बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने जबरदस्त प्रचार के साथ मैदान में उतरकर पूरे चुनाव को अलग ही माहौल दिया था. पार्टी ने 238 सीटों पर उम्मीदवार उतारते हुए दावा किया था कि जनता बदलाव के लिए तैयार है और जनसुराज निर्णायक भूमिका निभाएगी.
हालांकि, मतगणना के बाद जो तस्वीर सामने आई, उसने पार्टी की राजनीतिक ताकत को साफ कर दिया. नतीजों ने दिखा दिया कि भारी प्रचार का असर जमीन पर वोटों में नहीं बदल सका.
238 सीटों की लड़ाई में पार्टी को एक भी जीत नहीं मिली. सिर्फ मढ़ौरा में जनसुराज उम्मीदवार दूसरे नंबर पर आए, बाकी लगभग सभी क्षेत्रों में पार्टी तीसरे या चौथे पायदान पर सिमट गई. मतगणना में यह भी साफ हुआ कि कई जगहों पर पार्टी को उम्मीद से बेहतर वोट मिले, लेकिन वह किसी सीट को जीतने या गंभीर चुनौती देने के लिए पर्याप्त नहीं थे.
कुछ सीटों पर जनसुराज के वोट NDA की हार से कई गुना ज़्यादा
चुनावी नतीजों में एक दिलचस्प पहलू यह भी रहा कि कई जगहों पर जनसुराज उम्मीदवारों को मिली वोट संख्या, NDA उम्मीदवार की हार के अंतर से बहुत अधिक थी. इस वजह से राजनीतिक हलकों में यह चर्चा गरम है कि अगर जनसुराज मैदान में न होती तो इन सीटों का परिणाम शायद अलग दिखता.
वे सात सीटें जहां जनसुराज के वोट बने बड़ा फैक्टर
नीचे उन 7 सीटों का विवरण दिया गया है जहां NDA बेहद कम अंतर से हारा, मगर जनसुराज को उससे कई गुना अधिक वोट मिले. यही सीटें चुनावी नतीजों की सबसे दिलचस्प कहानी बन गईं.
ढाका – NDA सिर्फ 178 वोटों से हारा, जनसुराज को 8,347 वोट
जहानाबाद – अंतर 793, जनसुराज को 5,760 वोट
मखदुमपुर – अंतर 1,830, जनसुराज को 4,803 वोट
टिकारी – अंतर 2,058, जनसुराज को 2,552 वोट
गोह – अंतर 4,041, जनसुराज को 7,996 वोट
बोधगया – अंतर 881, जनसुराज को 4,024 वोट
चनपटिया – अंतर 602, जनसुराज को 37,172 वोट
चनपटिया बना सबसे बड़ा उदाहरण
चनपटिया में जनसुराज प्रत्याशी मनीष कश्यप ने 37,172 वोट हासिल किए, जबकि NDA उम्मीदवार सिर्फ 602 वोटों से चुनाव हार गया. यही वजह है कि यह सीट पूरे चुनाव की सबसे ज्यादा चर्चित सीट बन गई.
आंकड़ों में जनसुराज की पूरी तस्वीर
जनसुराज पार्टी ने 238 सीटों पर चुनाव लड़ा,लेकिन कोई भी सीट जीत में नहीं बदल सकी. मढ़ौरा में नवीन कुमार सिंह दूसरे नंबर पर रहे, लेकिन RJD उम्मीदवार से उन्हें लगभग 27 हज़ार वोटों से हार का सामना करना पड़ा. बाकी सभी क्षेत्रों में पार्टी का प्रदर्शन साधारण रहा और उसे तीसरी-चौथी स्थिति से ऊपर नहीं पहुंच पाया.



