गौतम अडानी ने भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए ‘भारत नॉलेज ग्राफ’ के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है.
अहमदाबाद में आयोजित पहले Adani Global Indology Conclave में किया गया यह ऐलान भारतीय सभ्यतागत ज्ञान को संरक्षित, संगठित और आधुनिक बनाने के उद्देश्य से किया गया. यह कार्यक्रम अडानी ग्रुप और शिक्षा मंत्रालय के Indian Knowledge Systems (IKS) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया.
इंडोलॉजी मिशन पर बड़ा ऐलान
अडानी ने कहा कि यह योगदान भारत की महान सभ्यता के प्रति ऋण का भुगतान है. भारत नॉलेज ग्राफ का उद्देश्य खगोल विज्ञान, गणित, दर्शन, शासन, भाषाविज्ञान और अन्य क्षेत्रों में भारत के ऐतिहासिक योगदान को एक आधुनिक डिजिटल ढांचे में संकलित करना है, जिसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुरूप तैयार किया जाएगा.
सम्मेलन में शामिल विद्वानों, तकनीकी विशेषज्ञों, नीति-निर्माताओं और आध्यात्मिक नेताओं ने इस पहल को भारत को ‘विश्व गुरु’ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि गौतम अडानी की पहल उनके इस सपने को आगे बढ़ाती है कि भारत वैश्विक शिक्षक के रूप में अपनी भूमिका निभाए.
विश्व गुरु बनने की दिशा में बड़ा कदम
अडानी ने यह भी चेताया कि यदि डिजिटल युग में कोई सभ्यता अपने सांस्कृतिक ढांचों की रक्षा नहीं करती, तो आने वाली पीढ़ियाँ मशीनों के एल्गोरिद्म की ठंडी तर्कशक्ति से प्रभावित होकर अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान से दूर हो सकती हैं.
इस मिशन के तहत अडानी समूह और IKS ने IITs, IIMs और प्रमुख विश्वविद्यालयों के 14 पीएचडी शोधार्थियों को पाँच वर्षों तक सहायता देने का निर्णय लिया है. इन शोधार्थियों के अध्ययन क्षेत्र पाणिनीय व्याकरण, संगणनात्मक भाषाविज्ञान, प्राचीन खगोल विज्ञान, स्वदेशी स्वास्थ्य प्रणालियाँ, पारंपरिक इंजीनियरिंग में निहित सततता सिद्धांत, राजनैतिक विचार और शास्त्रीय साहित्य शामिल हैं.
उद्देश्य यह है कि भारत की सभ्यतागत ज्ञान-सम्पदा को आधुनिक शोध पद्धतियों—जैसे डेटा साइंस, सिस्टम थिंकिंग और मल्टीमॉडल आर्काइविंग—के ज़रिए अधिक सुलभ, विश्वसनीय और भविष्य-उन्मुख बनाया जा सके.



