गणेश चतुर्थी भगवान गणेश का एक बहुत ही खास त्योहार है. भगवान गणेश को सभी बाधाओं को दूर करने और बुद्धि देने प्रदान करने वाला माना जाता है. इस दिन भक्त बड़ी श्रद्धा से मिट्टी से बने गणपति की मूर्ति अपने घर लाते हैं और उनका स्वागत करते हैं.
गणपति जी के आने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है. यह पर्व पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र में इसका जश्न देखने लायक होता है.
इसके अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी लोग अपने-अपने तरीके से इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं.
गणेश चतुर्थी 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त
इस बार गणेश चतुर्थी 26 अगस्त 2025 मंगलवार को शुरू होगी और 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति जी का विसर्जन होगा. यह त्योहार 10 दिनों तक चलता है.
चतुर्थी तिथि की शुरुआत: 26 अगस्त 2025, दोपहर 1:54 बजे चतुर्थी तिथि का समापन: 27 अगस्त 2025, शाम 3:44 बजे
मध्यान्ह पूजा का समय: 27 अगस्त 2025, सुबह 11:12 बजे से दोपहर 1:44 बजे तक विसर्जन (अनंत चतुर्दशी): 6 सितंबर 2025 गणेश चतुर्थी का उत्सव कैसे मनाएं?
गणेश चतुर्थी के दिन घर और गलियों को फूलों, रंगोली से सजाया जाता है. भजन और आरती की धुन से माहौल भक्तिमय भी हो जाता है. भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान कर, साफ कपड़े पहनते हैं और गणपति जी की पूजा करते हैं.
पूजा में मोदक, फूल, दीपक और अगरबत्ती का उपयोग किया जाता है.
पूरे 10 दिन परिवार वाले साथ बैठकर गणेश जी की स्तुति करके, मंत्र पढ़ते हैं और भजन गाते हैं. जिसके बाद दसवें दिन गणपति जी की मूर्ति लेकर नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जन किया जाता है.
यह प्रकृति के सृजन और विनाश का प्रतीक माना जाता है. विसर्जन के दौरान लोग जोर से ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले साल जल्दी आना!’ के नारे लगाते हैं.
गणेश चतुर्थी पर व्रत कैसे रखें?
इस पावन पर्व पर कई भक्त व्रत भी रखते हैं, अगर आप व्रत रखना चाहते हैं तो ध्यान रखें कि-अपनी सेहत के अनुसार व्रत करें, पूरा दिन या आधा दिन.
व्रत के दौरान मन को शांत और सकारात्मक रखें, बुरी बातें न करें.
मांसाहारी भोजन, प्याज और लहसुन से दूर रहें. सेंधा नमक का इस्तेमाल करें, साधारण नमक का उपयोग मना है.
हल्का और सादा भोजन करें जिसमें ज्यादा तेल और मसाले न हों.
निर्जल व्रत हो तो व्रत से पहले और बाद में खूब पानी पिएं.
गणेश चतुर्थी हमें भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ प्यार, भक्ति और एकता का संदेश देती है. यह त्योहार जीवन में नई शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है.