आपको जानकर यह हैरानी होगी कि भारत में 25 से ज्यादा देशों का करीब 1.21 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा खपाया गया। इस प्लास्टिक कचरे को रिसाइकिल (दोबारा इस्तेमाल के लायक बनाना) करने वाली कंपनियों ने आयात किया था। गैर सरकारी संगठन पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच ने अपनी एक रिपोर्ट में यह चिंता जाहिर की है। रिपोर्ट के मुताबिक, पर्यावरणविदों का कहना है कि कंपनियों के इस कदम से प्लास्टिक प्रदूषण घटाने की पहल को बड़ा झटका लग सकता है। संगठनों का कहना है कि यह दुर्भाग्य की बात है कि कंपनियां चोरी छिपे प्लास्टिक कचरे का आयात कर रही हैं। सरकार को ऐसे जिम्मेदार कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक, 55 हजार मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरे का आयात तो सिर्फ पाकिस्तान और बांग्लादेश से ही किया गया था। मध्य पूर्व, यूरोप और अमेरिका समेत 25 से ज्यादा देशों से ऐसे कचरे का आयात किया जा रहा है।
भारतीय प्रदूषण नियंत्रण संगठन के चेयरमैन आशीष जैन के मुताबिक, एक ओर तो सरकार प्लास्टिक पर पाबंदी लगा रही है, वहीं दूसरी ओर निजी कंपनियां चोरी-छिपे विदेशों से प्लास्टिक कचरे का आयात कर रही हैं। उन्होंने कहा कि रिसाइक्लिंग कंपनियां इसलिए भी कचरे का ज्यादा आयात करती हैं, क्योंकि बाहरी देशों से इन्हें मुफ्त में यह कचरा मिलता है। सिर्फ इसकी ढुलाई का ही खर्च आता है।
कचरे में सबसे ज्यादा प्लास्टिक की बोतलें अप्रैल, 2018 से फरवरी, 2019 के बीच किए गए एक अध्ययन पर आधारित रिपोर्ट के मुताबिक, प्लास्टिक कचरे में सबसे ज्यादा आयात की जाने वाली वस्तु है प्लास्टिक की बेकार बोतलें, जो बडे़-बडे़ ढेर में आती हैं। यह भी कहा गया है कि स्थानीय कचरा जुटाने के मुकाबले आयातित कचरा ज्यादा सस्ता पड़ता है। सैकड़ों टन ऐसा कचरा धरती और समुद्र में दफनाया जा रहा है।
प्लास्टिक कचरे में सबसे आगे यूपी
रिपोर्ट के मुताबिक, प्लास्टिक कचरे के मामले में सबसे आगे उत्तर प्रदेश है, जहां 28,846 मीट्रिक टन कचरा आयात किया गया। वहीं इस मामले में 19,517 मीट्रिक टन के साथ दिल्ली दूसरे स्थान पर है। 19,375 मीट्रिक टन कचरे के साथ महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है। जबकि 18,330 मीट्रिक टन के साथ गुजरात चौथे और 10, 689 मीट्रिक टन कचरे के आयात के साथ तमिलनाडु पांचवें स्थान पर है।
आयात पर रोक लगे तो 99 फीसदी कचरे की रिसाइक्लिंग 99 फीसदी
रिपोर्ट में कहा गया हे कि अगर विदेशों से प्लास्टिक कचरे के आयात पर रोक लगा दी जाए तो कंपनियां स्थानीय तौर पर प्लास्टिक कचरे की रिसाइक्लिंग करने पर मजबूर होंगी। इससे बेकार हो चुकी प्लास्टिक बोतलों को दोबारा इस्तेमाल लायक बनाने की दर 99 फीसदी बढ़ जाएगी और कूड़ा बीनने वाले 40 लाख लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा।