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छत्तीसगढ़ : रमन सिंह के सांसद बेटे ने गोद लिया था ये गांव, अब ये है हकीकत

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राजनांदगांव। ग्राम भोथीपार खुर्द आज भी बुनियादी सुविधाओं को तरस रहा है। राजनांदगांव के सांसद अभिषेक सिंह ने जब इस गांव को गोद लिया तो गांववासियों ने कई सपने संजोए थे। उन्हें लगा कि अब उनके गांव की तस्वीर और तकदीर बदल जाएगी। जब गांव को गोद लिया गया तो घोषणा की गई थी कि भोथीपार जलाशय का गहरीकरण होगा, स्टेडियम और मंगल भवन निर्माण जैसी कई घोषणाएं भी हुईं, लेकिन इनमें से एक भी काम का श्रीगणेश नहीं हो पाया है। इसके चलते ग्रामीणों की आस टूट गई है।

पेयजल में भी कटौती

ग्रामीण हेमलाल साहू ने बताया कि पहले गांव में नल-जल योजना के तहत बनी पानी टंकी नहीं थी। इसके बाद भी गांव में सुबह-शाम चार-चार घंटे पानी मिलता था, लेकिन नल-जल योजना में पेयजल आपूर्ति तक में एक-डेढ़ घंटे ही पानी मिलता है। इससे ग्रामीणों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है।

छह दशक से जलाशय की मांग अधूरी

1400 की आबादी वाले भोथीपार खुर्द में एक जलाशय है, जहां से आधा दर्जन से ज्यादा गांव के किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलता है। पिछले छह दशक से जलाशय का गहरीकरण नहीं हुआ है। सांसद ने इसके लिए दस लाख रुपए की घोषणा भी कर दी है, लेकिन घोषणा धरातल पर नजर नहीं आ रही है।

तालाब के पानी से हो रहा चर्मरोग

गांव में एक बड़ा तालाब है, जहां गांव के लोग निस्तारी करते हैं। पिछले डेढ़-दो साल से तालाब का पानी मटमैला हो गया है। हरे रंग के बदबूदार इस पानी में ही ग्रामीण निस्तारी को मजबूर हैं। गंदे पानी में निस्तारी से चर्मरोग की शिकायतें भी सामने आ रही हैं।

शौचालय अधूरे उज्ज्वला का भी लाभ नहीं

ग्रामीणों ने बताया कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव ओडीएफ हो चुका है, लेकिन आज भी कई घरों में शौचालय का काम अधूरा है। कई घरों में शौचालय के दरवाजे तक नहीं हैं। सांसद कार्यालय के साथ प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद भी बीपीएल परिवार के लोगों को उज्ज्वला गैस कनेक्शन नहीं मिला है।

झाड़ियों में पट गया स्टेडियम

स्टेडियम के लिए गांव में एक बड़ा मैदान है, जिसे स्टेडियम के रूप में जीर्णोद्धार करने की मांग लंबे समय से उठ रही है। खिलाड़ियों ने सांसद सिंह को भी इस मांग से अवगत कराया, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। खेल आयोजन से पहले गांव के युवकों को ही झाड़ियों की सफाई करनी पड़ती है।

दो हिस्से में बंटी सड़क

गांव में सालभर पहले सीसी रोड का काम हुआ है, लेकिन सड़क दो टुकड़ों में बंट गई है। गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क भी जर्जर है। लंबे समय से सड़क मरम्मत की मांग करने के बाद भी ग्रामीणों की मांगें अधूरी ही हैं।

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