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सुप्रीम कोर्ट : कानूनी संरक्षण मामले में अहम फैसला, वोट के बदले नोट लेने वाले सांसदों / विधायकों को कानूनी संरक्षण नहीं दिया जाएगा.

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सांसदों और विधायकों को सदन में भाषण देने या वोट डालने के लिए रिश्वत लेने पर कानूनी संरक्षण मामले में अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वोट के बदले नोट लेने वाले सांसदों / विधायकों को कानूनी संरक्षण नहीं दिया जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की सराहना करते हुए एक ट्वीट किया है.

अपने ट्वीट में पीएम मोदी ने लिखा, “सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिया गया यह फैसला सराहनीय है, जो स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करेगा और व्यवस्था में लोगों का विश्वास गहरा करेगा.”

बता दें कि यह फैसला CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सहमति से सुनाया है.

1988 के पी.वी. नरसिम्हा के संविधान पीठ के फैसले को SC ने पलटा

सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा, “सांसदों / विधायकों पर वोट के बदले रिश्वत लेने का मुकदमा चलाया जा सकता है. 1998 के पी.वी. नरसिम्हा राव मामले में पांच जजों के संविधान पीठ के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है. इसके बाद अब नोट के बदले सदन में वोट देने वाले सांसद / विधायक कानून के कटघरे में खड़े होंगे. केंद्र ने भी ऐसी किसी भी छूट का विरोध किया था.”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अनुच्छेद 105(2) या 194 के तहत रिश्वतखोरी को छूट नहीं दी गई है क्योंकि रिश्वतखोरी में संलिप्त सदस्य एक आपराधिक कृत्य में शामिल होता है, जो वोट देने या फिर विधायिका में भाषण देने के लिए जरूरी नहीं है. अपराध तब पूरा हो जाता है, जब सांसद या विधायक रिश्वत लेता है. इससे राजव्यवस्था की नैतिकता पर प्रतिकूल प्रभाव होता है. हमारा मानना है कि रिश्वतखोरी संसदीय विशेषाधिकारों द्वारा संरक्षित नहीं है. इसमें बेहद खतरा है. इस वजह से ऐसा संरक्षण खत्म होना चाहिए.”