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देश में 7 चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव का पहला चरण संपन्न हो चुका है और अन्य चरणों में चुनाव को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं!

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देश में 7 चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव का पहला चरण संपन्न हो चुका है और अन्य चरणों में चुनाव को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुजरात के गांधीनगर क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं और उन्होंने शुक्रवार (19 अप्रैल) को अपना नामांकन दाखिल कर दिया.

बड़ी संख्या में चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदार अपने-अपने क्षेत्रों में नामांकन दाखिल कर रहे हैं. कभी आपने सोचा है कि एक संसदीय सीट पर सबसे अधिक कितने उम्मीदवारों के बीच जंग हुई होगी. एक सीट पर कितने प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई होगी. कितनी महिला प्रत्याशियों ने अपनी जमानत गंवाई होगी.

चुनावी माहौल में चुनाव को लेकर हर ओर चर्चा और बहस का दौर जारी है. सबसे अधिक आबादी और सबसे अधिक सांसद देने वाले राज्य उत्तर प्रदेश में 1996 के लोकसभा चुनाव में बलरामपुर संसदीय सीट पर 92 प्रत्याशियों ने नाम भरे थे, लेकिन 65 लोगों के बीच मुकाबला हुआ. इस चुनाव में बीजेपी के सत्यदेव सिंह विजयी हुए थे. जबकि 62 लोगों की तो जमानत ही जब्त हो गई थी. उसी समय यूपी के गोंडा संसदीय सीट पर 86 उम्मीदवारों ने दावेदारी पेश की, जिसमें 78 लोगों के बीच मुकाबला हुआ. जीत बीजेपी की केतकी देवी सिंह को मिली थी.

वाजपेयी के खिलाफ मैदान में आए 61 लोग

इसी तरह शाहजहांपुर संसदीय सीट पर 61 लोगों ने नामांकन दाखिल किया था जिसमें 2 की दावेदारी रद्द हो गई तो 4 ने नाम वापस ले लिए थे. ऐसे में 55 लोगों के बीच मुकाबला हुआ. मुकाबले में 55 में से 51 उम्मीदवारों की जमानत ही जब्त हो गई. यहां पर जीत का सेहरा बंधा कांग्रेस के राम मूर्ति सिंह पर. राम मूर्ति ने समाजवादी पार्टी के सत्यपाल सिंह यादव को कड़े मुकाबले में 6903 मतों के अंतर से हरा दिया.

यही नहीं इसी लोकसभा चुनाव में लखनऊ सीट पर भी 63 लोगों ने पर्चा दाखिल किया था, लेकिन मुकाबला 55 लोगों के बीच हुआ, जिसमें 53 की जमानत जब्त हो गई थी. चुनाव में बीजेपी की ओर से अटल बिहारी वाजपेयी मैदान में थे और उनके सामने थे फिल्मी सितारे से नेता बने राज बब्बर. वह समाजवादी पार्टी के टिकट से किस्मत आजमा रहे थे. लेकिन वो वाजपेयी के आगे कमजोर प्रत्याशी साबित हुए. वाजपेयी ने 1,18,671 मतों के अंतर से जीत हासिल की. यह वही चुनाव है जब वाजपेयी लोकसभा पहुंचे और पहली बार प्रधानमंत्री बने थे. इसी चुनाव में फैजाबाद से 76 लोगों ने पर्चा भरा था. जीत मिली थी बीजेपी के विनय कटियार को.

537 ने भरा पर्चा, 480 उतरे मैदान में

बात करते हैं अब उस सीट की जिस सीट पर 10, 20 50, 100, 200 या 400 नहीं बल्कि पूरे 537 लोगों ने पर्चा भरा था, जिसमें 66 महिलाएं भी शामिल थीं. इनमें से 5 महिलाओं समेत 35 लोगों की दावेदारी खारिज हो गई. एक महिला ने नाम वापस ले लिया था. कुल मिलाकर मैदान में बचे 480 उम्मीदवार. 480 में से 60 तो महिलाएं मैदान में उतरीं. लेकिन इन सभी महिला प्रत्याशियों की जमानत ही जब्त हो गई. जबकि 417 पुरुष प्रत्याशियों का भी यही हाल रहा. 477 लोग अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए. यह कहानी नालागोंडा लोकसभा क्षेत्र की है.

