बेमेतरा में मगरमच्छ गंगाराम का मंदिर तैयार हो रहा है. लोग महाशिवरात्री के दिन भगवान शिव के साथ ही गंगाराम की भी पूजा की. बेमेतरा के बाबा मोहतरा मे 100 सालों से ज्यादा सालों से मगरमच्छ जिसको गांव वाले गंगाराम के नाम से जानते थे. उसे भगवान की तरह मानते थे. ये मगरमच्छ उस समय सुर्खियों में आया था जब इसकी मौत के बाद पूरे गांव में मातम पसर गया था और लोगों ने इसकी शवयात्रा पूरे गांव ने निकाला.
इसका वीडियो जैसे ही वायरल हई और यह जानकारी फैली कि एक ही तलाब में ये इतने सालों से था. जिस तलाब में सब नहाते रहते थे और किसी को भी इसने चोंट नहीं पहुचाई. जिससे राज्य ही नहीं देश और विदेशों मे भी इसकी खबरें लगी. आखिर कौन था ये गागाराम और क्यों इसे लोग भगवान की तरह मानते थे. जानते हैं कि वहां के रहवासी क्या कहते हैं.
ग्रामीणों की मानें तो गांव के ही मंहत शरददेव ने नर और मादा मगरमच्छ को तालाब मे डाला था. उस समय इस गांव की बहुत ख्याती थी. क्योंकि यहां के महंत को लोगों से लगभग 12सौ एकड़ जमीन भी दान में दी थी. उमय से मगरमच्छ यहां तलाब मे रह रहा था. पहले यह दूसरे गांव भी पहुंच जाता था. जहां लोग इसे वापस तलाब मे ले आते थे. पर अचानक एक दिन इसकी मौत की खबर ने सबको दु:खी कर दिया. जिसके बाद लोगों ने उसे तलाब के पास की दफना कर उसका मंदिर बना रहे हैं. ताकि आने वाली पीढ़ी भी गंगाराम को याद रख सकें और यह बता सकें कि अगर प्यार से रखा जाये तो खरतनाक जानवर भी प्यार की भाषा समझता है.