पिछले काफी समय से कांग्रेस के अध्यक्ष पद को लेकर लगाए जा रहे कयास पर अब विराम लगने के संकेत मिल रहे हैं. खबर है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को राहुल गांधी की जगह पर पार्टी के नए अध्यक्ष की कमान सौंपी जा सकती है. कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने अशोक गहलोत के नाम पर मोहर लगा दी है और अब बस औपचारिक ऐलान किया जाना ही बाकी है. हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हो सका है कि अशोक गहलोत अकेले कांग्रेस अध्यक्ष होंगे या उनकी मदद के लिए कई कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए जाएंगे. कांग्रेस की ओर से अशोक गहलोत के नाम की चर्चा के बाद अब ये भी साफ हो गया है कि कांग्रेस का नया अध्यक्ष गांधी परिवार से नहीं होगा.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस बहुत जल्द अध्यक्ष पद के नाम का ऐलान कर सकती है. कांग्रेस ने अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत के नाम पर हामी भर दी है. गहलोत ने बुधवार को राहुल गांधी को जन्मदिन की बधाई देते हुए उनसे पार्टी प्रमुख बने रहने का आग्रह भी किया था, लेकिन राहुल गांधी अब पार्टी के अध्यक्ष पद पर बने नहीं रहना चाहते हैं. राहुल गांधी ने पहले ही साफ कर दिया था कि उनकी जगह पर प्रियंका गांधी के नाम पर भी विचार नहीं किया जाएगा.
गौरतलब है कि मोदी सरकार हमेशा से कांग्रेस को वंशवाद के मुद्दे पर घेरा है और चुनावों में इसका फायदा भी उसे मिलता रहा है. ऐसे में राहुल गांधी चाहते हैं कि इस बार पार्टी का अध्यक्ष गैर गांधी परिवार का नेता हो, जिससे यह मुद्दो हमेशा के लिए खत्म हो जाए.
एक-डेढ़ साल तक अध्यक्ष पद से दूर रहेंगे राहुल
सूत्रों के मुताबिक, राहुल अगले एक से डेढ़ साल तक कांग्रेस अध्यक्ष पद से दूर रहेंगे, बताया जा रहा कि कांग्रेस के बड़े नेताओं ने ही ये बीच का रास्ता राहुल गांधी के लिए निकाला है. इस दौरान राहुल गांधी बिना किसी पद के देशभर में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करेंगे. वहीं, नए कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर जल्द ही कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक जल्द बुलाई जा सकती है.
अगले एक साल तक क्या करेंगे राहुल गांधी
राहुल के जिद के आगे झुके कांग्रेस नेताओं ने ये बीच का रास्ता निकाला है, जिसमें राहुल गांधी की बात भी रह जाए और कांग्रेस का अध्यक्ष पद भी खाली न रहे. राहुल बिना किसी जवाबदेही के देशभर में घूमकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिलकर संवाद कर सकते हैं. वह बिना पद के मोदी सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ खुल कर आलोचना कर पायेंगे. पद नहीं रहने पर सत्ता पक्ष के निशाने पर कांग्रेस अध्यक्ष होंगे न कि राहुल गांधी. इस प्रयोग के साथ राहुल गांधी उन राज्यों के ज्यादा समय दे सकेंगे जहां कांग्रेस जमीन पर खत्म हो चुकी है.