Home देश “Bihar Politics Prediction: आज का दिन क्यों बिहार और देश की राजनीति...

“Bihar Politics Prediction: आज का दिन क्यों बिहार और देश की राजनीति को हिला सकता है?”

4
0

हर बार जब आकाश में ग्रह अपनी स्थिति बदलते हैं, तो इसका प्रभाव धरती पर देखने को मिलता है. 14 नवंबर 2025 का दिन भी कुछ वैसा ही है शांत दिखता आसमान, पर भीतर से उथल-पुथल.

ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन केवल पंचांग का एक अध्याय नहीं, बल्कि सत्ता-संतुलन का सूक्ष्म संकेत है.

सिंह राशि में चन्द्रमा की मौजूदगी, तुला राशि में सूर्य का गोचर, और कर्क राशि में वक्री बृहस्पति ये तीन गोचर आज एक ऐसी धुरी बना रहे हैं, जिस पर निर्णय, नेतृत्व और गठबंधन सब झूल रहे हैं.

मंच, नेतृत्व और आत्मविश्वास

सिंह राशि सूर्य की अपनी राशि मानी जाती है, और जब चन्द्रमा यहां आता है तो व्यक्ति या शासन दोनों में अहं और आत्मबल बढ़ता है. पुराणों में इसे ‘राजसी चन्द्र’ कहा गया है. बृहत् जातक के अनुसार सिंहे चन्द्रे प्रख्यातं राज्यं प्राप्नोति भूभृतः अर्थात जब चन्द्रमा सिंह राशि में होता है तो राजा अपनी पहचान और सम्मान के लिए संघर्ष करता है. इससे संकेत मिलता है कि आज के दिन सत्ता-पक्ष में आत्मविश्वास तो रहेगा, पर आंतरिक मतभेद भी मुखर हो सकते हैं. यानी जो दल जीतेगा उसके भीतर सीएम चेहरे को लेकर और महत्वपूर्ण मंत्रालय के लिए भीतर संघर्ष का भाव उभरेगा.

तुला राशि में सूर्य का नीच होना, संतुलन या समझौता?

आज सूर्य तुला राशि में नीच का है. वराहमिहिर के अनुसार ‘नीचस्थे भास्करे नृपाणामनुचितं राज्यं स्थायात्’ यानी जब सूर्य अपनी नीच राशि में हो, तब राजा का राज्य स्थिर नहीं रहता, उसे जनता की प्रतिक्रिया झेलनी पड़ती है. इसका अर्थ है कि आज की राजनीति में शक्ति-प्रदर्शन के साथ-साथ बचाव और सफ़ाई का दौर भी चलेगा. नेताओं के बयान, समझौते और रणनीति सब सार्वजनिक छवि संभालने पर केंद्रित रहेंगे. बिहार की राजनीति तय करने वालों को नए संकट से जूझना पड़ेगा.

पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, लोकप्रियता और प्रदर्शन का रंग

आज का नक्षत्र पूर्वा फाल्गुनी है, जो शुक्र से शासित होता है. यह नक्षत्र करिश्मा, जनसमर्थन और ‘मंच पर चमकने’ से जुड़ा होता है. बिहार और दिल्ली दोनों जगह आज वही नेता लाभ पाएंगे जो भीड़ और कैमरे की भाषा जानते हैं. पर इसी नक्षत्र की एक चेतावनी भी है, जब लोकप्रियता अति हो जाए, तो विवेक कम हो जाता है. यही कारण है कि आज किसी भी तीखे बयान या विवादास्पद घोषणा का असर अपेक्षा से बड़ा पड़ सकता है.

वक्री बृहस्पति, पुरानी फाइलों की वापसी

बृहस्पति (गुरु) इस समय वक्री गति में हैं. वैदिक ग्रंथ सिद्धांत शिरोमणि कहता है ‘गुरौ वक्री भवति तदा पुनःस्मरणं कर्मणाम्’ जब गुरु वक्री होते हैं, तो पुराने निर्णय पुनः समीक्षा में आते हैं. राजनीतिक रूप से इसका अर्थ है कि बीते महीनों में लिए गए निर्णय, नियुक्तियां या घोषणाएं फिर से चर्चा में आ सकती हैं. सरकारी तंत्र में ‘रीव्यू नोटिंग्स’ और ‘कमीटमेंट रिवाइज़ल’ बढ़ने की संभावना है.

