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बिहार में ‘मल्लयुद्ध’ शुरू… राहुल गांधी ने पलट दी बाजी…..तेजस्वी हुए गायब, बीजेपी में भी हड़कंप

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का असर बिहार चुनाव 2025 में दिखने लगा है? क्या राहुल की बिहार यात्रा से बीजेपी में बेचैनी बढ़ गई है? गमछा लहराने वाले तेजस्वी यादव ने भी अपना गमछा समेट लिया है? क्यों बिहार में बीजेपी और कांग्रेसी कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए हैं? क्या राहुल गांधी ने बिहार चुनाव 2025 का पूरा गणित उलट-पुलट कर दिया है? अगर इन सारे सवालों का जवाब आपको चाहिए तो शुक्रवार को पटना की सड़कों पर बीजेपी कार्यकर्ताओं और कांग्रेसियों के बीच हुए ‘मल्लयुद्ध’ का वीडियो जरूर देख लें. आपको समझ में आ जाएगा कि बिहार चुनाव 2025 किस ओर जा रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या बीजेपी को कांग्रेस के बढ़ते वोट बैंक से खतरा होने लगा है? क्या राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से बीजेपी का गणित बिगड़ जाएगा?
बता दें कि राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से बीजेपी में जहां हड़कंप है तो वहीं तेजस्वी की चमक भी फीकी पड़ती जा रही है. राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने सियासी माहौल को गरमा दिया है. 17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई यह यात्रा ने बिहार की सियासत में भूचाल ला दिया है. राहुल गांधी और इंडिया गठबंधन के नेताओं खासकर आरजेडी के तेजस्वी यादव के साथ इस यात्रा ने मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं और ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है. लेकिन इस यात्रा ने न केवल बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया है, बल्कि महागठबंधन के भीतर भी समीकरण बदल दिए हैं.

शुक्रवार को पटना में बीजेपी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच तीखी झड़प ने सियासी माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया. कांग्रेस का दावा है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पटना में कांग्रेस कार्यालय सदाकत आश्रम पर हमला किया, जिसमें कार्यकर्ता घायल हुए और गाड़ियों में तोड़फोड़ हुई. कांग्रेस ने इसे बीजेपी की बौखलाहट करार दिया, जबकि बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे महागठबंधन का ‘राजनीतिक नाटक’ बताया. पीएम मोदी पर भद्दी टिप्पणी के बाद बीजेपी के आम कार्यकर्ता से लेकर बड़े-बड़े नेता गुस्से में हैं.
राहुल का पावर-पंच, तेजस्वी किनारे

राहुल गांधी की यात्रा का असर बिहार के ग्रामीण इलाकों में साफ दिख रहा है. सासाराम, देहरी, सुपौल और सीतामढ़ी जैसे क्षेत्रों में उनकी सभाओं में युवाओं और महिलाओं की भारी भीड़ ने कांग्रेस को नई ताकत दी है. प्रियंका गांधी के सुपौल और दरभंगा दौरे ने भी महिला वोटरों को साधने में अहम भूमिका निभाई. एक हालिया सर्वे (जेवीसी पोल) के मुताबिक, अगर आज चुनाव हों तो एनडीए को 136 सीटें मिल सकती हैं, लेकिन इंडिया गठबंधन की बढ़त ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.
बिहार में बिगड़ा सियासी संतुलन?
राहुल गांधी की इस यात्रा से न केवल बीजेपी में बेचैनी है बल्कि अंदर ही अंदर तेजस्वी यादव की चमक भी फीकी पड़ रही है. सियासी हलकों में चर्चा है कि राहुल गांधी की आक्रामक रणनीति ने आरजेडी की चमक को फीका कर दिया है. चिराग पासवान ने तंज कसते हुए कहा कि आरजेडी अब ‘कांग्रेस की पिछलग्गू’ बन गई है. विश्लेषकों का मानना है कि राहुल की यात्रा ने कांग्रेस को 2020 के 19 सीटों से ज्यादा की उम्मीद दी है, जिससे वह महागठबंधन में 70 सीटों की मांग कर रही है.

राहुल गांधी का बिहार मिशन कंप्लीट या इनकंप्लीट?
बीजेपी के लिए खतरा यह है कि राहुल की यात्रा ने दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वोटरों को लामबंद किया है. कांग्रेस का दावा है कि 65 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए, जिनमें ज्यादातर गरीब और दलित हैं. यह मुद्दा बीजेपी के वोटबैंक, खासकर ग्रामीण और युवा मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है. बीजेपी ने जवाब में नीतीश कुमार और पीएम मोदी के विकास मॉडल को आगे रखा है, लेकिन राहुल की यात्रा ने उनके हिंदुत्व कार्ड को भी चुनौती दी है, खासकर प्रियंका की जानकी मंदिर पूजा के बाद.
ऐसे में बिहार की 243 सीटों पर अक्टूबर-नवंबर में होने वाले इस चुनाव में राहुल की यात्रा ने सियासी समीकरण को उलट-पुलट कर रख दिया है. आम लोगों के साथ-साथ चुनावी पंडित भी जानना चाह रहे हैं कि क्या बिहार चुनाव में कुछ बड़ा होने वाला है? क्या बीजेपी का वोटबैंक खिसकेगा या नीतीश की साख बरकरार रहेगी? यह सवाल बिहार की जनता के जवाब पर टिका है. बता दें कि मल्लयुद्ध भारत की एक कुश्ती या बाहुयुद्ध की शैली हैस जिसमें दो पहलवान बिना हथियार के लड़ते हैं. बिहार चुनाव में भी यह मल्लयुद्ध अब शुरू हो गया है.

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