इस साल किसानों को दलहन के न्यूनतम समर्थन मूल्य में अच्छा इजाफा करने के बाद सरकार दलहन उत्पादक किसानों को एक और तोहफा दे सकती है। यदि सरकार ने कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिश मान ली तो दालों पर आयात शुल्क बढ़ जाएगा। इसका सीधा असर दाल की कीमतों पर पड़ेगा। आइए इस खबर को विस्तार से जानते हैं।
सीएसीपी ने कहा कि हमने पाया है कि दालों और खाद्य तेलों का बिना रोक-टोक आयात होने से सोयाबीन, मूंगफली, उड़द, मूंग और तूर की घरेलू कीमतें पिछले साल एमएसपी से नीचे चली गई थीं। आयोग के मुताबिक, कृषि उपजों पर आयात शुल्क की संरचना को एमएसपी के साथ जोड़ने से ही किसानों को अच्छी कीमत सुनिश्चित होगी। और किसान तिलहन और दालों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।बता दें, केंद्र सरकार ने देश में दालों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए दिसंबर 2023 में पीले मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी थी। तब से अप्रैल 2025 तक भारत ने 33 लाख टन से अधिक पीले मटर का आयात किया है। पीले मटर का शुल्क-मुक्त आयात 31 मई, 2025 तक खुला है। सरकार ने अरहर और उड़द जैसी अन्य दालों का भी मार्च 2026 तक शुल्क-मुक्त आयात करने की अनुमति दी है।
क्या होगा आप पर असर?
यदि सूखी मटर के शुल्क मुक्त आयात पर प्रतिबंध लगा और अन्य दालों पर आयात शुल्क बढ़ा तो इसका असर सीधे तौर पर दालों की कीमतों पर पड़ेगा। हालांकि, इसका दूसरा पहलू भी है। इससे किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य भी सुनिश्चित होगा।