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भारत के खिलाफ चीन की नई साजिश! म्यांमार को मोहरा बनाकर पूर्वोत्तर में उबाल, मिजोरम-मणिपुर सीमा बनी बारूद का ढेर

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भारत-पाकिस्तान युद्ध में जब चीन ने पाकिस्तान की खुलकर मदद की थी. तब दुनिया ने पहली बार देखा था कि चीन भारत को कमजोर करने के लिए किस हद तक जा सकता है. लेकिन अब बीजिंग ने एक और मोर्चा खोल दिया है इस बार भारत के अपने ही पड़ोसी म्यांमार को मोहरा बनाकर. म्यांमार में चिन विद्रोहियों के संघर्ष को चीन जिस तरह हवा दे रहा है, उससे भारत के मिजोरम और मणिपुर जैसे शांत सीमांत राज्यों में भीषण अस्थिरता पैदा हो गई है.
म्यांमार के चिन इलाके में CNDF और CDF जैसे जातीय गुटों के बीच छिड़ा संघर्ष अब भारत की सीमा पर उबाल बन चुका है. 2 जुलाई को CNDF ने मिजोरम की सीमा से लगे खावथलिर गांव में अवैध चेकपॉइंट बना डाले, आम नागरिकों से वसूली की, फोन चेक किए. जवाब में CDF ने हथियार उठाए और जो हुआ उसने मिजोरम की सीमा पर दहशत फैला दी.
म्यांमार के बहाने चीन की नई चाल
चौंकाने वाली बात ये है कि CNDF के कब्ज़े में जो हथियार बरामद हुए, वो चीन निर्मित हैं. यही नहीं CNDF के सीनियर नेताओं को चीन के युन्नान प्रांत में ‘विशेष प्रशिक्षण’ मिला. भारत की एजेंसियों को यह सूचना म्यांमार के भीतर से मिली है. यानी चीन म्यांमार में विद्रोह को सिर्फ हवा नहीं दे रहा उसे रणनीतिक रूप से संचालित भी कर रहा है.

हथियारों की तस्करी, शरणार्थियों का सैलाब मिजोरम पर बढ़ा बोझ
जोखावथरसीमा से 245 नए शरणार्थी मिजोरम में दाखिल हुए हैं. इससे कुल संख्या 35,000 के पार पहुंच चुकी है. इस मानवीय संकट के पीछे भी चीन की रणनीति झलकती है. भीतर से भारत को कमजोर करने की साजिश जिससे राज्य सरकारें अस्थिर हों, केंद्र पर दबाव बढ़े और सामुदायिक तनाव गहराए.
हथियारों की तस्करी भी चीन के समर्थन से म्यांमार के विद्रोही गुटों द्वारा लॉन्गतलाई और चंपाई इलाकों से की जा रही है. ये वही रास्ते हैं जिनके ज़रिए पाकिस्तानी एजेंसियां भी ड्रग्स और नकली नोट पहुंचाने की कोशिश करती रही हैं. यानी पूर्वोत्तर में एक ‘सीक्रेट वॉर’ चीन कर रहा है.

2023 में मिजोरम से 184 मैतई लोगों को पलायन करना पड़ा था. तब भी म्यांमार के ही जातीय तनाव की आंच भारत के भीतर महसूस की गई थी. अब फिर मिजोरम की कुकी-जो समुदाय के लिए खुला समर्थन मणिपुर के साथ रिश्तों में तल्खी ला रहा है.
विशेषज्ञ इसे चीन की ‘Divide India’ पॉलिसी का हिस्सा मानते हैं. वह जानता है कि जहां युद्ध नहीं जीत सकते, वहां समाज को तोड़ो, राज्यों को उलझाओ और लोकतंत्र के भीतर से अस्थिरता पैदा करो.

चिन एकता टूटी, चीन की चाल सफल?
आइजोल में चिन विद्रोही गुटों के बीच जो एकता बनी थी वो अब CNDF के ड्रोन हमलों और CDF के आपातकाल के एलान के साथ खत्म हो चुकी है. CNDF ने फालाम-रिखावदार कॉरिडोर पर नियंत्रण के लिए हमला तेज किया है. यही इलाका भारत से लगी लॉजिस्टिक सप्लाई का मुख्य मार्ग है. जाहिर है CNDF को यह रणनीति किसी स्थानीय दिमाग ने नहीं दी यह सीधे-सीधे एक रणनीतिक थिंक टैंक की स्क्रिप्ट लगती है और उंगलियां सीधे बीजिंग की ओर उठती हैं.