जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 हिंदू पर्यटकों के नरसंहार के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जंग जैसे हालात बन गए हैं. भारत ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि वह किसी भी कीमत पर इस हमले के गुनहगारों और साजिशकर्ताओं को सजा देकर ही रहेगा. भारत की इस प्रतिज्ञा के बाद दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है. तमाम देशों ने भारत के कार्रवाई करने के अधिकार का समर्थन किया है. लेकिन, दुनिया की दो बड़ी शक्तियों चीन और अमेरिका का रुख स्पष्ट नहीं है. भारत की धरती पर हुए इस हमले के बाद इन दोनों ने इसकी कड़ी निंदा की थी. चीन ने कहा था कि वह किसी भी तरह के आतंकवाद की कड़ी निंदा करता है. अमेरिका ने भी इसकी निंदा की थी. लेकिन, चंद दिनों के भीतर ही इनके रुख बदलने लगे. रविवार को चीन ने पाकिस्तान की ओर से इस हमले की कथित तौर पर स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग का समर्थन कर दिया. वहीं, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एक बयान में कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों उसके अच्छे दोस्त हैं. उनके इस बयान से ही संशय की स्थिति पैदा हो गई थी.
अब एक और खबर आ रही है. इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दिनों अमेरिका ने पहलगाम हमले के बाद भारत की एक बड़ी मुहिम को पटरी से उतार दिया है. दरअसल, पहलगाम हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) नामक एक आतंकवादी संगठन ने ली है. यह लश्कर ए तैयबा का सहयोगी संगठन है. भारत की पहल पर पहलगाम हमले की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने निंदा की. इसके लिए तैयार प्रस्ताव में द रेसिस्टेंस फ्रंट का नाम था. लेकिन, पाकिस्तानी डिप्लोमेटों ने अमेरिका के साथ जमकर सौदेबाजी की और अंतिम प्रस्ताव से इस आतंकवादी संगठन का नाम हटवा दिया