राजस्थान उच्च न्यायालय ने यौन उत्पीडन के आरोपियों के खिलाफ प्रस्तावित बुल्डोज़र कार्यवाही पर लगाया रोक, नगर पालिका ने जारी किया था मस्जिद सहित इलाके के कई संपत्तियों के ध्वस्तीकरण का नोटिस
राजस्थान उच्च न्यायालय ने गुरुवार को विजयनगर नगरपालिका को पांच नाबालिग लड़कियों से जुड़े यौन उत्पीड़न मामले में आरोपियों की संपत्तियों को ढहाने से रोक दिया है। बताते चले कि विजय नगर नगरपालिका ने एक 100 साल पुरानी मस्जिद सहित पूरे मोहल्ले को ध्वस्त करने का नोटिस जारी किया था, क्योंकि पिछले महीने मुस्लिम पुरुषों के एक समूह पर नाबालिग हिंदू लड़कियों पर हमला करने का आरोप लगाया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दक्षिणपंथी संगठनों के विरोध के बाद ये ध्वस्तीकरण नोटिस जारी किए गए थे। गौरतलब है कि राजस्थान पुलिस ने पिछले महीने मुस्लिम पुरुषों के एक समूह को गिरफ़्तार किया था, जिसमें सात वयस्क और तीन नाबालिग शामिल थे। इन पर कथित तौर से हिंदू समुदाय की पांच नाबालिग लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने और उन्हें ब्लैकमेल करने का आरोप लगा है। इस मामले में दक्षिणपंथी समूहों ने इन लोगों के ख़िलाफ़ बुलडोज़र कार्रवाई की मांग की थी।
इस मामले में अभियुक्तों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता सैयद सआदत अली ने कहा कि प्रशासन ध्वस्तीकरण पर सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रहा है और नोटिसों के जवाब को नजरअंदाज कर रहा है। किसी भी ध्वस्तीकरण से पहले पालन की जाने वाली उचित प्रक्रिया का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी संपत्ति को ढहाने से पहले अनिवार्य निरीक्षण और दो निर्वाचित प्रतिनिधियों का उस कार्रवाई के समर्थन में हस्ताक्षर जरूर होते हैं।
उन्होंने कहा कि इन उपायों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल अनधिकृत और गैर-समझौता योग्य निर्माणों को ही कार्रवाई के दायरे में लिया जाए। अदालत ने इस संबंध में अली को अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस गिल को रिट याचिका की एक प्रति देने का निर्देश दिया और प्रतिवादियों से 11 मार्च को अगली सुनवाई से पहले अपने जवाब दाखिल करने को का निर्देश दिया है। अदालत ने राजस्थान सरकार के बुल्डोज़र पर फिलहाल ब्रेक लगा दिया है।