जिनकी एक समय में लोकसभा में बैठने की संभावना व्यक्त की जा रही थी, वो जेल पहुंच गए?
बलौदाबाजार अग्निकांड में छह माह तक जेल में रहने के बाद विधायक देवेंद्र यादव को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली। हाल ही मैं वे जेल से बाहर आए हैं। हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से खास चर्चा में उन्होंने कहा, बलौदाबाजार के मामले में छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री जैसे-जैसे मीडिया के सामने बातें रखते गए, वैसे-वैसे ही अधिकारियों ने कार्रवाई करने का काम किया। कायदे से ठीक से जांच होनी थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। बेगुनाहों को जेल में डाला गया। देवेंद्र ने कहा कि जेल जाने से वे कमजोर नहीं, मजबूत हुए है
जेल जाने का मुझे मलाल नहीं है। एक राजनीति विषय को लेकर मैं जेल गया। जेल जाने को मैंने एक तपस्या के रूप में लिया। कहा जाता है आप आंदोलन में समर्थन करने गए और आपने सोशल मीडिया में पोस्ट भी डाली। अगले दिन हमें पता चलता है, निर्दोष लोगों को पकड़कर जेल में डाल दिया गया है। बहुत सारे सतनामी समाज के लोगों के साथ अन्याय किया। हमने अपनी बात रखी। सरकार अपनी विफलताओं को दबाना चाहती है। जैसे-जैसे भाजपा के मंत्री पत्रकारवार्ता करके बोलते गए, वैसे-वैसे ही अधिकारियों ने कार्रवाई की। जहां तक लोकसभा का सवाल है तो मैं यह कहना चाहता हूं कि जब छत्तीसगढ़ की जनता चाहेगी, वह मौका भी मिल जाएगा। छत्तीसगढ़ की जनता और कांग्रेस पार्टी हमसे क्या चाहती है, हम डरे नहीं। राहुल गांधी भी यही कहते हैं, हम डरे नहीं। मैंने निडरता से अपनी बात कही, उसका परिणाम यह रहा कि मुझे छह माह तक जेल में रख दिया।
बलौदाबाजर की घटना पर कितने शर्मसार हैं आप?
हिंसा ठीक नहीं है, हिंसा कभी भी किसी निर्णय पर नहीं ले जा सकती है। जब मैं वहां पर आंदोलन में पहुंचा तो सतनामी समाज की बहुत छोटी सी मांग थी। जैतखाम में जिन लोगों ने गड़बड़ी की थी, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए, इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। लोगों में बहुत गुस्सा था, मैं वहां गया और वहां पर लोगों से मिलकर निकल गया। कुछ घंटों बाद मुझे जानकारी मिली कि वहां पर ये घटना हो गई। जो भी घटना हुई, वह नहीं होनी चाहिए थी। हिंसा के हम भी खिलाफ हैं। लेकिन इसका दूसरा पक्ष में देखें, हिंसा की आड़ में आप हिंसा करेंगे और बेगुनाहों को जेल में डालेंगे, यह बात तो ठीक नहीं है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और सतनामी समाज के लोगों को जिनका इस घटना से कोई लेना-देना नहीं था, उनको घरों से उठाया गया। रात भर पिटा गया और जेल में डाल दिया गया। हिंसा जितनी गलत है, उतना ही पुलिस का रवैय्या भी गलत है। सरकार के खिलाफ हम जो मामला लगातार उठा रहे थे, उसके कारण ही मुझे जेल भेजा गया। ये सरकार तानाशाही से सरकार चलाना चाहती है।