Pradosh Vrat 2024: रवि प्रदोष व्रत पर आज ऐसे करें पूजा और पारण, बन जाएंगे बिगड़े काम!
हिन्दू धर्म में हर महीने की दो त्रयोदशी तिथि आती हैं और ये त्रियोदशी तिथि भगवान महादेव को समर्पित होती हैं और महिलाएं इस दिन भगवान भोलेनाथ के प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत रखती हैं.
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सबसे प्रिय प्रदोष व्रत ही माना गया है. प्रदोष व्रत के दिन महादेव संध्याकाल में कैलाश पर्वत पर प्रसन्न होकर नृत्य करते हैं और समस्त देवी-देवता उनकी उपासना करते हैं. यही कारण है कि इस दिन प्रदोष व्रत रखकर शिव साधना करने से सारी मनोकामना पूरी होती है. प्रदोष व्रत का पूजन शाम के समय सूर्यास्त से पहले और बाद में किया जाता है. आज है रवि प्रदोष व्रत.
पंचांग के मुताबिक, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 20 अप्रैल 2024 शनिवार रात 10:41 बजे से हो गई है और 21 अप्रैल 2024 रविवार को रात 01:11 बजे तक मान्य रहेगी. प्रदोष काल में शिव की पूजा की जाती है. सूर्यास्त के पश्चात रात्रि के आने से पूर्व का समय प्रदोष काल कहलाता है. इस दिन पूजा के लिए शाम 6 बजकर 51 मिनट से रात 9 बजकर 2 मिनट तक का शुभ मुहूर्त है.
प्रदोष व्रत पूजन विधि
- प्रदोष व्रत के दिन निराहार रहकर शिव जी का स्मरण करें और शाम के समय स्नान कर बेलपत्र के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं.
- प्रदोष व्रत के दिन मिट्टी के शिवलिंग बनाएं. केसर मिश्रित दूध से शिव शंभू का अभिषेक करें.
- इसके अलावा अभिषेक के समय भांग, धतूरा, भस्म, बेलपत्र आदि शिव को चढ़ाएं.
- भगवान शिव को साबुत चावल की खीर अर्पित करें. इसके पश्चात आरती कर प्रसाद ग्रहण करें.
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह हनुमान जी को चोला चढ़ाएं, चमले के तेल का दीपक लगाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें.
- फिर हलवे का भोग लगाकर गरीबों में बांट दें. मंगल दोष से मुक्ति और विवाह में आ रही अड़चनें दूर करने की प्रार्थना करें.
प्रदोष व्रत का पारण नियम
महिलाओं को इस दिन केवल फलाहार करके ही प्रदोषकाल में भगवान शिव का अभिषेक पूजन कर व्रत का पारण करना चाहिए. प्रदोष व्रत का प्रदोषकाल का बहुत अधिक महत्व होता है. इसलिए प्रदोष वाले दिन ही प्रदोषकाल में ही भगवान शिव की पूजा को संपन्न करना आवश्यक है. वरना आपकी मनोकामना कभी पूरी नहीं हो पाएगी. प्रदोष व्रत की तिथि समाप्त होने से पहली ही आपको व्रत का पारण कर लेना चाहिए.