Global Summit 2025: जर्मनी के स्टटगार्ट शहर में भारत की आर्थिक ताकत और वैश्विक नेतृत्व की गूंज सुनाई दी. ग्लोबल समिट’ के दूसरे संस्करण का, जहां दुनिया भर के दिग्गजों ने बदलती वैश्विक व्यवस्था के बीच भारत और जर्मनी के मजबूत होते रिश्तों पर मंथन किया.
इस खास समिट में एक सत्र ऐसा भी रहा जहां अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों से लेकर फ्री ट्रेड एग्रीमेंट तक पर खुलकर चर्चा हुई और यह समझने की कोशिश की गई कि इस दौर में भारत और जर्मनी मिलकर दुनिया को कैसे एक नई राह दिखा सकते हैं.
भारत-जर्मनी के लिए सुनहरा मौका
समिट के एक बेहद अहम सत्र का विषय था ‘फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स एंड टैरिफ वॉर्स:
द इंडिया-जर्मनी एडवांटेज’. इसमें LBBW के प्रबंध निदेशक मंडल के सदस्य जोआचिम एर्डले, लार्सन एंड टुब्रो के समूह मुख्य अर्थशास्त्री सच्चिदानंद शुक्ला, स्टेट काउंसलर कास्पर सटर और प्रोफेसर सचिन कुमार शर्मा जैसे दिग्गजों ने अपनी बेबाक राय रखी. चर्चा का सार यह था कि जब दुनिया संरक्षणवादी नीतियों और टैरिफ की लड़ाइयों से जूझ रही है, तब भारत और जर्मनी स्थिरता और विकास के दो मजबूत स्तंभ बनकर उभर सकते हैं. एक तरफ भारत का विशाल बाजार और बढ़ती उपभोक्ता शक्ति है, तो दूसरी तरफ जर्मनी की औद्योगिक और तकनीकी महारत. विशेषज्ञों का मानना था कि दोनों लोकतांत्रिक देश मिलकर न केवल सप्लाई चेन के झटकों का सामना कर सकते हैं, बल्कि वैश्विक व्यापार को एक नई, भरोसेमंद दिशा भी दे सकते हैं.
30 साल में 13 गुना बढ़ी इकोनॉमी
इस दौरान लार्सन एंड टुब्रो के समूह मुख्य अर्थशास्त्री सच्चिदानंद शुक्ला ने भारतीय अर्थव्यवस्था की शानदार तस्वीर पेश की. उन्होंने दमदार आंकड़ों के साथ बताया, “पिछले 30 सालों में भारत की अर्थव्यवस्था 6% से बढ़ी है. इसका सीधा मतलब है कि 30 साल में हमारी इकोनॉमी 13 गुना बड़ी हो गई है.” उन्होंने आगे कहा कि इस दौरान प्रति व्यक्ति आय में भी 9 गुना का जबरदस्त उछाल आया है, जबकि इसी अवधि में अमेरिका में यह आंकड़ा 4.7 गुना ही बढ़ा. ये आंकड़े इस बात का सबूत हैं कि भारत ने विकास की कितनी लंबी और तेज छलांग लगाई है और आज वह दुनिया की नजरों में क्यों एक चमकता सितारा बना हुआ है.