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“रूसी सैन्य अभ्यास में अमेरिका-तुर्की जैसे नाटो देश भी तो गए थे, EU को भारत का दो टूक जवाब”

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भारतीय विदेश मंत्रालय ने रूस में आयोजित बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास “जापद 2025” में भारत की भागीदारी पर पश्चिमी देशों की चिंताओं को खारिज कर दिया। मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि इस अभ्यास में भारत के साथ-साथ कई अन्य देशों ने भी हिस्सा लिया, वहीं खुद अमेरिका, तुर्किये और जर्मनी जैसे NATO सदस्य देश भी पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद रहे।

प्रवक्ता ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि भारतीय सेना की एक टुकड़ी इस अभ्यास में शामिल हुई है। उन्होंने बताया कि इस बारे में विस्तृत जानकारी रक्षा मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति में उपलब्ध है।

भारत से 65 सदस्यीय दल हुआ शामिल 9 सितम्बर को रक्षा मंत्रालय ने बताया था कि भारतीय सशस्त्र बलों का 65 सदस्यीय दल रूस के निजनी क्षेत्र स्थित मुलिनो ट्रेनिंग ग्राउंड के लिए रवाना हुआ है। इस बहुपक्षीय संयुक्त सैन्य अभ्यास का उद्देश्य सैन्य सहयोग को बढ़ाना, आपसी तालमेल को बेहतर करना और विभिन्न सेनाओं के बीच युद्ध कौशल, तकनीक और प्रक्रियाओं का आदान-प्रदान करना है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, जापद 2025 के तहत खुले और समतल क्षेत्रों में कंपनी-स्तर की संयुक्त कार्रवाइयों का अभ्यास किया गया।

NATO देश भी बने पर्यवेक्षक प्रवक्ता जायसवाल ने कहा, “कई अन्य देशों ने इस अभ्यास में पर्यवेक्षक के तौर पर भाग लिया। इनमें NATO सदस्य अमेरिका, तुर्किये और हंगरी भी शामिल हैं।” रूसी समाचार एजेंसी TASS के अनुसार, बेलारूस रक्षा मंत्रालय ने बताया कि कुल 23 देशों के पर्यवेक्षक जापद 2025 अभ्यास में शामिल हुए हैं। इनमें NATO सदस्य अमेरिका, तुर्किये और जर्मनी भी थे। इसके अलावा तीन अंतरराष्ट्रीय संगठन- यूनियन स्टेट, कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (CSTO) और कॉमनवेल्थ ऑफ इंडिपेंडेंट स्टेट्स (CIS) ने भी अपने पर्यवेक्षक भेजे। बेलारूस की सेना ने कहा कि 17 देशों- अजरबैजान, चीन, क्यूबा, हंगरी, इंडोनेशिया, ईरान, कजाकिस्तान, पेरू, रूस, सर्बिया, सूडान, तुर्किये, तुर्कमेनिस्तान, अमेरिका, वियतनाम, जाम्बिया और जिम्बाब्वे के सैन्य अटैची भी इस अभ्यास में मौजूद रहे।

EU की चिंता और भारत का जवाब हाल ही में यूरोपीय संघ की उपाध्यक्ष काया कैलास ने कहा था कि रूस के साथ भारत के सैन्य अभ्यास और तेल खरीद EU-भारत साझेदारी में बाधा बन सकते हैं। इस पर MEA प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि भारत की स्थिति पहले से स्पष्ट है। उन्होंने कहा, “हमारे रक्षा संबंध और सैन्य अभ्यास कई देशों के साथ होते हैं। तेल खरीद के मामले में भी हमने बार-बार बताया है कि इसके पीछे क्या कारण और हमारी क्या नीति है। जहां तक भारत-EU संबंधों की बात है, हाल ही में दोनों पक्षों ने नई रणनीतिक साझेदारी का एजेंडा जारी किया है। प्रधानमंत्री मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच 17 सितम्बर को हुई बातचीत में इस पर विस्तार से चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने आपसी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर सहमति जताई।”

नई रणनीतिक EU-India एजेंडा यूरोपीय आयोग और उच्च प्रतिनिधि ने “न्यू स्ट्रैटेजिक EU-India एजेंडा” जारी किया है, जो दोनों पक्षों के संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाने की पहल है। इसका उद्देश्य आपसी समृद्धि, सुरक्षा और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग को बढ़ावा देना है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस एजेंडा पर खुशी जताई और कहा कि भारत-यूरोपीय संघ संबंधों को अगले स्तर तक ले जाने के लिए भारत तैयार है। फिलहाल दोनों पक्ष संतुलित, महत्वाकांक्षी और परस्पर लाभकारी मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत कर रहे हैं और सुरक्षा एवं रक्षा साझेदारी को अंतिम रूप देने की दिशा में कार्यरत हैं।