इजरायल-हमास, इजरायल-ईरान और रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया की तस्वीर को बदल कर रख दिया है. सामरिक स्थिति में व्यापक पैमाने पर बदलाव देखे जा रहे हैं. दुनिया दो खेमों में बंट चुकी है, ऐसे में भारत जैसे देश के लिए डिफेंस सेक्टर में खुद को आत्मनिर्भर बनाना काफी जरूरी हो गया है. स्ट्रैटजिक पार्टनर्स के साथ टेक्नोलॉजिकल सहयोग के साथ ही अपग्रेडेड वेपन हासिल करना समय की मांग है. भारत और रूस का संबंध दशकों पुराना है. रूस ने हर बुरे वक्त में हमारा साथ दिया है. मौजूदा माहौल में भारत के लिए अपने डिफेंस सिस्टम को दुरुस्त करना जरूरी हो गया है. 4 जुलाई 2025 को आर्मी के डिप्टी चीफ ने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए कुछ महत्वपूर्ण कमियों के बारे में बड़ी साफगोई से बात की थी. उन्होंने सिस्टम को नई टेक्नोलॉजी के साथ पूरे सिस्टम को अपग्रेड करने की जरूरत पर जोर दिया. बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के समय इंडियन एयरफोर्स ने अहम भूमिका निभाई, पर यही वायुसेना फाइटर जेट की कमी से जूझ रही है. भारत इस कमी को दो स्तरों पर दूर करने की कोशिश में जुटा है. पहला, पार्टनर देशों से फाइटर जेट इंपोर्ट कर और दूसरा घरेलू स्तर पर लड़ाकू विमान के उत्पादन को बढ़ाकर. भारत पांचवीं पीढ़ी का विमान हासिल करने में जुटा है. साथ ही 5th जेनरेशन का देसी फाइटर जेट बनाने के लिए AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) प्रोजेक्ट भी लॉन्च किया गया है. हाल में ही डिफेंस डिपार्टमेंट की ओर से पांचवीं पीढ़ी का प्रोटोटाइप डिजाइन तैयार करने का कॉन्ट्रैक्ट भी निकाला गया है. इसके लिए 15000 करोड़ रुपये का शुरुआती फंड रखा गया है. इस बीच, अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए जिस तरह से B-2 स्पिरिट बॉम्बर स्टील्थ जेट का इस्तेमाल किया, उससे अब एक बार फिर से बॉम्बर जेट पर फोकस बढ़ गया है.
कुछ दिनों पहले ही भारत द्वारा अपने तरह का बंकर बस्टर वेपन सिस्टम डेवलप करने की बात सामने आई है. यह प्रणाली मिसाइल पर आधारित होगी. दरअसल, भारत के पास अमेरिका या रूस की तरह मॉडर्न बॉम्बर जेट नहीं है, ऐसे में भारत मिसाइल टेक्नोलॉजी आधारित बंकर बस्टर सिस्टम डेवलप करने में जुटा है. इसके लिए अग्नि-5 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल को बंकर बस्टर के तौर पर डेवलप कर रहा है. बता दें कि भारत मित्र देश रूस से दुनिया के मॉडर्न बॉम्बर जेट में से एक हासिल करने में जुटा है. इसका नाम टुपोलेव Tu-160M है. इसे व्हाइट स्वान के नाम से भी जाना जाता है. अमेरिका की अगुआई वाला NATO Tu-160M को ब्लैकजैक कहता है. यूक्रेन के साथ जारी जंग के कारण Tu-160M स्ट्रैटजिक बॉम्बर जेट के उत्पादन में देरी हो रही है. बता दें कि रूस इस अल्ट्रा मॉडर्न सुपरसोनिक बॉम्बर जेट को अपने कजान प्लांट में डेवलप करता है. कुछ सप्ताह पहले यूक्रेन ने रूस के एक एयरबेस पर हमला कर कई बॉम्बर जेट को तबाह कर दिया था. इससे रूस का डिफेंस प्रोडक्शन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. साथ ही भारत द्वारा स्ट्रैटजिक बॉम्बर जेट हासिल करने के प्रयासों को भी धक्का लगा है. डिफेंस एक्सपर्ट का मानना है कि यदि भारत Tu-160M बॉम्बर जेट हासिल करने में सक्षम रहता है तो रीजन में स्ट्रैटजिक बैलेंस को अपने पक्ष में करने में सक्षम हो जाएगा. बता दें कि मौजूदा समय में भारत राफेल और Su-30MKI जैसे मल्टीरोल फाइटर जेट पर निर्भर है. इसके साथ ही पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान हासिल करने का प्रयास भी किया जा रहा है.
