Home अंतराष्ट्रीय पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर का कर्ज देना IMF को पड़ा भारी,...

पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर का कर्ज देना IMF को पड़ा भारी, अब हो रही है कड़ी आलोचना

36
0

IMF: भारत ने शुक्रवार को आईएमएफ की बैठक में पाकिस्तान के लिए बेलआउट पैकेज और प्रोग्राम के तहत दी जाने वाली फंडिंग पर चिंता जाहिर की और वोटिंग करने से खुद को दूर रखा.

IMF: कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. इस बीच, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत पाकिस्तान के लिए 1 अरब डॉलर की रकम जारी करने की मंजूरी दी है. इसके चलते आईएमएफ को अब कड़ी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है.

इसी के साथ इस प्रोग्राम के तहत अब तक पाकिस्तान को आईएमएफ की तरफ से किया गया कुल भुगतान अब 2.1 बिलियन डॉलर हो जाएगा. इसके अलावा, IMF ने जलवायु लचीलापन और स्थिरता सुविधा (RSF) के तहत पाकिस्तान के लिए 1.3 अरब डॉलर की राशि भी मंजूर की है. इससे पाकिस्तान को जलवायु परिवर्तन और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.

IMF की हो रही कड़ी आलोचना

इस फैसले के लिए आईएमएफ को न केवल भारत से बल्कि दुनिया के कई और हिस्सों से भी तीखी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ रहा है. लोगों का ऐसा कहना है कि इससे तनाव कम होने के प्रयास कमजोर पड़ सकते हैं.

यह ध्यान देने वाली बात है कि भारत ने आईएमएफ की बैठक में वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया, जब पाकिस्तान के लिए नए बेलआउट पैकेज पर विचार करना था. यूनाइटेड नेशन में जैसे किसी देश को ‘No’वोटिंग करने का अधिकार है. वैसा आईएमएफ में नहीं है. यहां या तो आपको पक्ष में वोट करना होगा या मतदान से खुद को दूर रखना होगा और पाकिस्तान की फंडिंग को लेकर मतदान में भारत ने खुद को दूर रखा.

फंड का हो सकता है दुरुपयोग

मतदान दूर रहने का फैसला यह दिखाता है कि भारत पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद के सख्त खिलाफ है. भारत ने इस मौके का इस्तेमाल पाकिस्तान की पोल खोलने के लिए भी की. वोटिंग के बाद वित्त मंत्रालय की तरफ से एक बयान में कहा गया, इसमें “नैतिक सुरक्षा उपायों का अभाव” है. साथ ही चेतावनी भी दी कि आईएमएफ जैसी दूसरी संस्थाओं पाकिस्तान को मिलने वाले फंड का इस्तेमाल आतंकवाद को सपोर्ट करने में खर्च हो सकता है.

IMF की फंडिंग पर उठ रहे सवाल

भारतीय राजनयिकों और विदेश नीति के जानकारों का मानना है कि एक ऐसी घड़ी में पाकिस्तान को लोन के लिए मंजूरी मिलना गलत संकेत भेजती है. पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने इस फैसले को ‘भयंकर दृश्य’ कहा. उन्होंने आईएमएफ की कार्यनीति पश्चिमी शासन के पक्ष में है और उनमें जिम्मेदारी का अभाव है.

जाने-माने चुनाव विश्लेषक यशवंत देशमुख ने कहा कि आईएमएफ के ‘हाथ खून से सने हैं.’ इसी तरह से, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सुशांत सरीन ने कहा कि यह फंड पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान के प्रभाव को कम करने या सुधार को प्रोत्साहित करने के बजाय उसे ‘साहस प्रदान’ कर रहा है.

जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जब आईएमएफ भारत पर हमले के लिए पाकिस्तान को ‘अनिवार्य रूप से प्रतिपूर्ति’ कर रहा है, तो तनाव में कमी की उम्मीद कैसे की जा सकती है. इस बीच, निर्वासित अफगानिस्तान की पूर्व सांसद मरियम सोलायमानखिल ने आईएमएफ पर ‘खून-खराबे’ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ”आईएमएफ ने इकोनॉमी को नहीं बचाया, इसने खून-खराबे को बढ़ावा दिया. दुनिया कब तक पाकिस्तान को हत्या करने के लिए पैसे देगी?’