डायबिटीज यानी मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर का ब्लड शुगर लेवल अनियंत्रित हो जाता है। इसे नियंत्रित रखने के लिए दवाओं और डाइट के साथ-साथ नियमित शारीरिक गतिविधि भी अत्यंत जरूरी होती है। दिल्ली में स्थित पीएसआरआई अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार, एंडोक्राइनोलॉजी और डायबिटीज़ डॉ. हिमिका चावला कहती हैं कि वॉकिंग यानी टहलना डायबिटीज के मरीजों के लिए सबसे सरल और प्रभावी व्यायामों में से एक है। लेकिन इसे सही समय और तरीके से करना बेहद जरूरी है, ताकि इसका पूरा लाभ मिल सके।
डायबिटीज के मरीजों को प्रतिदिन कम से कम 30 से 45 मिनट की ब्रिस्क वॉक (तेज गति से चलना) की सलाह दी जाती है। यह वॉकिंग एक बार में की जा सकती है या इसे 10-10 मिनट के तीन हिस्सों में भी बांटा जा सकता है। सप्ताह में कम से कम 5 दिन वॉक करना आदर्श माना जाता है। वॉकिंग से न केवल ब्लड शुगर नियंत्रित होता है, बल्कि इंसुलिन की संवेदनशीलता भी बढ़ती है और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता है।
वॉकिंग का सही समय क्या है?
डायबिटीज के मरीजों के लिए भोजन के बाद टहलना विशेष रूप से फायदेमंद होता है। विशेषकर खासकर रात के खाने के बाद 15 से 30 मिनट की हल्की वॉक करने से ब्लड शुगर लेवल तेजी से न बढ़ने में मदद मिलती है। वॉक के लिए भोजन के कम से कम 30 मिनट बाद निकलना चाहिए, तुरंत भोजन के बाद नहीं। सुबह खाली पेट वॉक करना भी लाभदायक हो सकता है, लेकिन इसमें सावधानी जरूरी है। अगर आप इंसुलिन लेते हैं या ब्लड शुगर लेवल पहले से ही कम है, तो सुबह
ब्रिस्क वॉक यानी ऐसी चाल जिसमें आप सामान्य से तेज गति से चलें, लेकिन बिना दौड़ लगाए। चलते समय अपनी पीठ सीधी रखें, हाथों को सामान्य रूप से हिलाएं और सांस की गति संतुलित रखें। वॉकिंग के दौरान जूते आरामदायक और सपोर्टिव हों, ताकि पैरों पर कोई दबाव न पड़े।
डायबिटीज को नियंत्रित रखने में वॉकिंग एक सरल लेकिन प्रभावशाली उपाय है। सही समय पर, नियमित रूप से और सही तकनीक के साथ की गई वॉकिंग आपके ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद करती है और आपकी समग्र सेहत को बेहतर बनाती है।