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छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में बीजेपी के नेता रतन दुबे की हत्या मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने बड़ी कार्रवाई…

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छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में बीजेपी के नेता रतन दुबे की हत्या मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने बड़ी कार्रवाई की है. एजेंसी ने इस घटना में शामिल पाए गए दो आरोपियों शिवानंद नाग और उसके पिता नारायण प्रसाद नाग के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है.

अधिकारियों के अनुसार, गुरुवार (26 सितंबर) को जगदलपुर स्थित एनआईए की विशेष अदालत में दूसरा पूरक आरोपपत्र पेश किया गया. इसमें दोनों आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है. जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि दोनों ने रतन दुबे की हत्या की साजिश में सक्रिय भूमिका निभाई थी.

क्या है पूरा मामला एनआईए की जांच में सामने आया है कि शिवानंद नाग प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का सक्रिय सदस्य था. उसका दुबे से राजनीतिक, व्यावसायिक और व्यक्तिगत स्तर पर पुराना विवाद था. इसी दुश्मनी और संगठन के दबाव के कारण वह हत्या की योजना में शामिल हुआ.

नवंबर 2023 में हुई थी रतन दुबे की हत्या गौरतलब है कि 2023 के नवंबर महीने में बस्तर क्षेत्र के नारायणपुर जिला बीजेपी उपाध्यक्ष रतन दुबे की निर्मम हत्या कर दी गई थी. यह हमला झारा घाटी क्षेत्र के कौशलनार गांव के साप्ताहिक बाजार में हुआ, जब दुबे चुनाव प्रचार में व्यस्त थे. माओवादियों ने उन पर कुल्हाड़ी से प्रहार किया, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई.

जनता के बीच दहशत फैलाना था उद्देश्य एनआईए ने आरोप लगाया कि यह हमला चुनावी प्रक्रिया में बाधा डालने और स्थानीय जनता को भयभीत करने के लिए किया गया था. जांच में माओवादी संगठन के पूर्वी बस्तर डिविजन की बयानार एरिया कमेटी और बारसूर एरिया कमेटी के सदस्यों और उनके सहयोगियों की संलिप्तता भी उजागर हुई है.

एनआईए कर रहा मामले की जांच फरवरी 2024 में इस मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई थी. तब से लेकर अब तक एजेंसी एक मुख्य आरोपपत्र और दो पूरक आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है. अधिकारियों का कहना है कि जांच जारी है और जल्द ही अन्य संदिग्धों पर भी कार्रवाई की जाएगी.

एनआईए की इस कार्रवाई से स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार और जांच एजेंसियां नक्सलवाद और राजनीतिक हत्याओं के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए हैं. अब देखना होगा कि अदालत में यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है.