सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब बिजली बिल कास्ट रिफ्लेक्टिव टैरिफ के आधार पर तय होंगे, यानी लोग केवल वास्तविक खर्च का ही भुगतान करेंगे। नए कानून के लागू होने के बाद किसी इलाके में एक डिस्काम का एकाधिकार खत्म होगा और प्रतिस्पर्धा बढ़ने से उपभोक्ताओं को सस्ती और बेहतर गुणवत्ता वाली बिजली मिलेगी।
लाखों परिवारों का आर्थिक बोझ कम
सरकार का दावा है कि इस बदलाव से एक ही इलाके में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को बेहतर गुणवत्ता की बिजली कम दाम में मिलेगी। इससे लाखों परिवारों का आर्थिक बोझ भी कम होगा। अनुमान है कि यह नया कानून उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान समेत कई राज्यों में लागू होगा।
देश के कई राज्यों में कुछ विशेष वर्गों के उपभोक्ताओं से एक निश्चित सीमा तक बिल वसूला नहीं जाता, जिसका असर उन लोगों पर पड़ता है जो इस सब्सिडी के दायरे से बाहर हैं। नए संशोधन के बाद यह असंतुलन खत्म हो जाएगा।
कानून में बदलाव से क्या होगा?
संशोधित कानून के अनुसार, आम बिजली उपभोक्ताओं को बिजली बिल कास्ट रिफ्लेक्टिव टैरिफ के आधार पर देना होगा। यानी, डिस्काम उपभोक्ता तक बिजली पहुंचाने में हुए वास्तविक खर्च से अधिक बिल नहीं वसूल सकेगी। इसके अलावा, कंपनियों को केवल निर्धारित मार्जिन ही मिलेगा।
एक डिस्काम का एकाधिकार अब नहीं
नए कानून के लागू होने के बाद किसी भी इलाके में केवल एक डिस्काम का एकाधिकार नहीं रहेगा। एक ही क्षेत्र में सरकारी और निजी दोनों प्रकार की डिस्काम मौजूद होंगी। इससे कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को कम दाम में बेहतर सेवा मिलेगी।



