दिल्ली के 360 से ज्यादा गांवों ने रविवार को आपसी सहमति के साथ शादी से जुड़ी 200 साल पुरानी शर्त को बदल दिया। अब इन गांवों में लड़के-लड़कियों की शादी तीन गांव छोड़कर हो सकेगी। पहले करीब 40 गांवों को छोड़कर शादी करने की शर्त थी। इसके अलावा, समान गोत्र में शादी न करने की शर्त पहले की तरह बरकरार रखी गई है। पालम के दादा देव मंदिर प्रांगण में रविवार को हुई 360 खाप की महापंचायत में ये फैसले लिए गए।
दो महीने तक चर्चा हुई
महापंचायत के लोग बीते दो महीने से गांव व विभिन्न समाज के लोगों के बीच जाकर काम कर रहे थे। इससे पहले, इन गांवों के लोग अपने गांव से सटे 30 से 40 गांवों तक शादी नहीं कर सकते थे। समाज का मानना था कि वे भाईचारे में आते हैं। इसके चलते युवा पीढ़ियों के लड़के-लड़कियों की शादी होने में दिक्कतें हो रही थीं।
खर्च कम करने पर भी चर्चा: महापंचायत में शादी ब्याह में खर्च कम करने और रात के बजाए दिन में शादी करने का प्रस्ताव भी रखा गया। हालांकि इस पर अभी सहमति नहीं बन पाई।
सबने फैसले को सराहा
इस सामाजिक बंधन के चलते पालम का कोई परिवार नवादा, मटियाला, ककरौला गांव में शादी नहीं कर सकता था। खाप के लोगों की दो महीने की मेहनत के बाद इस बंधन को खत्म कर दिया है। यह खुशी की बात है।-नरेश बालियान, आप विधायक
इस फैसले से आने वाली युवा पीढ़ी को फायदा होगा। इससे 36 बिरादरी के लोग लाभान्वित होंगे। समाज के सभी लोग इस फैसले से खुश हैं। इससे दूसरों का मार्गदर्शन भी होगा।-पृथ्वी सिंह, 96 गांव के प्रधान