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दुनिया में उथलपुथल मचाने वाले ट्रंप ने अडानी को दी बड़ी राहत! अमेरिका में बड़े निवेश की तैयारी

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अदानी समूह ने अमेरिका में बड़े निवेश की योजनाओं को फिर से सक्रिय किया है, जिसमें परमाणु ऊर्जा, यूटिलिटीज और पूर्वी तट पर एक बंदरगाह प्रोजेक्ट शामिल हैं.

अमेरिकी सरकार अडानी को अमेरिका में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है.

अदानी समूह ने अमेरिका में निवेश योजनाएं फिर से सक्रिय कीं.

गौतम अदानी 265 मिलियन डॉलर घूस मामले में कानूनी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.

ट्रम्प प्रशासन की नीतियों से अदानी समूह को राहत मिली.

डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अदानी समूह ने अमेरिका में 10 बिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की थी, जिससे 15,000 नौकरियां पैदा होने की उम्मीद थी. हालांकि, कानूनी पचड़ों की वजह से योजनाएं सिरे नहीं चढ़ पाई थीं, लेकिन अब ट्रम्प प्रशासन की नीतियों के चलते इन्हें फिर से सांस लेने का मौका मिल रहा है.

■ अदानी ग्रुप भारत का एक जाना-माना बिजनेस ग्रुप है. कई देशों ने इस ग्रुप के बड़े पैमाने पर बिजनेस हैं. यदि अमेरिका में उनके निवेश की योजना फलती-फूलती है तो उनके सामने घूस देने के मामले में भी राहत की उम्मीद हो सकती है.

■ डोनाल्ड ट्रम्प के नवंबर 2024 में राष्ट्रपति चुने जाने के बाद, अदानी समूह ने अमेरिका में 10 बिलियन डॉलर के निवेश की योजना की घोषणा की थी, जिससे लगभग 15,000 नौकरियां पैदा होने की उम्मीद थी.

■ नवंबर 2024 में गौतम अदानी और अन्य अधिकारियों पर अमेरिकी अधिकारियों द्वारा 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने में शामिल होने का आरोप लगाया गया, जिससे ये निवेश योजनाएं स्थगित हो गईं.

■ हाल ही में, राष्ट्रपति ट्रम्प ने विदेशी भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम (FCPA) के प्रवर्तन को निलंबित करने का आदेश दिया है, जिससे अदानी समूह को राहत मिली है और उन्होंने अपनी निवेश योजनाओं को फिर से सक्रिय किया है. समूह अब परमाणु ऊर्जा, यूटिलिटीज और पूर्वी तट पर एक बंदरगाह परियोजना में निवेश की संभावनाओं का मूल्यांकन कर रहा है.

फरवरी की शुरुआत में ट्रंप फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट (FCPA) पर रोक लगा दी थी। इससे अडानी ग्रुप बड़ी राहत मिली है। इससे यह उम्मीद जगी है कि उनके खिलाफ कानूनी चुनौतियां खत्म हो सकती हैं। हालांकि अमेरिकी नागरिक नहीं होने के कारण अडानी सीधे तौर पर इस कानून के तहत आरोपित नहीं थे। यह कानून उन अन्य लोगों के खिलाफ आरोपों का आधार है जो कथित तौर पर इसमें शामिल थे। अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है।