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Union Budget 2024 : मोदी सरकार के इस चुनावी बजट में यह पांच वित्तीय आंकड़े

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संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होने जा रहा है. सत्र की शुरुआत आर्थिक समीक्षा से होगी और अगले दिन यानी 1 फरवरी को वित्त मंत्री संसद में बजट पेश करेंगी.

यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट होने जा रहा है. बजट के कुछ ही महीनों बाद लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. इस वजह से यह भी अंतरिम बजट होगा. आइए जानते हैं इस चुनावी बजट में किन अहम आंकड़ों पर लोगों की नजर रहने वाली है…

कितना बड़ा होगा अंतरिम बजट?
हर बजट का पहला और सबसे बड़ा आकर्षण उसका आकार होता है। यह एक तरह से देश की आर्थिक ताकत का भी अंदाजा देता है। जिस देश की अर्थव्यवस्था जितनी मजबूत होगी, उसकी अर्थव्यवस्था का आकार उतना ही बड़ा होगा। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल का 2014 का पहला बजट करीब 18 लाख करोड़ रुपये का था. जबकि पिछले साल पेश किए गए बजट का आकार 45 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा था.

अर्थव्यवस्था की सेहत कैसी है?
बजट देश की आर्थिक स्थिति का भी सटीक अंदाजा देता है. अर्थव्यवस्था की हालत के दो बड़े संकेतक हैं- विकास दर और राजकोषीय घाटा. इसी महीने बजट से पहले एनएसओ ने पहला अग्रिम अनुमान दिया है, जिसमें चालू वित्त वर्ष के दौरान विकास दर 7.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. इससे पहले दिसंबर में आरबीआई ने 7 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया था. राजकोषीय घाटे के मोर्चे पर देखें तो चालू वित्त वर्ष के आखिरी बजट में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.9 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था. ऐसी संभावना है कि वास्तविक आंकड़ा बजट अनुमान से अधिक हो सकता है.

सरकार की कमाई: टैक्स और विनिवेश?
कोई भी सरकार बजट में कमाई और खर्च का खाका पेश करती है. सरकार की आय के दो मुख्य स्रोत हैं- टैक्स और विनिवेश। सरकार को जहां टैक्स कमाई के मामले में फायदा होने वाला है, वहीं विनिवेश के मोर्चे पर उसे झटका लग सकता है। टैक्स के मामले में चालू वित्त वर्ष के दौरान इनकम टैक्स भरने वालों की संख्या में नया रिकॉर्ड बना है. इस दौरान जीएसटी कलेक्शन कई बार नए ऊंचे स्तर पर पहुंचा है. सरकार ने टैक्स से करीब 24 लाख करोड़ रुपये और विनिवेश से 51 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था.

सरकार पर कुल कितना कर्ज है?
सरकार हर बार बजट में टैक्स और विनिवेश समेत अन्य सभी स्रोतों से होने वाली कुल आय से ज्यादा खर्च करने का प्लान पेश करती है. ऐसे में सरकार अतिरिक्त खर्च को पूरा करने के लिए बाजार से कर्ज लेती है। हाल ही में सरकार द्वारा लिए जा रहे कर्ज पर आईएमएफ की एक रिपोर्ट को लेकर विवाद खड़ा हो गया था, जिसमें आशंका जताई गई थी कि भारत में भी कुल कर्ज जीडीपी के 100 फीसदी से ऊपर जा सकता है. बजट में इस पर स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है.

कहां-कहां और कितना लगता है खर्च?
यह बजट का सबसे अहम पहलू है. सरकार भविष्य में कैसे, कहां और कितना खर्च करेगी, इससे अर्थव्यवस्था की दशा और दिशा तय होती है। मोदी सरकार पर नजर डालें तो इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च लगातार बढ़ाया गया है. ऐसा माना जाता है कि कैपेक्स का अर्थव्यवस्था पर कई गुना प्रभाव पड़ता है। पिछले बजट में कैपेक्स लगभग 10 लाख करोड़ रुपये था।