भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. रिटायरमेंट के 8 महीने बाद भी उन्होंने अभी तक लुटियंस दिल्ली में स्थित आधिकारिक बंगले को खाली नहीं किया है. इस वजह से पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना सीजेआई के लिए खासतौर पर आवंटित आवास में रहे बिना ही रिटायर हो गए. मौजूदा सीजेआई जस्टिस बीआर गवई को भी अभी तक देश के प्रधान न्यायाधीश के आवंटित आधिकारिक बंगला नसीब नहीं हुआ है. इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट एडमिनिस्ट्रेशन ने बड़ा और अप्रत्याशित कदम उठाया है. सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्र को इस बाबत नोटिस जारी कर मौजूदा सीजेआई के लिए आवंटित बंगले को बिना किसी देरी के खाली करवाने और उसे सुप्रीम कोर्ट हाउसिंग पूल को सौंपने को कहा है. अब केंद्र के शहरी विकास विभाग को इसपर फैसला लेना है.
सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए केंद्र सरकार को पत्र लिखकर पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ से तत्काल आधिकारिक आवास खाली कराने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने 1 जुलाई 2025 को केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) को भेजे पत्र में कहा कि जस्टिस चंद्रचूड़ (जिनका कार्यकाल नवंबर 2024 में समाप्त हो गया था) लुटियंस दिल्ली स्थित कृष्ण मेनन मार्ग का सरकारी बंगला तय समयसीमा से अधिक समय तक रखे हुए हैं. बंगला नंबर-5, कृष्ण मेनन मार्ग पर देश के प्रधान न्यायाधीश के लिए आरक्षित है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से केंद्र को भेजे गए पत्र में कहा गया है, ‘जस्टिस (रिटायर्ड) डीवाई चंद्रचूड़ को यह बंगला रखने की जो अनुमति दी गई थी, वह 31 मई 2025 को समाप्त हो चुकी है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट जजेज (संशोधन) नियम, 2022 के तहत नियम 3B में दिए गए छह माह की अवधि भी 10 मई 2025 को खत्म हो गई है. ऐसे में बिना किसी देरी के यह आवास वापस लिया जाए.’
नियमों का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट की ओर भेजे गए पत्र में इस बात पर जोर दिया गया कि चंद्रचूड़ अब नियमों के तहत आवंटित की जा सकने वाली टाइप VII श्रेणी की बजाय टाइप VIII बंगले में रह रहे हैं, जिसकी अनुमति सिर्फ कार्यरत CJI को होती है. नियम 3B के अनुसार, कोई भी सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश छह माह तक केवल टाइप VII आवास रख सकता है, वह भी प्रतीकात्मक लाइसेंस फीस पर. चंद्रचूड़ ने दिसंबर 2024 में निवर्तमान CJI जस्टिस संजीव खन्ना को पत्र लिखकर 30 अप्रैल 2025 तक बंगला रखने की अनुमति मांगी थी, जो दी गई थी. बाद में मौखिक अनुरोध पर उन्हें 31 मई तक रहन की अनुमति दी गई, वो भी इस शर्त के साथ कि इसके बाद कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा. इसके बावजूद अब वह जुलाई में भी उसी बंगले में रह रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मंत्रालय से कहा है कि अब और कोई विस्तार नहीं हो सकता, इसलिए बिना किसी विलंब के बंगला वापस लिया जाए.
जस्टिस चंद्रचूड़ की सफाई
पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने देरी की वजह निजी परिस्थितियों को बताया है. उनका कहना है कि उन्हें वैकल्पिक आवास पहले ही मिल चुका है, लेकिन वह पिछले दो वर्षों से बंद था और अभी भी रहने योग्य नहीं है. उन्होंने कहा कि जैसे ही मरम्मत कार्य पूरा होगा, वह तत्काल उसमें शिफ्ट हो जाएंगे. उन्होंने यह भी बताया कि उनकी दो बेटियां विशेष देखभाल की स्थिति में हैं और उन्हें AIIMS में इलाज मिल रहा है. पूर्व सीजेआई ने कहा, ‘मेरी दोनों बेटियों को गंभीर जेनेटिक डिसऑर्डर (नेमालीन मायोपैथी) है, जिसके कारण मुझे उनके अनुकूल घर खोजने में समय लग गया. मैंने यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट प्रशासन को पहले ही दे दी थी.’ पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि अतीत में भी कई सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीशों को कुछ समय तक सरकारी आवास रखने की अनुमति दी गई है. उन्होंने कहा कि मैं अपनी जिम्मेदारियों से पूरी तरह अवगत हूं और जल्द ही शिफ्ट हो जाऊंगा.