पहले आंध्र प्रदेश और अब तेलंगाना राज्य में पड़ने वाले नालागोंडा संसदीय क्षेत्र में 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में सिर्फ 3 लोगों की जमानत बची थी. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के प्रत्याशी बीडी बिक्सम को तब जीत मिली. उन्हें प्रत्याशियों की भीड़ में 2,77,336 वोट मिले थे. उन्होंने बीजेपी के इंद्रसेना रेड्डी को 71,757 मतों के बड़े अंतर से हराया भी. चुनाव में 477 उम्मीदवारों में से हर उम्मीदवार के खाते में वोट आए थे. एक प्रत्याशी को सबसे कम 20 वोट मिले थे. मतलब यह कि मैदान में उतरे हर उम्मीदवार के खाते में वोट आए थे. चुनाव में 3 प्रत्याशियों को करीब 2-2 लाख वोट भी मिले थे.

बेलगाम में भी 500 से अधिक ने भरा पर्चा

500 से अधिक नामांकन दर्ज कराने वाले नालाकोंडा क्षेत्र एक लोकसभा चुनाव में देश में सबसे अधिक 480 प्रत्याशियों वाली संसदीय सीट के रूप में दर्ज हो गया. नालाकोंडा के साथ-साथ एक और दक्षिणी राज्य कर्नाटक के बेलगाम में भी 1996 के चुनाव में ही रिकॉर्डतोड़ नामांकन हुआ था.

बेलगाम लोकसभा सीट पर तब के चुनाव में प्रत्याशियों की बाढ़ सी आ गई थी. यहां पर भी 500 से अधिक लोगों ने नामांकन भरा. 521 लोगों में 58 महिलाएं और 463 पुरुष उम्मीदवार शामिल थे. हालांकि इनमें से 12 प्रत्याशियों (2 महिला) की दावेदारी खारिज हो गई. 53 लोगों (4 महिलाएं) ने नाम वापस भी ले लिए. तब भी 456 उम्मीदवार मैदान में बचे रहे. चुनाव के बाद जब परिणाम आया तो यहां पर 456 में से 52 महिलाओं समेत 454 उम्मीदवारों की जमानत ही जब्त हो गई. सिर्फ 2 की ही जमानत बची.

2019 चुनाव में भी लगा ‘दोहरा शतक’

जनता दल के शिवानंद हेम्पा को 2,24,479 वोट मिले तो उनके सामने खड़े बीजेपी के बाबागौड़ा पाटिल रहे. पाटिल को 1,53,842 वोट मिले. शिवानंद को 70,637 मतों के बड़े अंतर से जीत मिली. देश के लोकसभा के चुनावी इतिहास में नालाकोंडा के बाद बेलगाम सबसे अधिक उम्मीदवारों वाला संसदीय क्षेत्र बना.

इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में भी तेलंगाना राज्य के निजामाबाद संसदीय क्षेत्र में भी उम्मीदवारों की बाढ़ सी आ गई. चुनाव में 203 लोगों ने नामांकन दाखिल किए थे. जिसमें से 185 उम्मीदवार मैदान में उतरे और इसमें 183 लोगों की जमानत जब्त हो गई थी. यहां के चुनाव में बीजेपी के अरविंद धर्मपुरी को जीत मिली थी. अरविंद धर्मपुरी ने 45.2% यानी 480,584 वोट हासिल किए जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी तेलंगाना राष्ट्र समिति (अब भारत राष्ट्र समिति) की के कविता को 409,709 वोट मिले थे.

KCR की बेटी को मिली हार

कविता बीआरएस के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी हैं. तीसरे नंबर पर कांग्रेस के मधु गौड़ याक्षी रहे जिन्हें महज 69,240 वोट ही मिले थे. चुनाव में पहले 2 स्थान पर रहे प्रत्याशियों को छोड़कर सभी की जमानत जब्त हो गई थी, इसमें कांग्रेस का उम्मीदवार भी शामिल था. चुनाव में 185वें नंबर पर रहे एस राजा रेड्डी जिन्हें महज 84 वोट मिले थे.

दक्षिण भारत की इन दोनों ही संसदीय सीटों पर भारी संख्या में लोगों के चुनाव लड़ने की मंशा अपनी-अपनी योजनाओं को देश के सामने लाना था. तब उन्होंने सबसे अधिक प्रत्याशियों की वजह से चर्चा जरूर पाई थी, लेकिन उनकी समस्याओं का अंत नहीं हो सका.