-टेस्टर होने के साथ ही ग्रुप के इंटरनेशनल बिजनेस का कामकाज संभाल रहे थे। उन्होंने कंपनी के लिए पैकेजिंग, ब्रैंडिंग और मार्केटिंग की नई स्ट्रेटेजी बनाईं। जिन्हें काफी सफलता हासिल हुई।