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“पुतिन के एक साइन ने भारत को बना दिया Military Powerhouse, पड़ोसियों की उड़ी नींद:”

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जिओ-पॉलिटिक्स (Geo-politics) की दुनिया में कुछ खबरे ऐसी होती हैं जो सिर्फ हेडलाइन नहीं बदलतीं, बल्कि इतिहास बदल देती हैं। रूस और भारत के बीच हाल ही में जो हुआ है, वो कुछ ऐसा ही है।

अभी तक लोग कयास लगा रहे थे, लेकिन अब खबर पक्की है रूस ने भारत के साथ रक्षा संबंधों को उस लेवल पर पहुँचा दिया है जहाँ से भारत अब सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि एक ‘सैन्य महाशक्ति’ (Military Powerhouse) बनकर उभरेगा।

आइए आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर माजरा क्या है और हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan) का “हाई बीपी” (High BP) क्यों हो गया है।

क्या है यह नया ‘सुपर डील’? (What is the Big Deal?) खबरों के मुताबिक, रूस ने RELOS (Reciprocal Exchange of Logistics Agreement) को मंजूरी देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। सुनने में यह शब्द भारी-भरकम लगता है, लेकिन इसका मतलब बहुत सीधा और शानदार है।

इसे ऐसे समझिये-जैसे आपकी कार को लंबी यात्रा पर जगह-जगह रुकने और पेट्रोल भरवाने की सुविधा अपने दोस्त के घर मिल जाए। इस डील के बाद, भारतीय नौसेना (Indian Navy) और सेना, रूस के मिलिट्री बेस और पोर्ट्स का इस्तेमाल अपनी ज़रूरतों के लिए कर सकेगी।

अब भारतीय युद्धपोत (Warships) बेझिझक रशियन पोर्ट्स पर जाकर रुक सकते हैं, रिपेयरिंग करा सकते हैं, राशन-पानी ले सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं।

सबसे बड़ी बात? भारत को अब आर्कटिक (Arctic) क्षेत्र तक सीधी पहुँच मिल सकती है। दुनिया में बहुत कम देश हैं जिनके पास इतनी लंबी रेंज है, और अब भारत उस एलिट क्लब में शामिल होने जा रहा है।

पाकिस्तान के पैरों तले ज़मीन क्यों खिसक गई?

अब आप सोचेंगे कि डील भारत-रूस की है, तो पाकिस्तान क्यों परेशान है? इसकी तीन बड़ी वजहें हैं:

गलतफहमी का अंत:

पिछले कुछ सालों से पाकिस्तान यह माहौल बनाने की कोशिश कर रहा था कि रूस अब भारत को छोड़कर पाकिस्तान के करीब आ रहा है। लेकिन पुतिन प्रशासन ने इस डील को आगे बढ़ाकर साफ़ कर दिया है कि उनकी प्राथमिकता “नई दिल्ली” है, न कि “इस्लामाबाद”।

भारत की असीमित पहुँच:

इस लॉजिस्टिक्स पैक्ट का मतलब है कि भारतीय सेना की नज़र अब बहुत दूर तक होगी। हिंद महासागर में अपनी चालबाजियां चलाने की सोचने वाला पाकिस्तान अब बैकफुट पर होगा क्योंकि भारतीय नेवी की आपरेशनल रेंज (Operational Range) अब बहुत विशाल हो जाएगी।

रक्षा कवच (Defense Shield):

बात सिर्फ लॉजिस्टिक्स की नहीं है। कयास लगाए जा रहे हैं कि व्लादिमीर पुतिन के आगामी दौरे में Su-57 फाइटर जेट्स और S-500 मिसाइल सिस्टम जैसे ‘ब्रह्मास्त्र’ भी भारत की झोली में गिर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ, तो पड़ोसी मुल्क की डिफेंस स्ट्रैटेजी धरी की धरी रह जाएगी।

2025 का सबसे बड़ा गेम-चेंजर

दुनिया इस वक़्त युद्धों और तनाव से गुज़र रही है। ऐसे समय में रूस का भारत के साथ इतना बड़ा कमिटमेंट (Commitment) करना यह बताता है कि वो भारत को एक ग्लोबल प्लेयर मानता है। पश्चिमी देशों (West) के दबाव के बावजूद रूस अपनी पुरानी दोस्ती निभा रहा है।

यह डील सिर्फ एक कागज का समझौता नहीं है; यह भारत के “सुपरपावर” बनने के रास्ते में एक बड़ा मील का पत्थर है। अब हमारे जहाजों को ईंधन खत्म होने या रसद की कमी की चिंता नहीं होगी, क्योंकि पुराना यार रूस समंदर के हर कोने में मदद के लिए तैयार खड़ा मिलेगा।