चीन के साथ सुधरते रिश्तों पर भारत सरकार ने एक और मुहर लगा दी है. चीन सहित कई देशों के सामान पर लगने वाले एंटीडंपिंग शुल्क को सरकार ने करीब 17 साल बाद खत्म कर दिया है. माना जा रहा है कि यह कदम व्यापार सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है. इससे पहले चीन ने पहली बार सुरक्षा परिषद में भारत को वीटो पॉवर दिए जाने का समर्थन किया था. अमेरिका के टैरिफ वॉर शुरू किए जाने के बाद दोनों पड़ोसी देशों के रिश्तों में कई साल बाद सुधार आता दिख रहा है.
सरकार ने चीन से आयात होने वाले कई ऑटो उपकरणों जिसमें कॉमर्शियल वाहनों की स्टीयरिंग और एक्सेल बीम, ट्रक और बसों के भारी उपकरण आदि पर लगने वाले एंटीडंपिंग शुल्क को पूरी तरह खत्म कर दिया है. यह शुल्क साल 2008 से ही वसूला जा रहा था और जुलाई, 2023 में इसकी मियाद खत्म हो चुकी थी. सरकार ने इस शुल्क अब और आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है.
घरेलू उत्पादन बढ़ाना है लक्ष्य
विश्व व्यापार संगठन को दी जानकारी में सरकार ने बताया कि टैरिफ से हो रहे नुकसान की भरपाई करने के लिए घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. इस कड़ी में घरेलू विनिर्माताओं को सस्ता कच्चा माल उपलब्ध कराने और इसकी लागत घटाने के लिए चीन सहित अन्य देशों से आने वाले कई उपकरणों पर एंटीडंपिंग शुल्क खत्म करने का फैसला किया गया है. यह फैसला डब्ल्यूटीओ की एंटी-डंपिंग पर हुई हालिया समीक्षा के बाद लिया गया है. इसका फायदा चीन के अलावा मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, यूरोपीय संघ और यूके को भी मिलेगा.
विश्व व्यापार संगठन को दी जानकारी में सरकार ने बताया कि टैरिफ से हो रहे नुकसान की भरपाई करने के लिए घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. इस कड़ी में घरेलू विनिर्माताओं को सस्ता कच्चा माल उपलब्ध कराने और इसकी लागत घटाने के लिए चीन सहित अन्य देशों से आने वाले कई उपकरणों पर एंटीडंपिंग शुल्क खत्म करने का फैसला किया गया है. यह फैसला डब्ल्यूटीओ की एंटी-डंपिंग पर हुई हालिया समीक्षा के बाद लिया गया है. इसका फायदा चीन के अलावा मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, यूरोपीय संघ और यूके को भी मिलेगा.