Tu-160M बॉम्बर जेट की कीमत
Tu-160M बॉम्बर जेट की गिनती दुनिया के खतरनाक और शक्तिशाली विमानों में होती है. Tu-160M एक सुपरसोनिक जेट है, ऐसे में यह 1200 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. इसके साथ ही रूस का यह महाबली जेट कन्वेंशनल (परंपरागत या सामान्य विस्फोटक) के साथ ही न्यूक्लियर पेलोड ले जाने में सक्षम है, जो इसकी ताकत को बताने के लिए काफी है. Tu-160M बमवर्षक विमान सामान्य फाइटर जेट से कहीं अलग है. बता दें कि इस जेट को हासिल करने के बाद भारत इसमें ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को इसमें इंटीग्रेट करने की योजना बना रहा है. जाहिर है कि ब्रह्मोस दुनिया की सबसे खतरनाक और घातक क्रूज मिसाइल है. ब्रह्मोस फिलहाल एक सुपरसोनिक मिसाइल सिस्टम है और इसे हाइपरसोनिक में बदलने के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, एक टीयू-160एम बॉम्बर की कीमत 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी ₹4275 है. इसके अलावा इसका मेंटेनेंस आम फाइटर जेट से ज्यादा है.
12000 किलोमीटर रेंज
रूसी Tu-160M बॉम्बर जेट कई मायनों में खास है. इसका कॉम्बेट रेंज 1200 किलोमीटर है. इसका मतलब यह हुआ कि इतनी दूरी तक इसे री-फ्यूलिंग की जरूरत नहीं पड़ती है. यदि भारत इसे हासिल करने में सफल रहता है तो एशिया-पैसिफिक रीजन में चीन की दादागिरी पर लगाम लगाया जा सकेगा. बता दें कि चीन ने भी H-6 के नाम से अपना बॉम्बर जेट डेवलप किया है, ऐसे में इंडियन एयरफोर्स के पास Tu-160M बॉम्बर जेट होने की वजह से भारत को बीजिंग पर बढ़त हासिल हो जाएगी. चीन का एच-6 टेक्नोलॉजी और अन्य स्पेसीफिकेशन में Tu-160M से कहीं पीछे है.
40000 किलो पेलोड ले जाने की क्षमता
सबसे खास बात यह है कि Tu-160M बॉम्बर जेट अविश्वसनीय तरीके से विस्फोटक की मात्रा लेकर उड़ान भरने में सक्षम है. रिपोर्ट की मानें तो रूसी बॉम्बर जेट 40 टन पेलोड के साथ टारगेट पर धावा बोल सकता है. 40 टन का मतलब हुआ 40000 किलोग्राम विस्फोटक के साथ दुश्मन के ठिकानों पर हमला. इतनी बड़ी मात्रा में पेलोड कहीं भी व्यापक पैमाने पर तबाही मचाने में सक्षम होगा. दिलचस्प बात यह है कि Tu-160M बॉम्बर जेट जितना पेलोड ले जाने में सक्षम है, उतना राफेल और एफ-35 का वजन तक नहीं है. बिना पेलोडे के राफेल जेट का वेट 10 टन यानी 10000 किलो है. वहीं, F-35 का वजन 1300 किलोग्राम है. इस तरह रूसी Tu-160M बॉम्बर जेट राफेल और एफ-35 के संयुक्त वजन से कहीं ज्यादा पेलोड ले जाने में सक्षम है.