बिहार का सियासी तापमान

बिहार की राजनीति पर सिंह रशि का चन्द्रमा का सीधा असर दिखाई दे रहा है. राज्य-स्तर पर सत्ता-पक्ष में आत्मविश्वास बढ़ेगा, पर विपक्ष ‘जनता के मूड’ को पकड़ने की कोशिश करेगा. संभावना है कि आज का दिन मीटिंग, मीडिया मैनेजमेंट या सोशल मीडिया कैंपेन के लिए महत्वपूर्ण बन जाए. किसी बड़े नेता का अचानक बयान या संकेत आने वाले हफ़्तों की दिशा तय कर सकता है. यही नहीं, दशमी तिथि संघर्ष और समीक्षा दोनों का प्रतीक है. यह वह तिथि है जो निर्णय से पहले विवेक का आग्रह करती है.

दिल्ली की स्थिति…वार्ता का दौर, पर निर्णय नहीं

राजधानी में तुला सूर्य और वक्री बृहस्पति मिलकर एक अनोखा संयम उत्पन्न करते हैं. यह वह स्थिति है जब निर्णय ‘फाइल पर टिके रहते हैं’ पर हस्ताक्षर देर से होते हैं. आज सरकार या गठबंधन स्तर पर किसी नीतिगत घोषणा की संभावना तो रहेगी, पर क्रियान्वयन आगे खिसक सकता है. यह संयम दिखावे का नहीं, बल्कि समय की मांग है. ग्रहों के अनुसार जो जल्दबाज़ी करेगा, वही आलोचना का शिकार बनेगा.

ग्रह असर डालते हैं?

यह सवाल अक्सर उठता है कि क्या सच में ग्रह राजनीति बदल सकते हैं? जवाब यह है कि ग्रह परिस्थितियां बनाते हैं, निर्णय मनुष्य लेता है. ज्योतिष के अनुसार ग्रह केवल प्रवृत्तियां जगाते हैं, कर्म का दायित्व मनुष्य पर रहता है. आज की स्थिति में सिंह-चन्द्र आत्मबल देता है, तुला-सूर्य विवेक मांगता है और वक्री-गुरु समीक्षा करवाते हैं. तीनों मिलकर एक ऐसा समीकरण बना रहे हैं जहां शक्ति, समझौता और समीक्षा तीनों एक साथ सक्रिय हैं.

कौन खेल बिगाड़ सकता है?

पूर्वा फाल्गुनी का प्रभाव केवल नेताओं तक सीमित नहीं रहता. यह नक्षत्र जन-मीडिया और जनता के भावनात्मक उभार से जुड़ा है. आज के दिन किसी भी छोटे राजनीतिक वक्तव्य से मीडिया नैरेटिव बदल सकता है. विपक्ष के लिए यह दिन ‘पुराने घाव ताज़ा करने’ का अवसर है, जबकि सत्ता-पक्ष के लिए ‘संवाद बनाम टकराव’ का इम्तिहान.

14 नवंबर 2025 का यह दिन भारत की राजनीति के लिए सिर्फ पंचांग का अंक नहीं, बल्कि एक प्रतीक है आत्मविश्वास और सावधानी के संघर्ष का. सिंह राशि में बैठा चन्द्रमा कहता है ‘बोलो’, तुला राशि में नीच का सूर्य कहता है ‘संतुलित रहो’, और वक्री-गुरु चेतावनी देता है ‘पुराना हिसाब फिर खुलेगा.’ जो नेता इन तीनों संदेशों को समझ लेगा, वही टिकेगा. बाकी सब ग्रहों के खेल में उलझ जाएंगे क्योंकि राजनीति में भी और आकाश में भी, असंतुलन कभी स्थायी नहीं होता.