महिला वनडे वर्ल्ड कप का खिताब जीतने के बाद भारतीय महिला टीम की खिलाड़ियों की आंखों में आंसू थे. टीम इंडिया लंबे समय से इस पल का इंतजार कर रही थी. खिलाड़ियों के अलावा एक और शख्स को इस पल का इंतजार था.
वो शख्स थे, टीम के हेड कोच अमल मजूमदार, जिन्होंने कभी भारतीय टीम की जर्सी तो नहीं पहनी, लेकिन उन्होंने वो कर दिखाया, जो देश के लिए खेलने वाले भी नहीं कर पाए. टीम इंडिया को वर्ल्ड चैंपियन बनाने में मुंबई के इस पूर्व रणजी खिलाड़ी का अहम योगदान है.
अमोल मजूमदार ने कैसे बदली टीम की तकदीर?
भारतीय महिला टीम वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में साल 2005 और 2017 में पहुंची थी, लेकिन कभी वो चैंपियन नहीं बन पाई, लेकिन इस बार टीम इंडिया का इरादा कुछ और ही था. अमोल मजूमदार की कोचिंग में महिला टीम ने इतिहास रच दिया और 52 साल के सूखे को खत्म किया. भारतीय महिला टीम के हेड कोच अमोल मजूमदार के लिए ऐसा करना आसान नहीं था. उन्होंने खिलाड़ियों के साथ कड़ी मेहनत की. खिलाड़ियों की कमजोरियों को दूर किया और उनके अंदर जीत का जज्बा पैदा किया.
साल 2023 में बने थे कोच भारतीय टीम में मौका नहीं मिलने से निराश अमोल मजूमदार ने साल 2014 में क्रिकेट से रिटायरमेंट लेने के बाद कोचिंग की राह पकड़ी. उन्होंने नीदरलैंड, साउथ अफ्रीका और राजस्थान रॉयल्स जैसी टीमों के साथ काम किया. इस दौरान उनकी पहचान एक ऐसे कोच की बनी जो कम बोलता है, लेकिन बहुत गहराई से हर चीज को समझता है.
अक्टूबर 2023 में उन्हें भारतीय महिला टीम का हेड कोच बनाया गया. उस दौरान कई लोगों ने सवाल भी उठाए कि जिसने देश के लिए कभी नहीं खेला, वो कोच कैसे बनेगा? लेकिन अब उन्हीं लोगों की बोलती बंद हो गई है. इस वर्ल्ड कप में लगातार 3 हार के बाद उनकी कोचिंग पर सवाल उठने लगे थे.
अमोल मजूमदार ने ऐसे बढ़ाया टीम का हौसला इंग्लैंड से मैच हारने के बाद अमोल मजूमदार ने टीम के खिलाड़ियों के कहा, “आप लोगों को ये मैच आसानी से खत्म करना चाहिए था”. इसके बाद उन्होंने टीम के खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया और जीत का जज्बा जगाया. कप्तान हरमनप्रीत कौर ने एक इंटरव्यू में बताया कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल से पहले मजूमदार ने ड्रेसिंग रूम की व्हाइटबोर्ड पर सिर्फ एक लाइन लिखी, “हमें फाइनल में पहुंचने के लिए बस उनसे रन ज्यादा चाहिए, बस इतना”. देखने में ये लाइन साधारण लगी, लेकिन ये हमारे दिल में बस गई. जेमिमा रॉड्रिग्स ने नंबर तीन पर बल्लेबाजी की, जैसा कि मजूमदार ने तय किया था और उन्होंने ऐतिहासिक पारी खेली.
मजूमदार की आंखों में थे आंसू
फाइनल में साउथ अफ्रीका पर जीत के बाद टीम के खिलाड़ियों ने खूब जश्न मनाया, लेकिन अमोल मजूमदार खामोश खड़े रहे. उनकी आंखों में आंसू थे और चेहरा शांत था. उन्होंने कोई जश्न नहीं मनाया. उनके लिए ये केवल जीत नहीं बल्कि उनका सपना था. इंटरनेशनल क्रिकेट न खेलने का उनका मलाल भारतीय महिला टीम को वर्ल्ड चैंपियन बनाकर खत्म हुआ.
अमोल मजूमदार ने 1993 में मुंबई की टीम से अपना फर्स्ट क्लास करियर शुरू किया था. दो दशक से भी अधिक लंबे करियर में अमोल मजूमदार ने 171 फर्स्ट क्लास मैचों में 11,000 से ज्यादा रन बनाए. इस दौरान उन्होंने 30 शतक जड़े, लेकिन कभी भी टीम इंडिया के लिए एक भी मैच नहीं खेल सके.
हरमनप्रीत कौर ने छुए अमोल मजूमदार के पैर नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में फाइनल की सबसे यादगार तस्वीर तब आई जब हरमनप्रीत कौर ने अमोल मजूमदार के पैर छुए और फिर उन्हें गले लगा लिया. ये भाव उनके प्रति उनके सम्मान को दर्शाता है.
मैच के बाद कप्तान हरमनप्रीत कोच अमोल के बारे में बात करते हुए कहा कि सर का योगदान पिछले 2 साल में अद्भुत रहा है. उनके आने के बाद सब कुछ अच्छा चलने लगा. उन्होंने हमें दिन-रात प्रैक्टिस कराई, जो सुधार की जरूरत थी उसे दोहराया. मैं वास्तव में खुश हूं कि हमें उनके साथ काम करने का मौका मिला.



